Polycystic Ovarian Syndrome (PCOS) Symptoms, Causes and Treatment : पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के कारण, लक्षण और उपचार

Polycystic Ovarian Syndrome (PCOS) Symptoms, Causes and Treatment : पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के कारण, लक्षण और उपचार

PCOS ! पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम का परिक्षण – PCOS!  Testing of Polycystic Ovary Syndrome –

      PCOS का निदान करने के लिए एक परिक्षण नहीं है बल्कि रूग्णा का इतिहास, परिक्षण व कुछ पैथॉलॉजी के टेस्ट से निदान हो सकता है। परिक्षण में रूग्णा का ब्लड प्रेशर, बॉडी मास इन्डेक्स (BMI) व कमर की साईज ली जाती है। अनचाहे बालों की वृद्धि का परिक्षण, रूग्णा के श्रोणि प्रदेश का सोनोग्राफी (USG-Pelvis) करने पर स्त्री बीजकोष में अनेक गांठे मिलती है व एन्डोमैट्रियम (Endometrium) का स्तर मोटा होता जाता है। ब्लड टेस्ट के द्वारा हार्मोन व ग्लूकोज का स्तर पता चलता है। रक्त के हार्मोन्स (Hormones) की जांच में फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (FSH), ल्युटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH), टेस्टोस्टरॉन (Testosteron) की जांच की जाती है।




 पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के जोखिम और जटिलताए: Risks and complications of polycystic ovarian syndrome:

 PCOS व्याधि से ग्रस्त रूग्णा को डायबिटीज़, हृदय रोग व कैंसर का खतरा रहता हैं। अध्ययन के आधार पर निम्नलिखित आंकड़े पाए गए है।

50 प्रतिशत से अधिक महिला को 40 वर्ष के पूर्व डायबिटीज़ हो सकता है।

इन महिलाओं को हार्टअटैक का खतरा 7 गुना अन्य महिलाओं की अपेक्षा अधिक होता है।

ऐसी महिलाओं को हाय ब्लडप्रेशर का अधिक खतरा रहता है।

     PCOS से ग्रस्त रूग्णा में LDL कोलेस्ट्रोल का स्तर अधिक होता है और HDL कोलेस्ट्रोल का स्तर कम रहता है। LDL कोलेस्ट्रोल शरीर के लिए घातक होता है। जबकि HDL कोलेस्ट्रोल शरीर के लिए लाभकारी होता है।

       ऐसी महिलाओं को एन्डोमैट्रियल कैंसर की संभावना अधिक रहती है क्योंकि इनमें अनियमित मासिक स्राव रहता है व ओव्युलेशन नहीं होता। यहां इस्ट्रोज़न होर्मोन की निर्मिती होती है जब कि प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन नहीं बनता। प्रोजेस्ट्रोन का कार्य हर माह मासिक स्राव को उत्पन्न करना है। प्रोजेस्ट्रोन के बिना ऐन्डोमैट्रियम मोटा हो जाता है। जिसकी वजह से या तो बहुत ज्यादा मासिक स्त्राव होता है या अनियमित मासिक स्त्राव होने के कारण कैंसर होता है।

PCOS से ग्रस्त रूग्णा को स्तन कैंसर, डिप्रेशन, मुड विकृतियां, फैटीलिवर (Non Alcoholic Steato Hepatitis) होने की संभावना रहती है।

गर्भवती महिला की PCOS होने पर गर्भस्त्राव (Abortion), गर्भावस्था जन्य मधुमेह व हाय ब्लडप्रेशर हो सकता है। कभी-कभी इससे समय से पहले प्रसूति (Premature Delivery) हो सकती है।




PCOS – पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम  के कारण :  PCOS – Causes of Polycystic Ovarian Syndrome:

       PCOS में हमेशा की अपेक्षा अधिक स्त्री बीजांड की वृद्धि होती है व हार्मोन्स के प्रभाव से वह वृद्धि ज्यादा होती जाती है। परंतु अन्ड्रोजन (Androgen) के प्रभाव से उसके वृद्धि में रूकावट आती है और उसमें से एक भी स्त्री बीज परिपक्व नहीं होता है। स्त्री बीज की निर्मिती न होने के कारण मासिक धर्म देर से आता है व अनियमित आता है साथ ही परिपक्व स्त्रीबीज न होने के कारण गर्भधारण न होकर स्त्री को बंध्यत्व (संतान न होना) भी हो सकता है।

PCOS – पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के लक्षण : PCOS – Symptoms of Polycystic Ovarian Syndrome:

  •  इस रोग से ग्रस्त सभी महिलाओं को एक जैसे लक्षण मिले यह जरूरी नहीं हैं निम्नलिखित में से कुछ लक्षण या सभी लक्षण पाए जा सकते है।
  • अनियमित मासिक स्राव या मासिक स्राव बंद हो जाना। किसी को 6-6 महीने में मासिक स्राव होते पाया गया है। हार्मोन चिकित्सा लेने पर ही मासिक धर्म होता हैं।
  • बांझपन हो सकता है।
  • चेहरा, छाती, पेट, पीठ, उंगलियां व अंगूठो पर अनचाहे बालो की वृद्धि । इस लक्षण को हिरसूटिज़म (Hirsutism) कहते है।
  • ओवैरियन सिस्ट – स्त्री बीजकोष में गांठे होना।
  • तैलीय त्वचा के कारण रूसी व कील-मुंहासे होना।
  • स्थूलता अर्थात वजन का बढ़ना विशेषतः कमर के आस-पास मे।
  •  डायबिटिज़ (Type-II) – जिन स्त्रियों का वजन प्रमाण से अधिक है, उनमें इन्सुलिन रेसिस्टन्स अधिक मिलता है। अतः PCOS के रूग्णों में वजन कम होने पर इन्सुलिन रेजिस्टेन्स भी कम होता है व PCOS के सभी लक्षणों की तीव्रता कम होती जाती है।
  • कोलेस्ट्रोल का बढ़ना, हाय ब्लड प्रेशर ।
  • बालों का पतला होना या गंजापन।
  • गर्दन, बाहें, छाती व जांघ पर की त्वचा मोटी व काली होना, नाभि के निचले प्रदेश में दर्द होना।
  • उपरोक्त लक्षणों से युवतियों का आत्मविश्वास डगमगा जाता है। वह मासिक अवसाद से ग्रस्त रहती है।
  • खर्राटे मारना।




  • मेनोपॉज के समय व बाद की स्थिती PCOS स्त्री शरीर के अनेक संस्थानो को प्रभावित करता है। कुछ लक्षण समय से बढ़ जाते है और कुछ कम हो जाते है। मेनोपॉज (मासिक धर्म बंद होना) होने पर स्त्री बीजकोष का कार्य व हार्मोन का स्तर बदलता है परंतु PCOS से ग्रस्त रूग्णा में कुछ लक्षण वैसे ही रहते है व कुछ लक्षण कम हो जाते है। उदाहरण के तौर पर अनचाहे बालो की वृद्धि होती रहती है व बालो का गंजापन कम होता जाता है। जैसे-जैसे PCOS से ग्रस्त महिला की उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसै हार्ट अटैक, डायबिटीज़ का खतरा बढ़ता जाता है।
  •  कम उम्र में ही अनियमित मासिक धर्म की समस्या इसका सबसे बड़ा संकेत होता है।
  •  इस बीमारी में अधिकतर स्त्रीयों के शरीर में मोटापा बढ़ जाता है।
  • चेहरे, छाती, ठोड़ी पर अनचाहे बालों उगना सिर्फ हार्मोनल चेंज ही नहीं इस रोग का लक्षण भी हो सकता है, इसके अलावा बालों का अत्यधिक झड़ना भी इसका लक्षण है।
  • जल्दी किसी बात पर भावुक हो जाना, अत्यधिक चिंतित रहना, अकारण चिड़चिड़ापन इस रोग के संकेत हो सकते हैं।
  • PCOS की समस्या से बांझपन अधिक देखने को मिलता है। यह मुख्य कारणों में से एक है।




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PCOS – पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम मे क्या खाये : PCOS – What to eat in polycystic ovarian syndrome:

  • संतुलित व स्थूलता निवारक आहार – आहार सादा, सुपाच्य व कम कैलोरी वाला हो। सलाद, हरी सब्जियां, मौसम के फल, अंकुरित अन्न, छाछ प्रचुर मात्रा में लें।
  • चावल, आलू, तली चीजें, मिष्ठान्न व मैदे के पदार्थों से परहेज करें। इस प्रकार के आहार से ब्लड शुगर का स्तर कम होता है। शरीर पर इन्सुलिन का कार्य अधिक होता है। हार्मोन का स्तर बरकरार रहता है। शरीर का भार 10 प्रतिशत कम होने पर मासिक स्राव नियमित हो जाता है।
  • अपनी डाइट में हरी सब्जियां, फल, विटामिन B युक्त आहार, भोजन में ओमेगा 3 फैटी एसिड्स से भरपूर चीजों को शामिल करें – जैसे अखरोट, अलसी, काजू आदि।
  • आप अपनी डाइट में बीज, नट्स, ताजा दही जरूर शामिल करें।
  • दिन भर अधीक से अधीक पानी पीएं।

PCOS – पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम मे क्या न खाए : PCOS – What not to eat in polycystic ovarian syndrome:

  • फैट युक्त भोजन, जंक फुड, अधिक मीठा, सॉफ्ट ड्रिंक्स, अत्यधिक तैलीय पदार्थ का सेवन बंद कर सात्विक पौष्टिक आहार का सेवन करें।
  • ज्यादा मीठा खाने से परहेज करें क्योंकि मधुमेह होना इस रोग का कारण हो सकता है।
  • किसी भी तरह से वजन बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे – पास्ता, डिब्बाबंद आहार, मैदा इत्यादि का सेवन न करें।




PCOS – पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम मे व्यायाम का महत्व : PCOS – Importance of exercise in polycystic ovarian syndrome:

    प्रातः भ्रमण, योगासन और प्राणायाम का नियमित अभ्यास करें। योग, पैदल घूमना, जॉगिंग, एरोबिक्स, जुम्बा डांस, स्विमिंग, साइक्लिं जैसे किसी भी तरह का शारीरिक व्यायाम को नित्य करें। व्यायाम के साथ आप मेडिटेशन का अभ्यास भी कर सकती है जिससे मानसिक तनाव कम होगा।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का होम्योपैथिक इलाज : Homeopathic treatment of polycystic ovary syndrome:

Senecio Aureus Q

Hydrastis Q

Aurum muriaticum Natronatum 3x

Lapis alb.30

Calcarea fluorica 6x

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का आयुर्वेदिक उपचार :  Ayurvedic treatment of polycystic ovary syndrome :

     हार्मोन संतुलित करने व अन्य लक्षणों के लिए औषधियों में पुष्पधन्वा रस 10 ग्राम, त्रिफला गुग्गुल 10 ग्राम, मेदोहर गुग्गुल 10 ग्राम, चंद्रप्रभा वटी 10 ग्राम, कांचनार गुग्गुल 10 ग्राम की 60 पुड़िया बनाकर सुबह-शाम कुमारी आसव 2 चम्मच के साथ लें।

    औषधि के साथ-साथ पंचकर्म का भी विशेष योगदान है। पंचकर्म के अंतर्गत मेदोहर बस्ति, शिरोधारा व नस्य चिकित्सा की जाती है। इससे रूग्णा का वजन नियंत्रित होकर डिप्रेशन व एन्जाइटी जैसे लक्षण दूर होते है। आवश्यकता होने पर हार्मोनल चिकित्सा दी जा सकती है।




PCOS – पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से निजात पाने के लिए जुड़े प्रकृति से  –

  •  प्राकृतिक जगहों पर सैर करने जाएं यह आपका मानसिक तनाव तो दूर करेगा ही साथ ही मोटापे को कम करने में भी सहायता करेगा ।
  • योग, प्राणायाम और व्यायाम आपके तन को निरोगी रखने के साथ चित को प्रसन्न और तनाव मुक्त भी करता है। इसके साथ ही आप संगीत सुने या कुछ अच्छी किताबों को पढ़े।
  • सही आहार, नियमित व्यायाम और लाइफस्टाइल में सुधार कर के इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है।

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