- ऐसे व्यक्ति जिनकी प्रतिरोधक क्षमता अन्य व्यक्ति से कम हो उन्हें यह रोग होने की पूरी संभावना रहती है।
- बहुत से ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो गले में रहते हैं पर नुकसान नहीं पहुंचाते जैसे ही शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है यह फेफड़ों में जाकर निमोनिया पैदा कर देते हैं।
- फेफड़ों के ऑपरेशन के बाद भी यह रोग हो जाता है।
- 95% रोगियों में स्ट्रैप्टॉकोकस न्यूमोनाई बैक्टीरिया निमोनिया का मुख्य कारण है।
- अत्यधिक कमजोरी भी इस रोग को फैलाने में सहायक है।
- जो व्यक्ति धूम्रपान और अल्कोहल का अत्यधिक सेवन करते हैं उन्हें भी यह निमोनिया हो सकती है।
- रोगी के ब्लड में इन्फेक्शन होने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
- जो लोग लंबे समय से बलगम की समस्या से ग्रस्त है उन्हें भी यह रोग हो जाता है।
लोबर निमोनिया के लक्षण : – symptoms of lobar pneumonia
- रोग का आक्रमण अचानक होता है।
- कुछ रोगियों में 10 – 15 दिन जुकाम रहने के बाद निमोनिया के लक्षण दिखने लगते हैं।
- रोगी को अचानक बहुत तेज जाड़ा चढ़ता है।
- बुखार 103 से 104 फारेनहाइट तक कुछ ही घंटों में पहुंच जाता है जो कई दिन तक रह सकता है।
- जाड़े के साथ कभी-कभी उल्टी भी होती हैं।
- रोगी के छाती में बहुत तेज और चुभने वाली पीड़ा होती है।
- यह दर्द कंधे कमर और पेट तक महसूस किया जा सकता है।
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- रोगी की सांसे तेज हो जाती हैं सांस अंदर लेते समय अधिक दर्द होता है।
- रोगी की भूख समाप्त हो जाती है रोगी को प्यास थोड़ी या अधिक मात्रा में लग सकती है।
- रोगी को हर समय थकान रहती है।
- निमोनिया होने पर सिर में दर्द हो सकता है।
- रोगी के होठों पर नन्हें-नन्हें दाने निकल आते हैं।
- रोगी को शुरू में सूखी खांसी होती है जिसमें बहुत कष्ट होता है।
- त्वचा पर लाली आ जाती है।
- बच्चों को खांसी के कारण उल्टी आ जाती है।
- पसलियां भीतर की और घुसी हुई महसूस होती है।
- यदि नब्ज की रफ्तार प्रति मिनट 140 से अधिक हो तो रोगी के लिए खतरा है।