Phobia : फोबिया के कारण और लक्षण

 डर (फोबिया) क्या है ?What is fear (phobia)?

      फोबिया एक ऐसी बीमारी है जो डर व भय से जुड़ी होती है। यह डर का एक अत्याधिक और अकारण रिएक्शन होता है। यदि आपको फोबिया है तो जब आप अपने भय के कारण से सामने होते हैं, तो आपको भय या आतंक की एक गहरी भावना महसूस हो सकती है। भय किसी निश्चित स्थान, वस्तु या परिस्थिति का हो सकता है। फोबिया मरीज को परेशान करने से लेकर गंभीर रूप से अक्षम बना सकता है। फोबिया से पीड़ित लोग अक्सर यह महसूस करते हैं कि उनका डर पूरी तरह से तर्कहीन है, लेकिन वे फिर भी इस बारे में कुछ नहीं कर पाते। ऐसी समस्याओं से व्यक्तिगत संबंधों, स्कूल या ऑफिस आदि के कामों में बाधा आने लगती है।




 

फोबिया के कारण :Causes of Phobia:

फोबिया क्यों होता है।

     एग्रोफोबिया या सामाजिक फोबिया को शुरू करने वाला कारण अभी तक भी एक रहस्य ही है, किसी को भी नहीं पता कि उनको भय क्यों लग रहा है। International Study of Infarct Survival के मुताबिक ये निम्न के संयोजन का कारण भी हो सकता है।

  1. Genetics.
  2. Life experience.
  3. Brain chemistry.
  4. सोशल फोबिया की अत्याधिक संभावना अत्यधिक तनावपूर्ण अनुभव के कारण होती है।

दिमाग के कुछ क्षेत्र कुछ खतरनाक और संभावित घातक घटनाओं को अपने दिमाग में बसा लेते हैं या उनको बार-बार याद करते रहते हैं। भविष्य में किसी अवसर के दौरान जब ऐसी ही किसी घटना से सामना होता है, तो वे क्षेत्र उन यादों को फिर से ताजा कर लेते हैं, इससे कारण से शरीर को लगता है कि यह फिर से हो रहा है। मस्तिष्क के वे क्षेत्र जो डर और तनाव में काम करते हैं, वे इन भयावह घटनाओं को अनुपयुक्त रूप से फिर से प्राप्त कर लेते हैं। अगर कुछ लोगों में कुछ घटनाएं बार-बार हो रही है तो लोगों में फोबिया विकसित हो सकता है।




 

  • अगर किसी बच्चे की मां को मकड़ी से डर लगता है तो बच्चे में भी इस तरह की फोबिया होने की काफी संभावनाएं बन जाती हैं।
  • कुछ मामलों में जीवन में हुई किसी घटना के कारण भी फोबिया हो जाता है।
  • डरावनी बातें सुनकर किसी बच्चे में यह विकसित हो सकता है।
 
फोबिया के लक्षण :Symptoms of phobia:
 
  • किसी वस्तु या व्यक्ति को बचाने की बहुत कोशिश करना।
  • चिंता और डर को सहन करने की कोशिश करना।
  • यह जानते हुए भी कि उसे डर लग रहा है परंतु उसे नियंत्रित करने की कोशिश करना।
  • डर के किसी स्रोत का सामना करके या उसको याद करके भी अचानक से तीव्र भय, चिंता और दिमाग में भगदड़ महसूस होना।
  • मस्तिक द्वारा सामान्य रूप से कार्य करने में परेशानी का होना।
  • हृदय की गति का तेज होना।
  • पसीना अधिक आना।
  • छाती में जकड़न का होना।
  • सांस लेने में समस्या होना।
  • चोट या खून आदि को देखकर जी मिचलाना या बेहोश हो जाना।
  • बच्चों में चिड़चिड़ापन या चिल्लाना।
  • अगर किसी व्यक्ति को कुत्तों से डर लगता है, वह बाहर जाने से पहले चिंतित या बेचैन हो सकता है, अगर उसको पता है कि उस रास्ते पर कुत्ते रहते हैं।
  • चिंता या भगदड़ आक्रमण के शारीरिक लक्षण जैसे, ह्रदय तेजी से धड़कना, मतली और दस्त, पसीना आना, कांपना या हिलना, सुन्न होना या झुनझुनी महसूस होना, सांस लेने में कठिनाई, चक्कर आना और सिर घूमना, सांस घुटने जैसा महसूस होना आदि।




 

 
      ज्यादातर बच्चे उम्र के साथ ठीक हो जाते हैं। लेकिन अगर बड़ा होने के बाद भी आपके बच्चे को अत्याधिक डर महसूस हो रहा है, जो घर के काम या स्कूल आदि के कार्यों में बाधा उत्पन्न करता है, तो बच्चे को डॉक्टर से दिखाएं।
 

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