सूजन क्या है ?What is inflammation ?
सूजन आमतौर पर शरीर में किसी एक जगह पानी इकट्ठा होने के कारण होती है। सूजन शरीर के अंदर भी हो सकती है और बाहरी त्वचा को भी प्रभावित कर सकती है। जब शरीर के किसी अंदरूनी या बाहरी अंगों का आकार बढ़ने लगे या उनमें फैलाव आने लगे तो ये सूजन का रूप होता है। ऐसी कई स्थितियां हैं जो सूजन का कारण बन सकती हैं। कीट द्वारा काटना, बीमारियां या चोट आदि लगने से त्वचा में सूजन आ सकती है। शरीर के अंदरूनी भागों में सूजन मुख्य रूप से किसी दवाई के साइड इफेक्ट या किसी गंभीर चोट के कारण आती है।
सूजन आने के कारण :Causes of swelling:
शुगर या कुछ प्रकार के कैंसर जिनसे ग्रसित लोगों को शरीर के बड़े हिस्से पर सूजन या हाथों-पैरों के कुछ हिस्से पर जैसे उंगलियां आदि पर सूजन का अनुभव कर सकते हैं। फैलने वाली सूजन शरीर के एक बड़े क्षेत्र तक फैल जाती है। यह सूजन आम तौर पर एक गंभीर बीमारी का संकेत होती है। हड्डियों, ऊतकों या मांसपेशियों में दर्द आदि के कारण त्वचा के ऊपरी हिस्से में सूजन हो सकती है। सिस्ट और ट्यूमर के कारण भी प्रभावित क्षेत्र के पास सूजन हो सकती है। वैसे तो द्रव एकत्रित होना एक अंदरूनी परिस्थिति है, लेकिन इसके कारण से बाहरी हिस्से में सूजन विकसित होती है। बाहरी सूजन स्थिर भी रह सकती है और फैल भी सकती है।
स्थिर सूजन वह स्थिति होती है, जिसमें सूजन सिर्फ एक विशेष क्षेत्र को ही प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए जैसे अगर किसी व्यक्ति की आंखों में संक्रमण है, तो सूजन सिर्फ उसकी आंखों के आस-पास ही होती है। या अगर किसी व्यक्ति को किसी कीट द्वारा काटा गया है, तो सूजन वहीं होगी जहां पर कीट ने डंक मारा है।
- किसी कीट द्वारा काट लेने पर।
- पित्ती उछलने पर।
- चोट लग जाने के कारण।
- गर्भावस्था के दौरान भी सूजन आ जाती है।
- हार्मोन में परिवर्तन होने के कारण।
- मासिक धर्म में गड़बड़ी के कारण।
- संक्रमण हो जाने पर।
- मुख्य रूप से सूजन किडनी, लीवर और हार्ड में हुई गड़बड़ी के कारण आती है।
- रोगी को खुजली आती है।
- पेट फूलने की शिकायत रहती है।
- सूजे हुए स्थान में दर्द की शिकायत रहती है।
- उल्टी की शिकायत रहती है।
- रोगी को थकान हर समय बनी रहती है।
- बुखार बना रहता है।
- सांस फूलता है।
- रोगी को चक्कर आते हैं।
- शरीर में दर्द रहता है।
- नींद न आने की शिकायत रहती है।
- जी मिचलाता है।
- छाती में दर्द रहता है।
- सांस लेने में कठिनाई होती है।
- चलने में कठिनाई रहती है।
- शरीर में अकड़न रहती है।
- तनी हुई त्वचा पर खुजली और बेचैनी रहती है।
- ब्लड सरकुलेशन में कमी आ जाती है।
- धमनियों, नसों, जोड़ों और मांसपेशियों के लचीलेपन में कमी हो जाती है।
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