मस्तिष्क की चोट क्या है ?What is brain injury ?
मस्तिष्क की चोट ऐसी चोट है जो मस्तिष्क कोशिकाओं के नुकसानऔर उनके नष्ट होने का कारण बनती है। यह घटी हुई या परिवर्तित चेतना की स्थिति उत्पन्न कर सकती है, जिसके परिणामस्वरूप संज्ञानात्मक और शारीरिक क्षमताओं पर कुप्रभाव पड़ता है। सिर पर अचानक, हिंसक प्रहार से मस्तिष्क को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। चोट के लक्षण चोट की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। इसके लक्षणों में कन्फ्यूजन, सिरदर्द, दौरे, अंधापन, याददाश्त सम्बन्धी समस्याएं, बेहोशी और कोमा शामिल हैं। अधिकांश बाहरी आघात से हुई मस्तिष्क की चोटें सामान्य होती हैं और जानलेवा नहीं होती हैं, परन्तु कभी-कभी हल्की चोट भी गंभीर और दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती है। मस्तिष्क की गंभीर चोट व्यक्ति की सीखने और सोचने के कौशल सहित को प्रभावित कर सकती है। यह कोमा या मृत्यु का कारण भी बन सकती है।
मस्तिष्क की चोट के कारण :Causes of brain injury:
- अगर लंबे समय तक मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिले तो मस्तिष्क को नुकसान पहुंच सकता है।
- खेलों में लगी चोट युवाओं में मुख्य रूप से पाई जाती हैं।
- गिरना या एक्सीडेंट चोट का एक मुख्य कारण है यह बुजुर्गों और बच्चों में अधिक होता है।
- कारों, मोटरसाइकिलों या साइकिलों से एक्सीडेंट और ऐसे दुर्घटनाओं में शामिल पैदल यात्री।
- विस्फोटक ब्लास्ट सक्रिय सैन्य कर्मियों में ट्रॉमेटिक चोट का एक आम कारण है।
- अधिक मात्रा में अल्कोहल का सेवन करना।
- ड्रग जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करना।
- वायरस और बैक्टीरिया मस्तिष्क की गंभीर और जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
- रासायनिक पदार्थों के संपर्क में आ जाने के कारण।
- न्यूरोलॉजिकल बीमारी होने के कारण।
- दिल का दौरा पड़ने से।
- धमनियों की दीवारों से अधिक सूजन।
- ट्यूमर भी मस्तिष्क की चोट का कारण बन जाते हैं।
- यदि रक्त वाहिका के फटने के कारण मस्तिष्क में खून बहता है, तो रक्त प्रवाह में कमी और रक्त से हुए मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान होता है जिससे मस्तिष्क को क्षति हो सकती है।
- रोगी को बेहोशी आती है।
- नई जानकारियां याद रखने में परेशानी होती है।
- सिर की चोट के कारण रोगी को लकवा आता है।
- उल्टी आती है।
- सिर दर्द बना रहता है।
- हर समय सुस्ती रहती है।
- आंखों की पुतलियों का चौड़ा होना।
- धुंधला या दोहरी दृष्टि, तेज़ रोशनी को सहन न कर पाना, आंखों को हिला ना पाना और अंधापन।
- रोगी को बोलने में कठिनाई होती है।
- समझने में समस्या होती है।
- निगलने में कठिनाई होना।
- शरीर का सुन्न पड़ जाना।
- चेहरे की मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है।
- पलके लटक सकती हैं।
- आंतों की समस्या हो जाती है।
- रोगी बेतुकी बातें करता है।
- कानों में आवाजें आती है।
- सुनने में समस्या होती है।
- ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।
- सांस लेने में समस्या होती है।
- चक्कर आने की शिकायत रहती है।
- नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
- कार चलाते समय सीट बेल्ट अवश्य पहने।
- 12 साल से कम उम्र के बच्चों को पिछली सीट पर बैठाये।
- मोटरसाइकिल चलाते समय हेलमेट अवश्य पहने।
- खेलते समय उचित कपड़े अवश्य पहने।
- ऐसे किसी भी तरह के कपड़े नहीं पहने जिससे आपकी दृष्टि में धुंधलापन हो।
- जब आप बहुत थके हुए हो तो खेल में भाग न ले।
- शारीरिक ताकत और स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।
- कभी भी बच्चों को पकड़कर जोर से न हिलाएं।
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