इस औषधि का लक्षण यह है कि दोनों कंधों के बीच ठंड का अनुभव होता है छाती की दो तकलीफों में इस मेडिसिन का इस्तेमाल किया जाता है एक तो खांसी में दूसरा खांसी के बिना छाती में होने वाले दर्द में।
कब्ज की पुरानी समस्या में इस मेडिसिन का इस्तेमाल करना चाहिए। मलद्वार से मल नहीं उतरता मल कठोर हो जाता है मल सूख जाता है मल टूट टूट कर गिरता है कठिनाई से मल नकलता है। मल के रंग में परिवर्तन आते रहते हैं।
मांसपेशियों और जोड़ों में खिंचाव होता है दर्द होता है गठिया या पुरानी मिचकोड़ के दर्द में इस औषधि का इस्तेमाल करना चाहिए मांसपेशियों और जोड़ों में एक प्रकार का तनाव अनुभव होता है जब मांसपेशियों में खिंचाव के कारण उनके कार्य करने की असमर्थता का अनुभव हो तब इस औषधि का इस्तेमाल करना चाहिए।
अगर महिलाओं में रात के समय लेटने के बाद मासिक धर्म की समस्या हो जाए और दिन के समय स्त्री सही रहे तो उस समय इस मेडिसिन का इस्तेमाल करना चाहिए।
गले में जलन की अनुभूति हो गले में चिपचिपा बलगम अधिक रहे गले में सूजन आ जाए तो को निगलने में दर्द हो बार-बार गले से बलगम बाहर निकले खांसी बार-बार आए आवाज बैठ जाए उस समय इस औषधि का इस्तेमाल करना चाहिए खांसी के साथ कमजोरी आने पर इस औषधि का इस्तेमाल करना चाहिए।
रोगी अनुभव कहता है कि उसके सारे शरीर की नसों में खून उबल रहा है शरीर की झील्ली में जलन हो रही है शरीर में काटने का सा अनुभव हो रहा है गर्मी की लहरें उठ रही हो और पसीना आने पर समाप्त हो जाती हो रात के समय अधिक पसीना आता है बुखार में बार बार गर्मी की लहर आती है और हर गरम लहर के बाद पसीना आ जाता है तो इस मेडिसिन का इस्तेमाल करना चाहिए।
रोगी की टांगे पतली होती हैं। रोगी आलसी स्वभाव का होता है ठंड और खुली हवा को बर्दाश्त नहीं कर सकता गर्मी की लहरें शरीर में उठती है तो उसके बाद पसीना आने पर औषधि का इस्तेमाल करना चाहिए रोगी किसी किसी व्यक्ति के लिए नफरत करता है। रोगी के सिर और छाती के रोगों के लक्षण सुबह के समय बढ़ जाते हैं। पेट की शिकायतों के लक्षण दोपहर को बढ़ते हैं। त्वचा और बुखार से संबंधित लक्षण शाम के समय बढ़ जाते हैं तो इस मेडिसिन का इस्तेमाल करना चाहिए।
Modalities :
- ठंड में रोग में कमी आ जाती है।
- खुली हवा में रोग में कमी का आना।
- तेज चलने से रोग में कमी होना।
- सुबह के समय सिर और छाती के रोगों का बढ़ना।
- दोपहर के समय पेट के रोगों का बढ़ना।
- शाम के समय त्वचा, बुखार विभिन्न अंगों में रोगों का बढ़न।
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