Cough : खांसी आने के कारण और लक्षण

 खांसी क्या है ?What is cough ?

खांसी (Home Remedy for Cough) होना एक बहुत ही आम समस्या है। यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी को भी हो सकती है। मौसम में जरा से भी बदलाव के कारण खांसी की समस्या हो सकती है। इसमें व्यक्ति को गले में खराश होती है तथा खांसी के साथ गले में दर्द भी हो सकता है। यदि जल्दी खांसी का उपचार न किया जाए तो खाँसते-खाँसते सीने में दर्द होने लगता है।

खाँसी होना हमारे शरीर की एक रक्षात्मक प्रणाली है जो वायु मार्ग से धूल, धुएँ या बलगम को साफ करने के लिए होती है। इन कारकों से गले में इरिटेशन होती है और खाँसी के प्रकार के रूप में शरीर इनको बाहर निकालता है।




 

खांसी आने के कारण :Causes of cough:

दमा, गले में संक्रमण, टॉन्सिल्स, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में संक्रमण या दूसरी बीमारियां, न्यूमोनिया, दिल की बीमारियां, बच्चों में पेट के कीड़ों के फेफड़ों में पहुंचने पर या फिर एसिडिटी से भी खांसी हो सकती है। इस तरह खांसी को सामान्य खांसी, ठस्के वाली खांसी, कुकुर खांसी, काली खांसी और दमे से होने वाली खांसी में बांटा जा सकता है।

सांस का संक्रमण- वायु नलिकाओं में सूजन या जलन आपकी खांसी की एक वजह हो सकती है.गैस रिफ्लेक्स और एसिड रिफ्लेक्स- ऐसी स्थिति में गले में लंबे समय तक जलन रहती है. और धीरे धीरे खांसी की समस्या और बढ़ सकती है.

धूम्रपान- खांसी की एक बड़ी वजह है धूम्रपान करना. ऐसे लोगों को अक्सर खांसी की समस्या बनी रहती है. धूम्रपान करने से शरीर उन रसायनों को हटा देता है जो निकोटीन के उपयोग से वायुमार्ग और फेफड़ों में प्रवेश करते हैं.

दवाएं- कई बार लगातार दवाएं खाने से भी खांसी की समस्या हो जाती है. कुछ ऐसी दवाएं जिन्हें आप डेली लेते हैं जैसे ब्लड प्रेशर की दवा खाने से भी खांसी हो सकती है.




 

खांसी आने के लक्षण :

तेज खांसी (Acute cough) के लक्षण :

इस खांसी के लक्षण व संकेत नीचे दिए गए हैं। तीव्र खांसी को संक्रामक और गैर-संक्रामक दो कारणों में विभाजित किया गया है।

तेज खांसी के लक्षण जो किसी संक्रमण की ओर संकेत करते हैं, वो इस प्रकार हैं – बुखार, ठंड लगना, बदन दर्द, गले में खराश, मतली, उल्टी, सिरदर्द, साइनस में दबाव, नाक बहना, रात में पसीना आना और पोस्टनेजल ड्रिप (Postnasal Drip) आदि। कभी-कभी ये बलगम और कफ संक्रमण की उपस्थिति को दर्शाते हैं, लेकिन ये गैर-संक्रामक कारणों को भी दर्शाते हैं।

इस खांसी के लक्षण जो किसी असंक्रामक कारण की ओर संकेत करते हैं, वो इस प्रकार हैं – जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे वातारवरण में जाता है जहां कैमिकल या सांस लेने में तकलीफ पैदा करने वाले पदार्थ हों, और वहां पर उसे खांसी होने लगे, तो यह असंक्रामक कारण का संकेत है। agar खांसी को इनहेलर्स (इनेलर्स) या एलर्जी जैसी दवाईयों का प्रयोग करके कम किया जा सकता है, तो यह भी असंक्रामक कारण का संकेत है।




 

क्रोनिक खांसी के लक्षण :

क्रोनिक खांसी के लक्षण और संकेत को सही तरीके से जांचना डॉक्टर के लिए बेहद मुश्किल हो सकता है, क्योंकि क्रोनिक खांसी के कई कारणों के लक्षण व संकेत एक समान ही होते हैं।

यदि खांसी वातावरण में उत्तेजक पदार्थ की वजह से हुई है, तो ये तब बढ़ सकती है जब आप आपत्तिजनक या ख़राब कारकों के संपर्क में आते हैं। यदि किसी व्यक्ति को वातावरण में किसी पदार्थ से एलर्जी है, तो एलर्जी वाली दवाइयां खाकर खांसी में सुधार किया जा सकता है।

यदि खांसी धूम्रपान की वजह से है, तो धूम्रपान को कम करके खांसी में सुधार लाया जा सकता है और यदि धूम्रपान अधिक करते हैं तो खांसी और भी बढ़ सकती है।

यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय से फेफेड़ों की कोई बिमारी है, जैसे अस्थमा या क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, उसके लिए कुछ स्थान या गतिविधियों का संपर्क उनके लक्षणों को बढ़ा सकता है। ऐसी खाँसी में ज़रूरी नहीं है की खाँसी के साथ बलगाम भी आए।

अगर खांसी लंबे समय से हो रहे साइनस संक्रमण, बहती नाक या पोस्‍ट नेसल ड्रिप (बलगम के गले के पीछे की ओर बढ़ना) की वजह से होती है तो इन रोगों के लक्षण भी व्‍यक्‍ति में देखने को मिलते हैं। इन रोगों के बढ़ने पर खांसी की समस्‍या भी बढ़ने लगती है एवं इनका इलाज करने पर खांसी से भी राहत मिलने लगती है।




 

यदि कोई व्यक्ति “एंजियोटेंसिन कनवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स” (Angiotensin Converting Enzyme (ACE) Inhibitors) जैसी दवाईयों ले रहा हो, तो खांसी उन दवा को शुरू करने पर हो सकती है या फिर उन दवा के इस्तेमाल के दौरान हो सकती है। जब इन दवाईयों को लेना बंद कर दिया जाता है तो खांसी अपने आप ठीक हो जाती है।

जो खांसी गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिज़ीज़ (Gastroesophageal reflux disease) से संबंधित होती है इसमें aksar सीने में जलन होती है। इस प्रकार की खांसी दिन के दौरान ya जब हम पीठ के बल लेटे होते हैं, उस समय तेज हो जाती है। गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिज़ीज़ के मरीजों में से कुछ लोगों को रिफ्लक्स के लक्षण नहीं दिखते पर उन्हे फिर भी खांसी हो सकती है। हालाँकि ऐसे ज्यादातर लोग अपनी खांसी में सुधार महसूस करते हैं जब उनका इलाज गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिज़ीज़ के लिए किया जाता है।

यदि खांसी से किसी व्यक्ति में कैंसर के शुरूआती चेतावनी संकेत मिल रहे हैं, तो हो सकता है कि उस व्यक्ति में एक साथ कई लक्षण हों। यदि किसी व्यक्ति को फेफेड़ो का कैंसर है, तो उस व्यक्ति को खांसी के दौरान खून आ सकता है। इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण या संकेत जो कैंसर होने पर महसूस हो सकते हैं, वो इस प्रकार हैं – थकान, भूख कम लगना, वजन कम होना और उसके कोई ठोस कारण ना पता चल पाना, ठोस या तरल पदार्थों को निगलने की क्षमता कम होना आदि।




 

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