Carcinoma of the uterus Symptoms and Causes गर्भाशय ( बच्चेदानी ) के कैंसर का कारण और लक्षण
गर्भाशय का कैंसर क्या है ? What is uterine cancer ?
गर्भाशय का कैंसर गर्भाशय से प्रारंभ होकर बहुत तेजी के साथ अंदर और बाहर कि ओर फेल जाता है। गर्भाशय का कैंसर गर्भाशय के बाहर की ओर बहुत लंबेेे समय तक प्रभाव नहीं डालता है। आसपास की ग्रंथियांं बढ़ जाती है। गर्भाशय गोभी के फूल जैसा हो जाता है। गर्भाशय के कैंसर में स्त्री को अनियमित रूप से पीरियड होतेे हैं। अधिक उम्र हो जाने पर पीरियड बंद हो जाने के कारण खून आनेे लगता है। गर्भाशय के कैंसर में अधिक मात्रा मेंं पानी आने लगता है और अधिक मात्रा में बदबूदार द्रव निकलता है।
35 से 50 साल की स्त्रियों को यह रोग अधिक होता है। अविवाहित लड़कियों में इसकी संभावना कम ही रहती है। इस रोग से पीड़ित 30% मरीजों में केवल स्त्रियां ही होती है। पीरियड बंद हो जाने के बाद किसी किसी स्त्री के गर्भाशय में छोटी छोटी गांठे या ट्यूमर निकलता है। यह ट्यूमर बढ़ता जाता है और बीच-बीच में इससे कभी कम और कभी अधिक खून निकलता है। यह ट्यूमर बढ़कर धीरे-धीरे सारे गर्भाशय को घेर लेता है। बच्चेदानी के गर्दन के निचले भाग में जो कैंसर होता है उसे सर्वाइकल कैंसर कहते हैं। बच्चेदानी के अंदर या ऊपरी भाग के कैंसर को यूटेराइन कैंसर कहते हैं। लेकिन दोनों के कैंसर को गर्भाशय यह बच्चेदानी कैंसर के रूप में जाना जाता है।
गर्भाशय का कैंसर के कारण : Causes of uterine cancer:
- थोड़ी उम्र में अधिक संतान होने से गर्भाशय का कैंसर हो जाता है।
- अगर किसी कारण से गर्भाशय में चोट लग जाए तो गर्भाशय का कैंसर हो जाता है।
- पीरियड के समय में असावधानी बरतने से।
- लंबे समय तक लिकोरिया की समस्या होने के कारण भी गर्भाशय का कैंसर हो जाता है।
- अत्यधिक चाय का सेवन करने से।
- तेज मिर्च मसाले अधिक मात्रा में खाने से।
- देर रात तक जागने से।
- अत्यधिक धूम्रपान या पान खाने से।
- शारीरिक दुर्बलता भी गर्भाशय के कैंसर का कारण है।
- महिलाओं में एस्ट्रोजेन का अधिक समय तक प्रयोग करने से भी गर्भाशय का कैंसर हो जाता है।
- डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर भी गर्भाशय के कैंसर को जन्म देता है।
- शारीरिक मोटापे के कारण भी गर्भाशय का कैंसर हो जाता है।
- कुछ वैज्ञानिकों ने लीवर सिरोसिस के कारण महिलाओं को गर्भाशय के कैंसर से ग्रस्त होते देखा है। इसमें एस्ट्रोजेन की उत्तेजना ही इसका एकमात्र कारण है।
- योनि से दुर्गंधयुक्त सफेद मवाद या पीले पानी का निकलना।
- योनि से असामान्य रक्त स्राव का होना।
- योनि में घाव या गांठ का पड़ जाना।
- संभोग के बाद या पीरियड के बीच में नियमित रूप से खून का आना।
- रोगी के पेट में कमर में और पैरों में दर्द का होना।
- पेशाब बंद हो जाता है।
- उल्टी या बेहोशी आने लगती है।
- रोग अधिक बढ़ जाने पर पेशाब मल के रास्ते आ जाता है।
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- पैरों में अत्यधिक सूजन आ जाती है।
- बहुत दिनों तक लगातार खून आता रहता है।
- गर्भाशय के किसी एक भाग में घाव हो जाता है।
- बुखार और अत्यधिक कमजोरी आ जाती है।
- दुर्गंध युक्त खून विभिन्न रंगों का आता है।
- पेशाब करते समय परेशानी होती है।
- पतला दस्त होने पर भी दस्त करते समय तकलीफ होती है।
- सांस लेने में परेशानी होती है।
- रोग के अधिक बढ़ जाने पर मल और पेशाब बंद हो जाते हैं।
- गर्भाशय के कैंसर का प्रमुख लक्षण पीरियड का अनियमित होना व जरूरत से अधिक मात्रा में होना है।