Leucoderma : सफेद दाग के कारण, लक्षण और बचाव

 सफेद दाग क्या है ? What is leucoderma ?

    सफेद दाग को ल्यूकोडर्मा (Leucoderma) या विटिलिगो (Vitiligo) के नाम से भी जाना जाता है।

विटिलिगो एक ऐसा विकार होता है, जिससे शरीर के विभिन्न भागों की त्वचा पर सफेद दाग बनने लगते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि त्वचा में वर्णक (रंग) बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, इन कोशिकाओं को मेलेनोसाइट्स (Melanocytes) कहा जाता है। सफेद दाग रोग श्लेष्मा झिल्ली (मुंह और नाक के अंदर के ऊतक) और आंखों को भी प्रभावित करते हैं। 

सफेद धब्बे के संकेत और लक्षण में त्वचा का रंग खराब हो जाना या सफेद हो जाना, शरीर के किसी भी भाग की त्वचा पर दाग पड़ जाना आदि शामिल है। 




ये सफेद दाग शरीर में सिर्फ एक भाग पर भी हो सकते हैं या कई भागों में अलग-अलग फैल सकते हैं। इसके ठोस कारण के बारे में अभी तक पता नहीं चल पाया है, हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्व: प्रतिरक्षा प्रणाली (रोग से लड़ने की प्रणाली) की एक नुकसानदायक स्थिति होती है। उनके अनुसार शरीर पर सफेद धब्बे तब होते हैं, जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से त्वचा की स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।

सफेद दाग के कारण : Causes of leucoderma ?

फैमिली हिस्ट्री, यानी अगर पैरेंट्स सफेद दाग से पीड़ित रहे हैं तो बच्चों में इसके होने की आशंका रहती है। हालांकि ऐसे मामले 2 से 4 फीसदी ही होते हैं।

एलोपेशिया एरियाटा (Alopecia Areata) यानी वह बीमारी, जिसमें छोटे-छोटे गोले के रूप में शरीर से बाल गायब होने लगते हैं। सफेद दाग मस्से या बर्थ मार्क (Halo Nevus) से। मस्सा या बर्थ मार्क बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ आस-पास की स्किन का रंग बदलना शुरू कर देता है।

केमिकल ल्यूकोडर्मा (Chemical Leucoderma) यानी खराब क्वॉलिटी की चिपकाने वाली बिंदी या खराब प्लास्टिक की चप्पल इस्तेमाल करने से।

ज्यादा केमिकल एक्सपोजर यानी प्लास्टिक, रबर या केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को खतरा ज्यादा होता है। कीमोथेरेपी से भी इसकी आशंका रहती है।

थाइरॉइड संबंधी बीमारी होने पर।

कई बार शरीर में जरूरी मात्रा में विटामिन्स व मिनरल्स की कमी से भी सफेद दाग की समस्या हो जाती है। संतुलित डायट न लेने की वजह से शरीर की त्वचा के रंग से थोड़े हल्के रंग के दाग हो सकते हैं। ये दाग पूरी तरह सफेद नहीं दिखते।

कई बार किसी फंगल संक्रमण के परिणामस्वरूप भी त्वचा पर सफेद दाग की समस्या होती है।




त्वचा में सफेद दाग तब बनने लगते हैं जब रंग उत्पादन करने वाली कोशिका जो हमारे बाल, त्वचा, होंठ आदि को रंग प्रदान करती है वह काम करना बंद कर देती है या नष्ट हो जाती है। इस रोग में दाग की त्वचा का रंग हल्का पड़ जाता है या सफेद हो जाता है। इस बारे में अभी तक चिकित्सक भी नही जान पाये कि ये कोशिका काम करना क्यों बंद कर देती है। आमतौर इस इसको कुछ कारणों से जोड़ा जाता है जैसे-

एक ऐसा विकार होना जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) खुद रंग उत्पादन करने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।

स्व प्रतिरक्षा रोग (Autoimmune disease) मस्सा के इलाज में काकोदुम्बर फायदेमंदमस्सा के इलाज में काकोदुम्बर फायदेमंदजैसे स्वप्रतिरक्षित थायरॉइड रोग या टाईप 1 डायबीटीज का प्रभाव।

त्वचा का अधिक धूप (सनबर्न) तनाव या औद्योगिक केमिकल आदि के संपर्क में आना।

परिवार में किसी अन्य को यह बीमारी होना (अनुवांशिकता)।

लीवर रोग।

जलने या चोट लगने से।

पाचन तंत्र खराब होने से।

शरीर में कैल्शियम की कमी होना।

बच्चों के पेट में कृमि।




सफेद दाग के लक्षण : symptoms of leucoderma :

इस रोग का शुरुआती लक्षण यह है कि इसमें शरीर के किसी भी हिस्से में त्वचा पर छोटा सा दाग पीले रंग से शुरू होकर धीरे-धीरे सफेद रंग का बन जाता है. पीले रंग के इस दाग का आकार शुरू में काफी छोटा होता है. यदि शुरुआत में ही इसका उपचार नहीं होता तो यह दाग जगह-जगह फैलते हुए बड़े-बड़े चकतों के रूप में भी हो सकता है।

त्वचा का रंग सफेद हो जाना।

त्वचा की आसमान रंगत।

नाक और मुंह के अंदरूनी हिस्से के उत्तको मे रंग की कमी आना।

सिर, भौंहो, दाढ़ी या पलको के बालों का समय से पहले सफ़ेद होना।

आईबॉल की अंतरुणी परत के रंग में परिवर्तन आना।




सफेद दाग से बचाव :Avoiding of leucoderma ?

     सफेद चकतों या दाग को दूर करने के लिए सबसे जरूरी अपनी जीवन शैली और खान पान में परिवर्तन करना है. इससे ग्रस्त व्यक्ति को करेले की सब्जी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए. खट्टा, ज्यादा नमक वाले आहार, मछली, दूध और दही आदि के सेवन से बचना चाहिए. गर्म दूध में पिसी हुई हल्दी डालकर दिन में दो बार पीने से पांच महीने में सफेद दाग से छुटकारा मिल जाता है. साबुन और डिटरजेंट का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए.

1. बासी पानी पीकर-

सफ़ेद दाग से पीड़ित व्यक्ति इससे छुटकारा पाने के लिए तांबे के बर्तन में रात को पानी भरकर उसका सुबह उठकर सेवन करें. इसके साथ ही गाजर, लौकी और दालों का भरपूर मात्रा में सेवन करें. ऐसा करने से आपको काफी लाभ मिलेगा.




 

2. हल्दी और सरसों का तेल-

हल्दी और सरसों के तेल का मिश्रण बनाकर दाग वाली जगह लगाने से भी काफी राहत मिलती है. इसके लिए आपको एक चम्मच हल्दी पाउडर में दो चम्मच सरसों का तेल मिलाएं अब इस पेस्ट को सफेद चकतों वाली जगह पर नियमित रूप से लगाएं और 15 मिनट तक रखने के बाद उस जगह को गुनगुने पानी से धो लें.

3. नीम की पत्ती और शहद-

सफ़ेद दाग का इलाज करने के लिए नीम की ताजी कोपल के पेस्ट को छलनी में डालकर उसका रस निकाल लें. इसके बाद एक बड़ी चम्मच नीम के रस में एक चम्मच शहद मिश्रित करके दिन में तीन बार इसका सेवन करें. इसके अतिरिक्त आप दो चम्मच अखरोट पाउडर का पेस्ट बनाकर इसे दाग वाली जगह पर 20 मिनट तक लगाकर रखें. ऐसा दिन में तीन से चार बार करें.

4. बथुआ है फायदेमंद-

सफेद दाग की परेशानी से ग्रसित व्यक्ति को यदि नियमित रूप से बथुआ की सब्जी खाने को दें तो उसे काफी राहत मिलेगी. लेकिन ध्यान रहे कि बथुआ को उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग वाली जगह को दिन में तीन-चार बार धोयें. साथ ही कच्चा बथुआ का रस का दो कप और उसमें आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर सिर्फ तेल रह जाने तक पकाएं. फिर इसे उतारकर शीशी में भर लें और इसे लगातार लगाते रहें.




Read More –

ACIDITY ! गैस का बनना, एसिडिटी बनने के कारण

मस्सा क्या होता है? : कारण, लक्षण और प्रकार

STOMACH ULCER ! पेट का अल्सर, गैस्ट्रिक अल्सर, अल्सर क्या है

ENCEPHALITIS (इंसेफेलाइटिस ) दिमाग की सूजन कारण और लक्षण

CERVICAL SPONDYLITIS, गर्दन का दर्द , सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण और लक्षण

COLITIS : आंतों में जख्म, सूजन, इन्फेक्शन के कारण और लक्षण

WHAT IS CONSTIPACTION? : कब्ज के कारण और लक्षण

LYMPHATIC FILARIASIS (ELEPHANTIASIS): SYMPTOMS, CAUSES AND CURRENT TREATMENT FOR FILARIASIS

CARDIOVASCULAR DISEASES: CAUSES, SYMPTOMS & TYPES

WHAT IS FILARIASIS? – SYMPTOMS, CAUSES, TREATMENT & TREATMENT




Leave a Comment