- तिल्ली बढ़ने का कारण मुख्य रूप से मलेरिया बुखार होता है।
- टाइफाइड बुखार आने पर भी तिल्ली में वृद्धि हो सकती है।
- अगर बवासीर के रोगी को खून आना अचानक बंद हो जाए तो स्प्लीन बढ़ सकती है ।
- ल्यूकीमिया के कारण भी स्प्लीन बढ़ जाती है।
- पीरियड अचानक रुक जाने पर स्प्लीन में वृद्धि हो सकती है।
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- शुरू में खून की कमी, कब्ज, एसिडिटी, मुंह के मसूड़ों का फूलना और उनमें से खून निकलना आदि लक्षण देखे जाते हैं।
- रोगी को खून की उल्टी आ सकती है।
- रोगी के विभिन्न अंगों से खून निकलने लगता है।
- शरीर से खून निकल जाने पर शरीर पीला पड़ने लगता है और खून की कमी हो जाती है।
- तिल्ली पर सूजन आ जाने पर रोगी का पेट फूलने लगता है।
- रोगी को हल्का बुखार, खांसी, एसिडिटी, पेट में वायु, खून की कमी आदि लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।
- उपचार में लापरवाही करने पर रोगी को ascites की समस्या हो जाती है।
- खून के दस्त आ सकते हैं सारे शरीर पर सूजन आ जाती है और रोगी की मृत्यु तक हो सकती है।