प्रोस्टेट बढ़ना क्या है ? What is prostatitis ?
प्रोस्ट्रेट ग्रंथि में सूजन या जलन को हम प्रोस्टेटाइटिस कहते हैं। ये बीमारी आपको जीवन में किसी भी उम्र में हो सकती है हालांकि वयस्क लोगों में इसके होने की सम्भावना कई गुना ज्यादा होती है। पुरुषों के ब्लेडर के निचले हिस्से में होता है। इससे बनने वाला तरल पदार्थ 50 से 75 प्रतिशत सीमेन का निर्माण होता है। पुरुषों की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है वैसे ही प्रोस्टेट ग्लैंड का आकार भी बढ़ता जाता है। कई लोगों को यूरिन के दौरान परेशानी भी होने लगती है। रिसर्च के अनुसार यूरिन के दौरान समस्या प्रोस्टेटाइटिस के साथ-साथ अन्य कारणों की वजह से भी हो सकती है। कई बार पुरुषों को इस कारण परेशानी भी होती है। अगर किसी भी पुरुष को यूरिन के दौरान कोई भी समस्या जैसे यूरिन ठीक से न होना या आपका इसपर कंट्रोल न होने की स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
प्रोस्टेट बढ़ने के कारण : causes of prostatitis :
प्रोस्टेट वृद्धि (enlarged prostate) का वास्तविक कारण अज्ञात है। उम्र में वृद्धि और अंडकोष की कोशिकाओं में परिवर्तन से सम्बंधित कारक पौरुष ग्रंथि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, इसके साथ ही उम्र बढ़ने के साथ होने वाले पुरुष सेक्स हार्मोन में परिवर्तन और टेस्टोस्टेरोन का स्तर भी पौरुष ग्रंथि को प्रभावित कर सकता है। जिन पुरुषों के अंडकोष को किसी कारणवश (अर्थात वृषण कैंसर के परिणामस्वरूप) कम उम्र में हटा दिया था उन व्यक्तियों में प्रोस्टेट बढ़ने (BPH) की समस्या विकसित नहीं होती है। प्रोस्टेट समस्याओं का पारिवारिक इतिहास भी बीपीएच के जोखिम को बढ़ा सकता है।
इसके अलावा, यदि बीपीएच विकसित होने के बाद अंडकोष को हटाया जाता है, तो प्रोस्टेट आकार में सिकुड़ने लगता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ प्रोस्टेट बढ़ने की संभावना भी बढती जाती है।
प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण : Symptoms of prostatitis :
एक दिन में आठ या उससे ज्यादा बार पेशाब आना।
मूत्र की तीव्र इच्छा – पेशाब को रोक पाने में अक्षमता (और
मूत्र प्रवाह शुरू करने में तकलीफ महसूस होना।
मूत्र धारा कमजोर या बधित होना (पेशाब करने के दौरान धारा बार-बार रुकना और शुरू होना)।
नींद के दौरान बार-बार पेशाब आना।
यूरिनरी रिटेंशन।
अचानक से पेशाब को ना रोक पाना।
पेशाब करने और स्खलन के बाद दर्द होना।
पेशाब का रंग व गंध असाधारण प्रतीत होना।
अंडकोषों में दर्द उठता रहता है।
ऐसा महसूस होता है कि पेशाब आ रहा है लेकिन बाथरूम में जाने पर बूंद-बूंद या रुक-रुक कर पेशाब होता है।
जल्दी जल्दी पेशाब होना।
पेशाब करने के बाद भी मूत्र की बूंदे टपकती रहती हैं, यानि मूत्र पर नियंत्रण नहीं रहता।
पेशाब करने में कठिनाई महसूस होना।
पेशाब की धार चालू होने में विलंब होना।
पेशाब में जलन महसूस होती है।
मूत्र की कुछ मात्रा मूत्राषय में शेष रह जाती है, इस शेष रहे मूत्र में रोगाणु पनपते हैं।
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