Cervical Spondylitis : सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण, लक्षण और बचाव

 सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस क्या है ?What is cervical spondylitis?

हमारी गर्दन में सात छोटी-छोटी हड्डियां होती हैं, जिनकी मदद से ही हम गर्दन को जैसा चाहें, घुमाते और झुकाते हैं। लेकिन जब हम गर्दन की क्रियाविधि में किसी तरह का अवरोध डालते हुए कंधों को बेवजह झुका कर बैठते हैं, लेट कर टीवी देखते हैं और आगे झुक कर बैठते हैं, तो रोग पैदा होने लगता है। सोने की गलत आदतें इसका बड़ा कारण हैं। सिर के नीचे तकिया लगा कर लगातार सोने की आदत भी इसका बड़ा कारण है। शारीरिक श्रम और योगाभ्यास जैसी जरूरी चीजों से दूर हो जाना और ज्यादा वक्त कंप्यूटर के सामने बैठ कर गलत तरीके से गर्दन को रख कर कार्य करना आदि एक गंभीर बीमारी को जन्म देता है, जिसे सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस कहते हैं। यह ज्यादातर 40 साल से अधिक उम्र वाले लोगों को होता है। आंख और गर्दन पर अधिक जोर देने वालों को यह बीमारी होने की आशंका अधिक होती है।




 

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण :Causes of Cervical Spondylitis:

ज्यादातर मामलों में स्पोंडिलोसिस, रीढ़ की हड्डी में हो रही टूट-फूट के इकट्ठे एक साथ प्रभाव के परिणाम से होता है। वर्टिब्रल डिस्क जिनसे रीढ़ की हड्डी का ढांचा बना होता है, वे निर्जलित (शुष्क) हो जाती हैं तो उनकी उंचाई कम हो जाती है और रीढ़ की हड्डी के लिगामेंट्स लचीलता खो देते हैं, और कठोर बन जाते हैं। इस कारण रीढ़ की हड्डी को स्थित रखने के लिए हड्डियों में उभार (bone spurs) आ जाते हैं। जैसे ही वर्टिब्रल डिस्क निर्जलित होती है और उसका आकार घटने लगता है, तो इनमें आपस की दूरी कम होने लग जाती है, जिस कारण से रीढ़ की हड्डी के अंदर से निकलने वाली नसों के रास्ते कम होने लग जाते हैं। हमारा शरीर हड्डियों में उभार लाकर वर्टिब्रल के घटे हुए आकार को पूरा करने की कोशिश करता है।




 

अधिक वजन बढ़ना या निष्क्रिय होना।

मानसिक बीमारियां जैसे चिंता व अवसाद।

मोटापा ।

काम संबंधी गतिविधियां जैसे वजन आदि उठाना जो गर्दन पर अधिक तनाव डालती हैं।

लंबे समय तक गर्दन को किसी बिना आराम वाली  अवस्था में रखना या गर्दन को एक ही गति में बार-बार घुमाना या हिलाना।

धूम्रपान करना भी गर्दन के दर्द से जुड़ा होता है।

अधिक जोरदार परिश्रम वाले खेलों में भाग लेना।

बैठने और खड़े होने की गलत मुद्रा।

आनुवंशिकी।




 

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण :Symptoms of cervical spondylitis:

हाथ, हाथ, पैर और पैरों में कमजोरी या कमजोरी और झुनझुनी, क्योंकि ये हिस्से सीधे ग्रीवा की नसों से जुड़े होते हैं

समन्वय की कमी के कारण ‌चलने और अन्य आकस्मिक गतिविधियों में कठिनाई

हाथों और पैरों द्वारा असामान्य सजगता।

मांसपेशियों में ऐंठन।

गर्दन में अकड़न।

सर के पिछले हिस्से में दर्द।




 

गर्दन में दर्द जो बाजू और कंधों तक जाती है।

गर्दन में अकड़न जिससे सिर हिलाने में तकलीफ होती है।

सिर दर्द विशेषकर सिर के पीछे के भाग में (ओसिपिटल सिरदर्द)कंधों, बाजुओं और हाथ में झुनझुनाहट या असंवेदनशीलता या जलन होना।

मिचली, उल्टी या चक्कर आना।

मांसपेशियों में कमजोरी या कंधे, बांह या हाथ की मांसपेशियों की क्षति।

निचले अंगों में कमजोरी, मूत्राशय और मलद्वार पर नियंत्रण न रहना।




 

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस से बचाव :Avoidance of Cervical Spondylitis:

शराब का अत्यधिक सेवन बंद करें।

खूब आराम करें।

नियमित रूप से व्यायाम करें (एरोबिक व्यायाम विशेष रूप से अच्छा है)।

शरीर का स्वस्थ वजन प्राप्त करें और बनाएं रखें।

ठीक तरीके से खड़ें हो या बैठें।

ठीक तरीके से वजन आदि उठाना सीखें।

स्वास्थ्यवर्धक खाएं (अच्छी तरह संतुलित, कम वसा वाले तथा भरपूर फल व सब्जियों का सेवन करें)।

धूम्रपान बंद करें।




 

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