Parkinson’s disease Symptoms and Causes : पार्किन्सन्स रोग के कारण और लक्षण

Parkinson’s disease Symptoms and Causes : पार्किन्सन्स रोग के कारण और लक्षण  पार्किन्सन्स रोग क्या है ? What is Parkinson’s disease ?      इस रोग में शरीर के समस्त अंग कंप – कंपाते रहते हैं अतः वह चलने फिरने में कठिनाई महसूस करता है। असहाय हो जाता है उसे सहारे की जरूरत रहती है। यह तंत्रिका तंत्र का एक गंभीर रोग है इसको पैरालाइटिस एजीटेंस, पक्षाघात आदि नामों से भी जाना जाता है। यह ऐसा रोग है जिसमें रोगी की मांसपेशियों में स्टीफनेस उत्पन्न हो जाते हैं। यह बीमारी 50 वर्ष की आयु के पश्चात लगभग 1% लोगों को होती है। कभी-कभी इस रोग का प्रकोप कम आयु में भी हो जाता है।
Parkinson's disease Symptoms and Causes
Parkinson’s disease Symptoms and Causes
    इसी रोग के शुरू में हाथ, जबड़ो तथा चेहरे में कपकपी होती है। हाथ पैर तथा शरीर जकड़ जाता है। गति में कमी आ जाती है और रोगी को उठने बैठने में भी दिक्कत आती है। यह रोग लंबे समय तक रोगी के शरीर में रहकर अन्य रोगो को भी जन्म दे सकता है।  पार्किन्सन्स के कारण :Causes of Parkinson’s:      इस रोग में मस्तिष्क के सब्सेंटशिया से निकलने वाले रसायन डोपामाइन के कारण ही मांसपेशियां गतिशील हो पाती हैं और उसके अभाव में उनकी गतिविधियां रुक जाती हैं और तंत्रिका कोशिकाएं बेकार पड़ जाती हैं। जिससे मरीज अपनी मांसपेशियों का संचालन नहीं कर पाता है। तंत्रिका कोशिकाओं की मृत्यु के लिए वे अस्थिर और मुक्त अणु जिम्मेदार हैं जो शरीर की सामान्य रासायनिक क्रियाओं से निकलते हैं या अंदर से प्राप्त किसी टॉक्सिन के कारण भी यह रोग हो जाता है। 
  • औषधियों के विषैले प्रभाव के परिणाम स्वरुप यह रोग प्रकट हो सकता है।
  • सिर में घातक चोट लग जाने से यह रोग हो सकता है।
  • संक्रमण रोगों की वजह से भी यह रोग होता है इन रोगों में मुख्य रूप से एड्स रोग, इंसेफलाइटिस, मेनिनजाइटिस आदि रोग है।
  • हाई ब्लड प्रेशर के कारण भी यह रोग हो जाता है।
  • शारीरिक चोट या मानसिक तनाव होने पर इस रोग के होने की पूरी संभावना रहती है।
पार्किन्सन्स के लक्षण :Symptoms of Parkinson’s:
    इस रोग के मरीज अक्सर दूर से देखते ही पहचान लिए जाते हैं। रोगी के शरीर में मुख्यतः हाथ पैरों में कंपन होता है। कंपन आराम के समय होता है तथा कार्य करते समय समाप्त हो जाता है। कंपन मानसिक तनाव, थकावट या ठंड में बढ़ जाता है किंतु सोते समय नहीं होता। हाथ की उंगलियां ऐसे चलती है जैसे पिन लेकर कोई उंगली से घुमा रहा हो रोगी को अपने आप काम करने की इच्छा नहीं होती वह घंटों बिना हिले डुले कुर्सी पर बैठे रह सकता है। मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है पर लकवा नहीं होता है।    रोगी के चेहरे पर गुस्सा खुशी या अन्य दशाओं में भी कोई बदलाव नहीं आता है। इसके अलावा मरीज के बोलते समय भाव नहीं बदलते साथ ही मनोदशा या विचार व्यक्त करते समय दूसरे अंगों का चलना भी नहीं होता जैसे किसी की गलती बताते समय उंगली दिखाना। रोगी अपना संतुलन स्थिर नहीं रख पाता है और शरीर आगे की तरफ झुक जाता है। हल्का सा धक्का देने पर गिर सकता है। रोगी धीरे धीरे चलता है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति बहुत छोटे-छोटे अक्षर से लिखता है। 

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  • यह विशेषकर पुरुषों में बहुत धीरे-धीरे होने वाला रोग है। अंगों में लचीलापन कम हो जाता है।
  • आंखें अधिक खुली रहती है जिससे रोगी घूरता हुआ दिखाई देता है।
  • हाथ पैरों के साथ-साथ कुछ रोगियों का सारा शरीर हिलने लगता है।
  • रोगी की याददाश्त कम हो जाती है।
  • रोगी को नींद नहीं आती और वह डिप्रेशन में चला जाता है।
  • रोगी को कब्ज की शिकायत रहती है पेशाब में भी परेशानी रहती है।
  • रोगी मांसपेशियों या गर्दन घुमाने में दर्द की शिकायत करता है।
  • रोगी अपने हाथ में कोई वस्तु पकड़कर स्थिर नहीं रख पाता।
  • रोगी को अत्यधिक कमजोरी आ जाती है।

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