Meningitis : दिमाग पर सूजन, दिमागी बुखार के कारण और लक्षण

दिमागी बुखार क्या है ? : What is Meningitis ? जिस प्रकार शरीर को ढकने उसकी रक्षा के लिए त्वचा का होना जरूरी है, उसी तरह दिमाग व स्पाइनल कॉर्ड को ढकने व उसकी सुरक्षा के लिए एक झिल्ली होती है जिसे मेनिन्जीस कहते हैं। बैक्टीरिया या वायरस से होने वाले संक्रमण के कारण मेनिंजीस में सूजन आ जाती है। जिसे मेनिंजाइटिस कहते हैं। जिससे दिमाग संबंधी दिक्कतें पैदा हो जाती है। कभी-कभी ट्यूबरकुलोसिस के बेसिलस अथवा वायरस के संक्रमण से भी इनमें सूजन आ जाती है।
     दिमागी बुखार के कारण : अधिकतर मेनिंजाइटिस बैक्टीरिया द्वारा ही होता है और इसका शिकार ज्यादातर 6 महीने से लेकर 3 वर्ष तक के आयु के बच्चे होते हैं इन बच्चों में यह रोग न्यूमोकाॅकस अथवा एच. इंफ्लुएंजी जाति के बैक्टीरिया द्वारा होता है। क्योंकि इन छोटे आयु के बच्चों में इन दोनों बैक्टीरिया के प्रीति रोग क्षमता विकसित नहीं होती बड़ी आयु के बच्चों मैं मेनिंगोकाॅकस जाति के बैक्टीरिया के संक्रमण द्वारा मेनिंजाइटिस हो सकती है।    रोग का प्रसार :    कुछ बच्चों की नाक के पीछे व गले में बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं लेकिन बाहर से इन बच्चों में बीमारी के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते खांसी वे छींकने पर यह बैक्टीरिया उसके अत्यधिक पास के वातावरण में छोटी-छोटी बूंदों के रूप में फैल जाते हैं इसके संपर्क में आने वाले बच्चों में यह सांस के द्वारा अंदर पहुंच जाते हैं और खून के जरिए शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंच जाते हैं। दिमाग में पहुंचकर यह सूजन पैदा कर देते हैं जिस कारण मैंनेंजाइटिस हो जाती है कभी-कभी सिर में चोट लग जाने अथवा कान के रोग के संक्रमण द्वारा भी बैक्टीरिया मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं। मैंनेंजाइटिस किन बच्चों को अधिक होता है :
  • भीड़ – भाड़ व घनी बस्तियों में रहने वाले बच्चे ।
  • 6 महीने से लेकर 3 वर्ष तक के बच्चे।
  • अगर बच्चों में पहले कभी कान का संक्रमण हो चुका हो।
  • बोतल से दूध पीने वाले बच्चों में।
  • यदि घर में ही संक्रमण से पीड़ित कोई बच्चा हो।
मैंनेंजाइटिस के लक्षण : symptoms of meningitis 
  • तेज सिर दर्द होना।
  • बुखार का अधिक तेज आना।
  • उल्टा – सीधा बोलना और जोर से चिल्लाना।
  • लगातार उल्टियां होना।
  • रोगी का बेहोश हो जाना।
  • स्थाई रूप से बहरा हो जाना।
  • मिर्गी का अक्सर दौरा पड़ना। 
  • बच्चों का दूध पीना बंद कर देना।
  • बच्चों में चिड़चिड़ापन आ जाना।
  • बच्चों का बारीक आवाज में चीखना
  • पीलिया के लक्षण दिखाई देना।

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 दूध पीते बच्चों में खोपड़ी में जो गड्ढा सा (फ्रोंटेनेल) होता है और जो धड़कता सा दिखाई देता है यह स्थान फुल कर ऊपर को आ जाए तो मैंनेंजाइटिस निश्चित रूप हैं। अगर बच्चे को दस्त आए, जिस कारण शरीर में पानी की कमी हो जाए तो इस स्थिति में फ्रोंटेनेल सामान्य स्थिति में रहेगा। YouTube channel 👈

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