Broncho-Pmeumonia ! ब्रोंको – निमोनिया क्या है ? Broncho-Pmeumonia symptoms in Hindi

ब्रोंकोनिमोनिया क्या है ? What is Broncho-Pmeumonia ?   यह बच्चों का निमोनिया है, 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों में अधिकतर इसका आक्रमण होता है। आम बोलचाल में इसे पसलिया चलना कहा जाता है। इस निमोनिया में फेफड़ों के साथ-साथ सांस की नली पर संक्रमण हो जाने से फेफड़ों में जगह-जगह, छोटे-छोटे घाव हो जाते हैं। यह ज्यादातर बच्चों व बूढों में होता है। यह एक तीव्र संक्रमण रोग है। यह लोबर निमोनिया की अपेक्षा अधिक खतरनाक होता है।
ब्रोंकोनिमोनिया के कारण : 
  • यह रोग वायरस, फंगस, कीड़े, जहरीली गैस किसी से भी हो सकता है।
  • यह ज्यादातर उन बच्चों को होता है जो हाल ही में खसरा, काली खांसी आदि से मुक्त हुए हैं।
  • कमजोर बच्चों में इसका आक्रमण ज्यादा होता है।
  • बड़े व्यक्तियों में इसका प्रकोप फ्लू के आक्रमण के बाद होता है।
  • यदि खाना सांस नली में चला जाए तब भी यह रोग हो जाता है।
  • टीवी के रोगियों को यह रोग अधिक होता है।
  • जो व्यक्ति लंबे समय से बीमार है उन्हें यह रोग हो जाता है।
  • सांस नली पर सूजन हो जाने के कारण फेफड़ों की वायु दूषित हो जाती है जिस कारण यह रोग हो सकता है।
  • ब्रोंकाइटिस तथा ऐफीसीमा के पुराने रोगियों को यह है जल्द ही अपनी चपेट में ले लेता है।
  • जो व्यक्ति लंबे समय से बुखार से पीड़ित है उन्हें यह रोग हो सकता है।
ब्रोंकोनिमोनिया के लक्षण : – symptoms of Broncho-Pmeumonia:
  • रोग तेज बुखार और ठंड के साथ अचानक आता है।
  • पहले दो-तीन दिन तक रोगी को केवल खांसी आती है, बाद में तेज बुखार होता है रोगी जल्दी-जल्दी सांस लेता है।
  • शरीर का तापमान 102 डिग्री से 103 डिग्री फॉरेनहाइट तक बढ़ जाता है।
  • बच्चा बार बार खांसता है, जिस कारण उसका गला बैठ जाता है। रोने पर उसकी आवाज बैठी अथवा फंसी हुई सुनाई देती है, कभी-कभी गले से सायं – सांय की आवाज आती रहती है।
  • बड़ों को खांसी के साथ बलगम निकलता है। लेकिन बच्चों में बलगम ने निकल पाने के कारण गले में खरखड़ा हट की आवाज होती है।
  • रोगी बेचैन और सुस्त रहता है। उसका किसी काम में मन नहीं लगता।
  • रोगी की भूख भी कम हो जाती है।
  • बच्चों में ज्यादा खांसी होने से उल्टी आती है और छाती में दर्द होता है, जिससे कमजोरी आ जाती है।
  • बुखार तेज हो जाता है। सांस लेने में कष्ट होने लगता है और उल्टी आती है।
  • सांस लेते समय पसलियों में दर्द होता है।
  • इसमें बुखार धीरे-धीरे उतरता है बीच-बीच में बढ़ भी सकता है।
  • ऑक्सीजन की कमी और शरीर में विषैले पदार्थ बढ़ जाने के कारण रोगी की मृत्यु हो जाती है। यदि बच्चों का रंग नीला पड़ने लगे तो ऐसे समय पर ऑक्सीजन देनी चाहिए।

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बचाव :
 
  • भोजन में विटामिन ए,विटामिन सी और विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में देनी चाहिए। 
  • शुरू में ही खासी व जुकाम का उपयुक्त उपचार कराना चाहिए।
  • रोगी को स्वास्थ्य हवादार कमरे में आराम कर आना चाहिए।
  • बिस्तर और कमरा साफ होना चाहिए।
  • गर्म कपड़े से शरीर ढाका रहना चाहिए।
  • गर्म कपड़े अधिक भार वाले नहीं होने चाहिए जिस कारण सांस लेने में समस्या हो सकती है।
  • रोगी को दिन में कई बार गर्म पानी पिलाना चाहिए।

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