Prostatitis : प्रोस्टेट ग्रंथि की सूजन

Prostatitis क्या है ?

यदि किसी कारण से प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन हो जाए तो उसे prostatitis कहते हैं । इस बीमारी में ठीक तरह से मूत्र त्याग नहीं होता है बार-बार मूत्र त्याग के लिए जाना पड़ता है ।

Prostatitis
Prostatitis

प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना वृद्ध पुरुषों में आम बीमारी है 50 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र का पुरुष जब यह शिकायत करता है कि उसे पेशाब करने में तकलीफ होती है तब डॉक्टर प्राय सबसे पहले प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि का निदान करता है।

प्रोस्टेट ग्रंथि में वृद्धि मूत्र नली में रुकावट पैदा करती है जिससे मूत्र त्यागने में दिक्कत होती है और कई बार मूत्र आना ही बंद हो जाता है।यह ग्रंथि केवल पुरुषों में होती है वीर्य स्खलन के समय इस ग्रंथि का स्राव शुक्राणुओं के साथ मिल जाता है जिसे प्रोस्टेट फ्यूल कहते हैं इस फ्यूल में शर्करा भी होती है जो शुक्रकीट को जीवित रखता है ।

नवजात शिशु से लेकर किशोरावस्था तक प्रोस्टेट के आकार में काफी कम वृद्धि होती है युवा होते ही इसकी वृद्धि की रफ्तार तेज हो जाती है जो 30 साल की उम्र तक चलती रहती है।

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने के कारण :

  •  50 वर्ष की अवस्था के बाद पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार स्वयं बढ़ने लगता है इसका कारण एंड्रोजिनिक हार्मोन की कमी एवं इस्ट्रोजिनिक हार्मोन की वृद्धि के कारण यह ग्रंथि बढ़ती है ।
  • शरीर में होने वाले विभिन्न संक्रमण के कारण भी प्रोस्टेट पर सूजन आ सकती है।
  • शरीर के किसी हिस्से में पस पड़ने पर, वहां से भी खून के माध्यम से संक्रमण प्रोस्टेट ग्रंथि तक जा सकता है ।
  • चोट लग जाने पर ही प्रोस्टेट ग्रंथि पर सूजन आ जाती है।
  • घुड़सवारी के समय कठोर चीजों पर अधिक समय तक बैठना।
  • आसपास के अंगों से भी संक्रमण हो सकता है ।
  • कैथेटर या औजारों का अनुचित प्रयोग करने से भी प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ जाती है।
   लक्षण:

  • पेशाब बार-बार होने में हिचकिचाहट होती है और पेशाब देरी से आता है।
  • बार-बार मूत्र त्याग की इच्छा होना।
  • मूत्र की धार और दबाव में कमी।
  • बारिक धार या बूंद-बूंद करके मूत्र निकलना।
  • पेशाब करते समय जलन अधिक होना।
  • मूत्र त्याग के समय कठिनाई का अनुभव करना।
  • मल त्याग के समय भी दर्द महसूस हो सकता है।
  • मूत्र मार्ग से चिपचिपा पदार्थ निकलना।
  • पेशाब की कुछ बूंदे कपड़े में ही निकल जाती हैं ।
  • रात के समय पेशाब के लिए बार-बार उठना।
  • मूत्र रोकने में असमर्थता।
  • बुखार की शिकायत हो सकती है।
  • बुखार के 2 दिन बाद रोगी जननांगों एवं गुदा के पास दर्द महसूस करने लगता है।
  • मल त्याग के लिए बैठने पर तीव्र पीड़ा अनुभव होती है।
  • पेशाब में जलन,पेशाब करने में पीड़ा व पेशाब के साथ कतरे से गिरते हैं।
  • अचानक पेशाब का पूर्ण रुप से बंद हो जाना।

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