थायराइड क्या है ?What is thyroid ?
थायराइड एक एंडोक्राइन ग्रंथि है जो ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थायरोक्सिन (T4) नामक दो हार्मोन बनाती है। इन हार्मोनों का उत्पादन और स्राव थायराइड-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। टीएसएच पिट्यूटरी में बनता है जिसके स्राव को थायराइड रिलीज करने वाले हार्मोन या टीआरएच द्वारा नियंत्रित किया जाता है। थायराइड ग्रंथि के अधिक मात्रा में या कम हार्मोन बनाने के कारण थायराइड संबंधी समस्या उत्पन्न हो जाती हैं। थायराइड की समस्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक पाई जाती है।
थायराइड मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं –
- हाइपरथायराइड ।
- हाइपोथायराइड।
- भोजन में उच्च मात्रा में नाइट्रेट लेना और फूड एडिटिव्स की वजह से भी थायराइड हो सकता है।
- अधिक धूम्रपान करने के कारण थायराइड संबंधी कैंसर हो जाते हैं।
- जिन महिलाओं में गर्भाशय निकालने वाला ऑपरेशन किया जाता है ऐसी महिलाओं में थायराइड संबंधी रोग हो जाते हैं।
- इंसुलिन रेसिस्टेंस और टीएसएच का लेवल बढ़ने के कारण डायबिटीज के मरीज़ों में थायराइड का खतरा बढ़ जाता है।
- कम उम्र में थायराइड ग्रंथि रेडिएशन के प्रति बहुत संवेदनशील होती है। इन रेडिएशन के कारण कार्सिनोजेनिक बदलाव होता है। डायग्नोस्टिक इमेजिंग प्रक्रिया की वजह से भी थायराइड का खतरा बढ़ सकता है।
- जिन व्यक्तियों के माता-पिता में किसी एक को थायराइड संबंधी रोग है तो उनके बच्चों में भी यह रोग हो सकता है।
- परिवार में किसी सदस्य को हाइपोथायराइडिज्म होने पर अन्य सदस्यों में भी इसका खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में जन्मजात हाइपोथायराइडिज्म बहुत सामान्य है। इसके अलावा कम आयोडीन वाला आहार भी हाइपोथायराइडिज्म का महत्वपूर्ण कारक है।
- सिर में चोट लगने के कारण।
- पिट्यूटरी की सर्जरी होने पर।
- अधिक मात्रा में दवाई के इस्तेमाल करने से दवाइयों के साइड इफेक्ट होने पर।
- थायराइड ग्रंथि के बाद थायराइड हार्मोन को बनाने में आयोडीन अहम भूमिका निभाता है और इसकी कमी की वजह से हाइपोथायराइडिज्म हो सकता है।
- थायराइड ग्रंथि में ऑटोइम्यून सूजन के कारण थायराइड ग्रंथि कम सक्रिय हो जाती है।
- हार्मोन की कमी के कारण हाइपोथायराइडिज्म होता है।
- हाइपरथायराइडिज्म का सबसे सामान्य कारण ग्रेव्स डिजीज है। ये एक ऑटोइम्यून रोग है जिसमें ऑटो एंटीबॉडीज अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का उत्पादन एवं स्राव करने के लिए ग्रंथि को उत्तेजित करने लगती हैं। ये समस्या पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में देखी जाती है।
- थायराइड ग्रंथि पर गांठ बनने के कारण हार्मोन अधिक मात्रा में बनने लगते हैं।
- मानसिक तनाव बना रहता है।
- रोगी डिप्रेशन में रहता है।
- गला बैठा हुआ रहता है।
- मांसपेशियों में अकड़न रहती है।
- वजन में लगातार वृद्धि होती रहती है।
- सर्दी अधिक लगती है।
- बाल लगातार झड़ते रहते हैं।
- थकान रहती है।
- त्वचा पर रूखापन और त्वचा पतली हो जाती है।
- बाल और नाखून कमजोर हो जाते हैं।
- नींद बहुत कम आती है।
- गर्मी अधिक लगती है।
- आंखों में लालपन और सूखापन रहता है।
- बाल अधिक झड़ते हैं।
- रोगी को प्यास अधिक लगती है।
- दिल की धड़कन तेज रहती है।
- रोगी को थकान बनी रहती है।
- सांस फूलने की शिकायत रहती है।
- वजन कम होता जाता है।
- चिंता, घबराहट और बेचैनी रहती है।
- मूड में बदलाव आता रहता है।
- गर्दन में सूजन आ जाती है।
- आवाज में बदलाव आ जाता है।
- सांस लेने में परेशानी होती है।
- खाना निगलने में दिक्कत होती है।
- गले में तेजी के साथ गांठ बढ़ती है।
- बिना किसी संक्रमण के कारण लगातार खांसी आती रहती है।
- गले में सूजन आ जाती है और दर्द होता है।
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