पानी पीने के भी है कुछ खास नियम

 पानी पीने के भी है कुछ खास नियम :There are some special rules for drinking water too:

      पानी मनुष्य ही नहीं, जीवन मात्रा के शरीर का अनिवार्य पोषक तत्व है। इसकी अनिवार्यता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि हम भोजन के बिना तो कुछ दिन तक जीवित भी रह सकते हैं। किंतु पानी के बिना नहीं। पानी अपने कुछ विशेष गुणों के कारण हमारे शरीर के पोषण में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर के निर्माण तथा पोषक में अपनी अति महत्वपूर्ण भूमिका के कारण ही किसी भी स्थिति में पानी पीना वर्जित नहीं है कोई बीमारी तक ऐसी नहीं है जिसमें पानी पीना मना हो।

     पानी हमारे शरीर के लिए तब और लाभदायक सिद्ध होता है जब हम उसे भली-भांति बैठकर अपनी आवश्यकता के अनुसार स्वाद ले लेकर पिए। क्योंकि स्वाद लेकर तथा घुट घुट कर पानी से पानी में लार की अधिक मात्रा मिल जाती है। इससे शरीर का रक्त लाल पतला और शुद्ध होता है।




 

      कुछ परिस्थितियों में किया गया पानी सेहत को लाभ नहीं बल्कि थोड़ी बहुत हानि भी पहुंचाता है जैसे हड़बड़ी में अथवा हंसते-हंसते या बातें करते-करते पिया गया पानी कभी नाक से बाहर निकल जाता है। जिससे कुछ समय के लिए गले में खराश उत्पन्न हो जाती है। भोजन करने के तुरंत पहले अथवा भुने हुए चने खाने के तुरंत किया गया पानी पाचन क्रिया को कम कर देता है। जबकि भोजन करने के तुरंत बाद पिया गया पानी शरीर पर चर्बी नहीं बढ़ाता बल्कि ताकत भी कम करता है।

  • पेट में भारीपन, खट्टी डकार आना, पेट में जलन में गर्म पानी पीना चाहिए। क्योंकि इन सब का कारण पाचन तंत्र में खराबी होना है तथा गर्म पानी पाचन तंत्र की खराबी दूर करता है।   
  • उपवास के समय पाचन अंगों को भोजन पचाने का काम नहीं करना पड़ता इस कारण वे शरीर में जमे जहर को निकालना शुरू कर देते हैं यह जहर शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक होता है इसलिए उपवास के समय अधिक पानी पीना चाहिए जिससे यह जहर पानी के साथ खुलकर शरीर से बाहर निकल जाए।
  • दिन में दो-तीन घंटे के अंतर पर पानी अवश्य पीना चाहिए क्योंकि इससे ग्रंथियों का स्राव पर्याप्त मात्रा में निकलता रहता है तथा यह स्राव शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है।
  • लू तथा गर्मी लग जाने पर ठंडा पानी व सर्दी लग जाने पर गर्म पानी पी।ना चाहिए जिससे शरीर को राहत मिलेगी।
  • डायरिया, हैजा, उल्टी, दस्त की अन्य बीमारियों के समय उबालकर ठंडा किया पानी पीना चाहिए क्योंकि यह पानी कीटाणु रहित होता है तथा उल्टी दस्त की बीमारियों के कारण शरीर में हो जाने वाली पानी की कमी को रोकता है।
  • पथरी, पीलिया, मोटापा, कब्ज, ब्लड प्रेशर, बुखार, जुखाम, खांसी, अस्थमा, निमोनिया, पेशाब संबंधी संक्रमण रोगों से ग्रस्त हो जाने पर भी पानी अधिक पीना चाहिए क्योंकि इन बीमारियों के समय पिया गया पानी दवाइयों का काम करता है
  • सुबह उठकर कुल्ला करने के बाद सबसे पहले पानी ही पीना चाहिए। चाहे प्यास लगी हो अथवा नहीं, सूर्य उदय से पहले उठकर नियमित पानी पीने से कई जटिल बीमारियां दूर होती है और शरीर स्वस्थ रहता है।
  • खेलकूद, व्यायाम के समय काम करने से शरीर में पानी की कमी होती है। परिश्रम करने से पहले अथवा परिश्रम करने के बाद लगभग आधा घंटा आराम करके थोड़ा थोड़ा पानी अवश्य पीना चाहिए।




 

  • भोजन करने के लगभग 1 घंटे बाद पानी पीना बहुत ही लाभदायक होता है क्योंकि यह पाचन के दौरान पौष्टिक तत्वों को नष्ट नहीं होने देता इससे शरीर बलवान बनता है।
  • सोने से पहले पानी पीने से नींद अच्छी आती है इसके विपरीत सोकर उठने के बाद पानी पीने से आलस्य दूर होता है।
  • प्यास लगने पर कम से कम एक गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए इससे शरीर में पानी की कमी नहीं हो पाती।
  • भोजन से आधा घंटा पहले एक दो गिलास अथवा भोजन करते समय बीच-बीच में एक-दो घुट पानी पीना बहुत ही लाभदायक होता है क्योंकि इससे भोजन तो शीघ्र पचता है साथ ही पाचन शक्ति भी बढ़ती है।
 
 

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