Tonsillitis Symptoms and Causes : टॉन्सिलाइटिस के कारण, लक्षण

    टॉन्सिलाइटिस क्या है ? What is tonsillitis ?  

    टॉन्सिल पर सूजन आ जाना या टॉन्सिल के बड़ा होकर फूल जाने को टॉन्सिलाइटिस कहते हैं। इसमें टॉन्सिल लाल हो जाते हैं। इस रोग में टॉन्सिल के साथ-साथ मुंह में भी सूजन आ जाती है जिस कारण रोगी को खाने पीने में काफी समस्या होती है। टॉन्सिल सुज कर मुंह के अंदर दोनों तरफ या बाहर को उभर आते हैं। यह एक संक्रमण रोग है जो गले के दोनों तरफ ग्रंथियों में होता है या कभी एक तरफ भी हो जाता है। इस रोग को सामान्य भाषा में कंठ पाक भी कहते हैं।

    टॉन्सिलाइटिस के कारण : Causes of tonsillitis:  

    यह एक ड्रॉपलेट इंफेक्शन है वैसे यह रोग अधिकतर हिमॉलिटिक स्ट्रैप्टॉकोकाई बैक्टीरिया के द्वारा होता है। इनफ्लुएजा के वायरस भी इस रोग को फैलाने में सहायक है। अधिक परिश्रम करने से सर्दी लग जाने से या अत्यधिक कमजोरी के कारण भी यह रोग हो जाता है।         यह बीमारी अधिकतर 10 से 30 वर्ष की आयु में अधिक होती है। कमजोर मनुष्य, गंदे वातावरण में रहने वाले और जुखाम के मरीजों को यह बीमारी अधिक होती है। कभी-कभी छुआछूत के बुखार जैसे छोटी माता, स्कारलेट बुखार, इनफ्लुएजा के कारण भी टॉन्सिल का रोग हो जाता है।       साइनोसाइटिस भी इस रोग का कारण है। ऐसे बच्चे जो मुंह से सांस लेते हैं उनमें टॉन्सिल का रोग अधिक होता है। बार-बार स्वास्थ्य का ठीक नहीं रहना, शारीरिक परिश्रम बहुत कम करना, अनुचित भोजन की आदत, देर रात तक जागना, भीड़ वाले स्थानों पर रहना आदि इस रोग के कारण है। ऐसे व्यक्ति जो धूम्रपान और अल्कोहल का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं उन्हें यह रोग हो जाता है।  

    टॉन्सिलाइटिस के लक्षण :Symptoms of tonsillitis:  

    रोगी को ठंड लगकर बुखार आता है, शरीर का तापमान 103 से 104 डिग्री फारेनहाइट तक रहता है, हाथ पैर तथा कमर में दर्द रहता है, कमर जकड़ जाती है, गले में सूजन आ जाती है, जीभ पर मैल जमा रहता है, रोगी को अधिकतर कब्ज की शिकायत रहती है, पेशाब थोड़ा सा निकलता है, अधिकतर बुखार 5 से 7 दिन रह कर उतर जाता है, गले की ग्रंथियां कई दिनों तक सुजी रहती है, गले में दर्द होने के कारण बच्चे खाने में रुचि नहीं रखते हैं, गले में दर्द रहता है, कान में दर्द रहता है, रोगी का चेहरा लाल रहता है, जीभ ऐसी प्रतीत होती है मानो फट गई है, मुंह से बदबू आती है, रोगी को थकावट रहती हैं, गले की ग्रंथियां सुज जाती हैं और उन्हें दबाने पर दर्द होता है।     इस रोग में रोगी को अधिक प्यास लगती है। गले में खराश या दर्द होता है। फिर धीरे-धीरे गले में दर्द बढ़ता जाता है और खाना खाने में दर्द और भूख मर जाती है सारे शरीर में दर्द रहता है। मुंह से लार बहती है।

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  • गले में कुछ अटका हुआ सा मालूम होता हैं।
  • कान में दर्द रहता है।
  • मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है।
  • सांस में बदबू आती है।
  • रोगी की आवाज बदल जाती है।     
  • बार बार गला खराब होता है।
  • बुखार व शरीर में भारीपन रहता है।
  • शरीर में खून की कमी हो सकती है।
  • भूख मर जाती है और किसी किसी का जी मिचलाता है।
  • बच्चों को खांसी आती है।
 

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