यह बैक्टीरिया के द्वारा फैलने वाला रोग है। ये त्वचा के नीचे पैरों में अनेक ग्रंथियां उत्पन्न करते हैं। ये ग्रंथियां धीरे-धीरे आकार में बढ़ जाती हैं और ऊपर की त्वचा गलकर अंदर से पस बहने लगता है। ये बैक्टीरिया धीरे-धीरे मांसपेशियों और हड्डियों तक पहुंच जाते हैं। पैरों में अनेक नसें बन जाती हैं और पैरों की ग्रंथियां सुज जाती हैं पैर बहुत मोटा हो जाता है। सेल्स गलने तक लगती है और खून में white blood cells की वृद्धि पाई जाती है।
माइसेटोमा के कारण:Causes of mycetoma:
इस रोग का कारण बैक्टीरिया होता है। यह रोग फंगल इंफेक्शन से भी फैल सकता है। माइसेटोमा Actinomycetes group के बैक्टीरिया द्वारा होता है। यह रोग गर्म और नम मौसम में होते देखा गया है। यह रोग गांव में अधिक तथा शहरों में कम होता है। नंगे पैर चलने वाले मनुष्य में इस रोग का आक्रमण अधिक होता है। यह जीवाणु पैरों में कटे-फटे या दरार वाले स्थानों से प्रवेश करते हैं।
माइसेटोमा के लक्षण :Symptoms of mycetoma:
- रोग के शुरू में पैर पर एक ग्रंथि होती है कई महीने के बाद वह ग्रंथि पककर फूट जाती है और इस तरह रोग धीरे-धीरे और बढ़ता जाता है।
- पैर मोटा हो जाता है।
- पैर पर अत्यधिक सूजन आ जाती है और पैर भद्दा दिखता है।
- पैर से पस बहता रहता है।
- पैर से अत्यधिक बदबू आती है।
- पैर निष्क्रिय हो जाते हैं।
- रोग के अधिक बढ़ जाने पर दर्द होता है।
- पैर से खून बहता है।
- रोगी को हल्का बुखार बना रहता है।
- अगर रोग पुराना हो जाए तो रोगी की मृत्यु तक हो जाती है।
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