Gallstones : पित्ताशय की पथरी के कारण और लक्षण

 पित्ताशय की पथरी क्या है ?What is gallstones ?

पित्त की पथरी यानि गॉलस्टोन छोटे पत्थर होते हैं, जो पित्ताशय की थैली में बनते हैं। पित्त की पथरी लीवर के नीचे होती है। पित्त की पथरी बहुत दर्दनाक हो सकता है यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो इसे निकालने के लिए एक ऑपरेशन की आवश्यकता हो सकती है। आपको बता दें कि पित्ताशय में जब कोलेस्ट्रोल जमने लगता है या फिर सख्त होने लगता है, तो हमें अक्सर पथरी की शिकायत हो जाती है। ऐसे में रोगी को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है और साथ में खाना पचने में भी दिक्कत आने लगती है।

लीवर और गॉल ब्लैडर के बीच बाइल डक्ट नामक एक छोटी-सी नली होती है, जिसके माध्यम से यह पित्त को गॉलब्लैडर तक पहुंचाता है। जब व्यक्ति के शरीर में भोजन जाता है तो यह ब्लैडर पित्त को पिचकारी की तरह खींच कर उसे छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में भेज देता है, जिसे डुओडेनियम कहा जाता है। इससे पाचन क्रिया की शुरुआत हो जाती है।




 

जब गॉलब्लैडर में तरल पदार्थ की मात्रा सूखने लगती है तो उसमें मौजूद चीनी-नमक और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएट तत्व एक साथ जमा होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों जैसा रूप धारण कर लेते हैं, जिन्हें गॉलस्टोन्स कहा जाता है।

कभी-कभी पित्ताशय में कोलेस्ट्रोल, बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव हो जाता है। 80 प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्रोल की बनी होती है। धीरे-धीरे वे कठोर हो जाती हैं तथा पित्ताशय के अंदर पत्थर का रूप ले लेती है। कोलेस्ट्रॉल स्टोन पीले-हरे रंग के होते हैं।

जब ब्लैडर में ब्लैक या ब्राउन कलर के स्टोन्स नजर आते हैं तो उन्हें पिगमेंट स्टोन्स कहा जाता है। कई बार गॉल ब्लैडर में अनकॉन्जुगेटेड बिलिरुबिन नामक तत्व का संग्रह होने लगता है तो इससे पिगमेंट स्टोन्स की समस्या होती है। गॉलब्लैडर में गड़बड़ी की वजह से कई बार पित्त बाइल डक्ट में जमा होने लगता है, इससे लोगों को जॉन्डिस भी हो सकता है। अगर आंतों में जाने के बजाय बाइल पैनक्रियाज़ में चला जाए तो इससे क्रॉनिक पैनक्रिएटाइटिस नामक गंभीर समस्या हो सकती है। अगर सही समय पर उपचार न कराया जाए तो इससे गॉलब्लैडर में कैंसर भी हो सकता है।




पित्त में पथरी का बनना एक भयंकर पीड़ादायक रोग है। पित्त में कोलेस्ट्रॉल और पिग्मेंट नामक दो तरह की बनती है। लेकिन लगभग 80 प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्रॉल से ही बनती है। पित्त लिवर में बनता है और इसका संग्रह गॉल ब्लैडर में होता है। यह पित्त फैट युक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। लेकिन जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो पथरी का निर्माण होता है।

अधिक वजन का होना- पित्ताशय की पथरी उस व्यक्ति को होने की संभावना अधिक होती है, जिसका अधिक वजन होता है क्योंकि अधिक वजन से उस व्यक्ति के शरीर में शुगर लेवल और ब्लड लेवर अधिक रहता है।

अधिक उम्र का होना- पित्त की पथरी होने की संभावना मुख्य रूप से 40 या उससे अधिक की उम्र के लोगों में अधिक रहती है। इसी कारण इस उम्र के लोगों को अपने सेहत का विशेष ख्याल रखना चाहिए।




अनुवांशिक कारण का होना- यदि किसी व्यक्ति के परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को पित्त की पथरी की समस्या है, तो उस व्यक्ति में इस समस्या के होने की संभावना अधिक रहती है।

मसालेदार भोजन करना- पित्ताशय की थैली में पथरी होने की संभावना उस व्यक्ति में अधिक रहती है, जो अधिक मात्रा में मसालेदार भोजन करता है। इसी कारण डॉक्टर लोगों को मसालेदार भोजन का सेवन सीमित मात्रा में करने की सलाह देते हैं।

किसी सर्जरी को कराना- पित्ताशय की पथरी उस व्यक्ति को भी हो सकती है, जिसने हाल ही में वजन कम करने की सर्जरी (बेरियाट्रिक सर्जरी) को कराया हो।




पित्त की पथरी के लक्षण : Symptoms of gallstones ?

दर्द के अटैक आने के बीच दिन, सप्ताह, महीने और यहां तक की साल का समय भी लग जाता है।

दर्द आमतौर पर फैटी भोजन करने के 30 मिनट बाद शुरू होता है।

इसका दर्द आम तौर पर गंभीर, सुस्त और स्थिर हो सकता है और यह लगातार 5 घंटों तक रह सकता है।

इसके दर्द की लहरें दाहिने कंधे व पीठ तक जा सकती हैं।

यह अक्सर रात के समय में ही होती है, जिससे मरीज नींद से जाग जाता है।

दर्द व्यक्ति को इतना मजबूर कर सकता है कि वह राहत पाने के लिए इधर-उधर हिलने लग सकता है, लेकिन कई मरीज ऐसी स्थिति में स्थिरता से लेट जाते हैं और अटैक का प्रभाव कम होने का इंतजार करते हैं।




अपच।

पेट के दाहिने तरफ ऊपरी भाग में असहनीय दर्द।

दर्द का घंटों तक रहना।

बुखार।

पीलिया।

उल्टी या मितली की समस्या।

पेट फूलने की समस्या।




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