Cancer in Children : बच्चों में कैंसर के कारण और लक्षण

 

बच्चों में कैंसर क्या है ? What is cancer in children?

    बच्चों में पाया जाने वाला कैंसर बड़ों की अपेक्षा काफी अलग होता है। इनमें ब्लड कैंसर अन्य कैंसर की तुलना में सबसे अधिक होता है तथा कैंसर विशेषज्ञ के पास आने वाले लगभग 30% बच्चे ब्लड कैंसर के रोगी होते हैं। दूसरे नंबर पर आते हैं मस्तिष्क के कैंसर के यह बच्चों में पाया जाने वाला कैंसर का 15% होता है। हड्डियों तथा मांसपेशी का कैंसर तीसरे नंबर पर आता है इनका प्रतिशत कुल कैंसर का 14% है। अन्य कैंसर जो बच्चों में देखे जाते हैं वह है ग्लैंड के कैंसर, गुर्दे का कैंसर, स्नायु तंत्र का कैंसर आदि कैंसर देखने को मिलते हैं परंतु एक विशेष प्रकार का कैंसर बरकिट लिंफोमा अफ्रीकी बच्चों में अधिक पाया जाता है। आंकड़ों के अनुसार 10 लाख की आबादी में लगभग 100 बच्चों को कैंसर होता है। बच्चे में पाए जाने वाले कैंसर जड़ से तो समाप्त नहीं होते पर दब जाते हैं। जिंदगी के दिन और बढ़ जाते हैं।




 

बच्चों में कैंसर के कारण :Causes of cancer in children:

  • बच्चों में होने वाले कुछ कैंसर रोग के कारण मां में खोजे जा सकते हैं। जैसे यदि मां ने एक विशेष प्रकार की औषधि का सेवन किया है तो बच्चों को कैंसर हो सकता है। इस प्रकार यदि पेट में बच्चा होने के समय मां के पेट का एक्सरे होता है तथा उसे किरणों की अधिक मात्रा मिलती है तो बच्चा कैंसर का शिकार हो जाता है। हिरोशिमा और नागासाकी के बम विस्फोट के दौरान गर्भवती महिलाओं को किरणों की असामान्य मात्रा मिली उससे उनकी संतानों को आगे चलकर कैंसर हुआ इसलिए यह आवश्यक है कि गर्भवती महिला बिना चिकित्सा क सलाह के अपना किसी भी प्रकार का एक्स-रे नहीं कराए। 
  •  गर्भवती महिलाओं में होने वाले कुछ वायरस संक्रमण भी बच्चों के कैंसर का कारण बन जाते हैं।  बच्चों में होने वाले कुछ कैंसर आनुवंशिक भी होते हैं जैसे आंखों में होने वाला रेटिनब्लास्टोमा नामक का कैंसर, गुर्दों में होने वाला विल्मस ट्यूमर नाम का कैंसर।  
 



 
 
बच्चों मैं कैंसर के लक्षण :Symptoms of cancer in children:
 
      रोग उत्पन्न होने से पहले दर्द तथा उस स्थान में सूजन के लक्षण दिखाई देते हैं जैसे-जैसे धीरे-धीरे रोग बढ़ जाता है वैसे वैसे लक्षण प्रतीत होते जाते हैं। इस रोग का पता उस स्थान का एक्स-रे लेने पर लगता है। इसके बाद बायोप्सी द्वारा निश्चित रूप से पता चल जाता है। रोगी की आंखों की रोशनी कम हो जाती है। 
 
  • बच्चों के भार में कमी आ जाती है।
  • बच्चों का गला बैठ जाता है और लगातार खांसी उठती है।
  • त्वचा पर विभिन्न प्रकार के धब्बे बन जाते हैं।  
  • शरीर पर उपस्थित मस्से या तिल में परिवर्तन दिखाई देते हैं।
  • शरीर के कुछ भागों में वृद्धि देखी जा सकती है।
  • ऐसे घाव बन जाते हैं जो जल्दी से नहीं भरते हैं।
  • बच्चों को अपच की समस्या रहती है।
  • अचानक रक्त निकलने लगता है।
  • रोगी बहुत कमजोर हो जाता है।
  • भूख भी कम हो जाती है।
  • रोगी का मानसिक विकास रुक जाता है।
  • आंखों की रोशनी कम हो जाती है।
  • सांस लेने में समस्या होती है।
  • जहां ग्रंथि उत्तेजित होती है वहां दर्द होता है।




 

 
 

 

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