Plague/Adenoid fever, प्लेग क्या है, प्लेग के कारण

 प्लेग क्या है ?What is plague?

       यह एक भयंकर संक्रामक रोग है जो चूहों द्वारा फैलता है चूहों के शरीर पर एक प्रकार का मुनगा/पिस्सू (Munga / Flea) रहता है। जब वह चूहों को काटते हैं तो प्लेग के वायरस चूहे के शरीर में चले जाते हैं। जब चूहा मर जाता है तब उसके शरीर के कीटाणु दूसरे चूहों के ऊपर चले जाते हैं। यह क्रम जारी रहता है। जब यह Munga / Flea आदमी के शरीर को काटते हैं तो यह रोग मनुष्य में फैल जाता है। गर्मी की अपेक्षा यह रोग सर्दियों में अधिक फैलता है जब यह महामारी के रूप में फैलता है तब लाखों-करोड़ों मनुष्य इसके शिकार हो जाते हैं।

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      जानवरों में यह रोग ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप को छोड़कर समस्त संसार में मिलता है। मनुष्य में यह रोग एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में मिलता है भारत में यह रोग कर्नाटक तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ भागों में है। 

     प्लेग के कारण :Causes of plague:

       ऐसी जमीन जहां नमी हो, वहां प्लेन के वायरस पनपते हैं। इन वायरस को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में पेरसीनिया पेस्टिस नाम दिया गया है। माइक्रोस्कोप से दिखाई देने वाले इन अत्यंत सूक्ष्म वायरसों का आकार सेफ्टीपिन जैसा होता है। जंगली चूहों पर यह वायरस सबसे पहले आक्रमण करते हैं। जंगली चूहों से यह बीमारी शहरी चूहों में फैलती है। इससे चूहे मरने लगते हैं। चूहों के शरीर पर  मुनगा/पिस्सू (Munga / Flea) पाए जाते हैं जो चूहे के मरने पर उसके शरीर को छोड़ देते हैं। तब यह अपनी भूख मिटाने के लिए उड़कर मनुष्य पर आक्रमण करते हैं।

     मुनगा/पिस्सू (Munga / Flea) मनुष्य के पैरों पर काटते हैं। इस दौरान उसके मुंह में पाए जाने वाले प्लेन के वायरस मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और लिंफ वाहिनियों द्वारा शरीर में पहुंच जाते हैं। यह वायरस खून, खांसी, सांस लेने आदि के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाता है। 

   प्लेग का प्रसार : Outbreak of plague:

  • मनुष्य को चूहों द्वारा काटने से।
  • इसके अतिरिक्त प्रदूषित वस्तुओं को छूने से भी यह रोग हो सकता है।
  • यह रोग वर्षा ऋतु के बाद बहुत तेजी के साथ फैलता है। 
  • वायरस होने की वृद्धि नम जल में होती है।
  • अनाज की मंडियों में या जहां चूहे अधिक रहते हैं।
  • गंदगी और अंधेरी वाले मकानों में इसका प्रसार अधिक होता है।
  • सर्दियों के बाद यह रोग अधिक तेजी के साथ फैलता है।
 
 
प्लेग के लक्षण :Symptoms of plague:
 
       मनुष्य में प्लेग के वायरस पहुंचने के तीन-चार दिन के बाद तेज बुखार हो जाता है। रोगी को ठंड भी लगती है, इसके अलावा सिर दर्द, उल्टी, दिल की धड़कन बढ़ना, थकान, सुस्ती अन्य लक्षण देखने को मिलते हैं। यह वायरस सांस की नली में पहुंच जाए तो खांसी, सांस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द और थूक में खून भी आ सकता है।
 
 प्लेग के प्रकार:Plague Type:
 
प्लेग तीन प्रकार के होते हैं –
 
1 – ब्यूवोनिक प्लेग -Bubonic plague –
 
       इसमें गर्दन बगल या जांघ मैं गांठ  निकल आती है। जिनम बहुत दर्द होता है, रोगी को सिर दर्द, ठंड लगना, चक्कर या उल्टी आ जाती है। रोगी के शरीर का तापमान 102 डिग्री फॉरेनहाइट से 104 डिग्री फारेनहाइट या इससे अधिक भी हो जाता है। दो-तीन दिन बाद गांठे निकल आती है। हृदय की गति कमजोर पड़ जाती है कभी-कभी गांठें में पस पड़ जाता है। इसके अलावा शरीर में अकड़न, थकावट, घबराहट और मांसपेशियों में दर्द रहता है।
 
 
2 – न्यूमोनिया प्लेग – Pneumonia Plague –
 
      शुरू में गांठे निकलती है और बाद में निमोनिया हो जाता है। सांस हल्की और जल्दी जल्दी चलने लगती है। रोगी को शुरू में निमोनिया, तेज बुखार, खांसी आना शुरू होता है। बलगम के साथ खून भी निकल आता है। शरीर पर लाल रंग के दाने निकल आते हैं। गांठों में सूजन और दर्द रहता है। रोगी को खूनी दस्त आते हैं। रोगी बेचैन रहता है और प्रलाप करता है। बेचैनी तथा प्रलाप होने के बाद 3 दिन में ही रोगी की मृत्यु हो जाती है।
 
 
3 – सेप्टीसीमिक प्लेग – Septicemic Plague –
 
      यह बहुत घातक होता है। इसमें रोगी को तेज बुखार आकर बेहोश हो जाती है। कभी-कभी 24 घंटे में ही रोगी की मृत्यु हो जाती है। इसमें मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। रोगी को उल्टी आती है। सांस बहुत तेजी के साथ चलती है। रोगी की प्लीहा में वृद्धि हो जाती है, समस्त शरीर की ग्रंथि बढ़ जाती है, शरीर के विभिन्न अंगों में सूजन आ जाती है, रोगी को बहुत तेज बेचैनी रहती है, आदि गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं।
 
 

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