Natrum Sulphuricum के फायदे in hindi | Natrum Sulphuricum Symptoms Uses and Banefit in hindi

 

Natrum Sulphuricum के फायदे in hindi | Natrum Sulphuricum Symptoms Uses and Banefit in hindi.

 

Natrum Sulphuricum Symptoms Uses and Banefit in hindi.

 

जब शरीर में नैट्रम सल्फ्यूरिकम की कमी हो जाती है और  सल्फ्यूरिक एसिड बाहर नहीं निकल पाता, सेल्स और टिशू के बीच की जगह पर जमा होने लगता है जिसमे कई तरह की बीमारियाँ पैदा हो जाती है और जब नैट्रम सल्फ्यूरिकम सही मात्रा में शरीर में रहता है। रसों में जितना पानी रहना चाहिए उतना रखता है और गंदे-सल्फ्यूरिक एसिड को शरीर के बाहर निकाल देता है, जिससे रोगी बीमारियों से बचा रहता है।

 

 

शरीर में बढ़े हुए सल्फ्यूरिक एसिड को बाहर निकालना नैट्रम सल्फ्यूरिकम का काम है। शरीर में दो कारणों से पानी बढ़ जाता है। पहला कारण है- नैट्रम फॉस्फोरिकम का लैक्टिक एसिड के साथ मिलकर लैक्टिक एसिड को कार्बनिक एसिड और पानी इन दो घटकों में विभाजित करना और कार्बनिक एसिड को फेफड़ों के रास्ते बाहर निकाल देना। अतिरिक्त कार्बनिक अम्ल तो शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन पानी शरीर में बढ़ जाता है।

दूसरा कारण यह है कि सूरज की धूप से समुद्र तालाब नदियों का पानी भाप बनकर हवा में मिल जाता है या बरसात के मौसम में हवा में पानी का अंश ज्यादा होता है और साँस के रास्ते से पानी शरीर में पहुँच जाता है। परिणाम यह होता है कि ठंड लगकर मलेरिया हो जाता है,  खून की कमी हो जाती है। इस बढ़े हुए पानी को पेशाब-पसीने के रास्ते शरीर के बाहर निकालने का काम नैट्रम सल्फ्यूरिकम करता है।

 

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नैट्रम सल्फ्यूरिकम कोशिकाओं में नहीं होता। सेल्स जिस द्रव्य में होते हैं यह वही पर होता है। 

खून साफ करना, खून में किसी तरह का अशुद्ध पदार्थ न रहने देना नैट्रम सल्फ्यूरिकम का कार्य है। यह कार्य मूत्राशय, मूत्रमार्ग, लीवर आदि इंद्रियों द्वारा होता है। ये इंद्रियाँ ही नैट्रम सल्फ्यूरिकम का कार्यक्षेत्र हैं।

दोस्तों अब बात करते हैं नैट्रम सल्फ्यूरिकम के जनरल सिम्टम्स के बारे में,

रोगी भारी भरकम शरीर वाला होता है, लेकिन चेहरा फीका, पीला बीमारों जैसा सूजा हुआ होता है। आँखें बेजान होती है।

जीभ पर हरा, हरापन लिये खाकी या पीला खाकी लेप होता है। सभी पदार्थ  हरे, हरापन लिये पीले रंग के होते हैं। नाक से गाढ़ी रेंट निकलती है जो कुछ देर बाद हरे रंग की हो जाती है।

इस दवा के रोगियों के शरीर में ज्यादा पानी होता है, इसलिए इन्हें हवा में नमी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होती। सूखी हवा से नम हवा में परिवर्तन होते ही इन रोगियों की कई तकलीफें बढ़ जाती हैं। हवा में नमी आते ही इन्हें तुरन्त पता चल जाता है। यह रोगी नम हवा समुद्री हवा, आसमान में बादल बरसात आदि को सहन नहीं कर सकते। मामूली सी नम हवा लगने से बीमार हो जाते हैं। 

 

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तालाब, नदी, नहर आदि के निकट रहने वाले लागों के घरों की दीवारें हमेशा गीली रहा करती हैं घरों में सुबह से शाम तक सूरज की रोशनी नहीं पहुँच पाती ऐसे अंधेरे वाले घरों में या तहखानों में जिन्हें रहना पड़ता है। ऐसे लोगों की बीमारियों में नैट्रम सल्फ्यूरिकम की आवश्यकता पड़ती है। पानी से इन रोगियों की ऐसी दुश्मनी होती है कि पानी में या पानी के करीब पैदा होने वाले फल तरबूज, खरबूजा, सिंघाड़े, ककड़ी आदि औरम खाने से इनका पेट बिगड़ जाता है। आधी रात के बाद और सुबह के समय इनकी तकलीफें बढ़ जाती हैं, क्योंकि यह ऐसा समय होता है जब हवा में ठंडक अधिक होती है।

खुली हवा, जो न ज्यादा गर्म हो और न ज्यादा ठंडी, इन्हें अच्छी लगती है। ऐसी हवा में वे खुश रहते हैं। इन रोगियों को माँस, दूध रोटी ब्रेड आदि पसंद नहीं होते। उबला हुआ दूध, कोल्ड ड्रिंक खाने की ठंडी चीजें पसंद होती हैं।

अब बात करते हैं नैट्रम सल्फ्यूरिकम के मेंटल सिम्टम्स के बारे में,

रोगी उदास और चिड़चिड़े स्वभाव का होता है। उसे रोना जल्दी आता है। वह बहुत जल्द हिम्मत हार बैठता है। सुबह के समय उदासी ज्यादा रहती है। सुबह के समय वह किसी से बातचीत नहीं करना चाहता संगीत गाना बजाना उसे पसंद नहीं होता। संगीत सुनकर वह उदास हो जाता है, आँखों में आँसू आ जाते हैं। बरसाती नम हवा में उदासी बढ़ जाती है। इतना ज्यादा उदास हो जाता है कि आत्महत्या के विचार उसके मन में आते हैं। फाँसी लगाकर या पिस्तौल से गोली मारकर आत्महत्या करना चाहता है।

 

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सिर पर चोट लगने के कारण उदासी पागलपन, याददाश्त की कमी, मिर्गी, अंगों का फड़कना या कोई दूसरी बीमारी होने पर नैट्रम सल्फ्यूरिकम 200 एक्स से लाभ होता है। नैट्रम सल्फ्यूरिकम की 3 एक्स और 6 एक्स का अधिक प्रयोग होता है। डॉक्टर शुस्लर ने 6 एक्स शक्ति की सिफारिश की थी। एक्जिमा में 200 एक्स शक्ति हफ्ते में सिर्फ एक बार देनी चाहिए। दोस्तों नैट्रम सल्फ्यूरिकम एक बेस्ट होम्योपैथिक मेडिसिन है।

 

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