
- वह व्यक्ति जिनके परिवार में यह रोग पहले से होता है।
- ऑपरेशन के बाद भी यह रोग शुरू हो जाता है।
- अगर गुर्दों के द्वारा यूरिक एसिड पूर्ण रूप से शरीर से बहार न निकले जिसके कारण इसकी मात्रा बढ़ती चली जाती है। इसे यूरिक एसिड के क्रिस्टल बनकर कनेक्टिव टिशु में एकत्र हो जाते हैं।
- औषधि के अत्यधिक सेवन से।
- अत्यधिक अल्कोहल का सेवन करने से।
- चोट लग जाने के कारण।
- सीलन वाली जगह में लंबे समय तक रहने से।
- पसीने से तर शरीर में ठंडी हवा का लग जाना।
- सीसा धातु वाली जगह पर काम करने से लेट पॉइजनिंग के कारण।
- संक्रमण के कारण जोड़ों में आने वाली सूजन।
यह बीमारी ठंड, बसंत और वर्षा ऋतु में ज्यादा होती है। एक बार होकर आराम हो जाने के बाद फिर हो सकती है। पुरानी हो जाने पर हृदय और गुर्दों पर असर पड़ता है। अक्सर जोड़ों पर लगने वाली चोट पर ध्यान नहीं दिया जाता जोड़ों पर गंदगी अथवा फोड़ा आदि होने पर संक्रमण हो जाता है। संक्रमण के कारण अक्सर जोड़ों की झिल्ली के अंदर पस पड़ जाता है। जिसके कारण जोड़ खराब हो जाते हैं। यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
गठिया के लक्षण :Symptoms of arthritis:
- शुरू में पाचन संबंधी गड़बड़ी होती है।
- रोगी का पेट फूलता है गैस बनती है।
- भूख भी कम हो जाती है।
- लंबे समय से कब्ज की शिकायत रहना।
- पेशाब कम मात्रा में गाढ़ा और लाल हो जाना।
- नींद का कम हो जाना।
- हृदय ज्यादा धड़कता है।
इसके बाद अचानक दर्द शुरू हो जाता है। रोग वाली जगह गर्म होती है और जलन महसूस होती है। पहले पैर के अंगूठे के अगले भाग की गांठ पर रोग का आक्रमण होता है और फिर एड़ी और घुटना आदि पर फैल जाता है।
- जोड़ों की सूजन के साथ जोड़ टेढ़ी-मेढ़ी हो जाते हैं।
- रोगी लंगड़ा कर चलता है।
- रोगी के कमर में दर्द और सिर दर्द भी हो सकता है।
- रोगी को सांस लेने में समस्या हो सकती है।
- आतो और लिवर की खराबी के कारण।
- रोगी के पसीने में अजीब सी गंध आती है।
- इसे रोग का आक्रमण अचानक व ज्यादातर रात में होता है।
- यह रोग मुख्य रूप से हाथ व पैरों के छोटे जोड़ों में मिलता है।
- यह रोग स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में अधिक पाया जाता है।
गठिया का पहला आक्रमण अक्सर रात के समय होता है। रोगी आराम पूर्वक सोया हुआ होता है, परंतु अचानक हाथ पैर के अंगूठे में तेज दर्द से उसकी आंखें खुल जाती हैं। और सुबह होते होते दर्द कम हो जाता है। एक जोड़ के बाद दूसरा व दूसरे के बाद तीसरा तथा अन्य जोड़ प्रभावित होते जाना इस रोग का एक हाथ लक्षण है। इस रोग में घुटने, कोहनियां कलाई अधिकतर प्रभावित होते हैं।
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