Gonorrhea : गोनोरिया ( सूजाक ) के कारण और लक्षण

 गोनोरिया क्या है ?What is gonorrhea ?

      यह एक ऐसा संक्रमण है जो जननेंद्रिय में गोनोकोकल जीवाणु के द्वारा होता है। यह रोग स्त्री या पुरुष के साथ सेक्स करने से उत्पन्न होने वाला एक जटिल रोग है। गनोरिया का कीटाणु गुदा में गुदा मैथुन से ही पहुंचता है। कई बार चिकित्सक की गलती से भी यह रोग स्वस्थ व्यक्ति को लग जाता है। गनोरिया के रोगी की गुदा का परीक्षण करने के पश्चात चिकित्सक बिना दस्ताने बदले किसी दूसरे रोगी की गुदा का परीक्षण करें तो दस्ताने पर चिपके गनोरिया के कीटाणु स्वस्थ व्यक्ति के गुदा में पहुंचकर रोगी बना देते हैं। इस रोग में सेक्स करने पर जीवाणु मूत्र मार्ग में चले जाती है और बहुत तेज गति से संख्या में बढ़ने लगते हैं। जिस कारण रोगी को बेचैनी होने लगती है।




 

गोनोरिया के कारण :Causes of gonorrhea:

     यह नाइजीरिया गोनोरियाई नामक जीवाणु द्वारा एक आदमी से दूसरे आदमी में पहुंचता है। यह रोग सेक्स के द्वारा फैलता है। यह सदैव गोल या अंडाकार होते हैं। इस जीवाणु को गोनोकोकल भी कहा जाता है। इसका पता जर्मनी वैज्ञानिक अल्बर्ट नाईसर ने सन् 1879 में लगाया था। इसी वैज्ञानिक के नाम पर इस नाम पड़ा। जीवाणु को देखने से ऐसा लगता है मानो दो सेम के बीज पास पास रख दिए हो। 

    कई बार चिकित्सक की गलती से भी यह रोग स्वस्थ व्यक्ति को लग जाता है। गनोरिया के रोगी की गुदा का परीक्षण करने के पश्चात चिकित्सक बिना दस्ताने बदले किसी दूसरे रोगी की गुदा का परीक्षण करें तो दस्ताने पर चिपके गनोरिया के कीटाणु स्वस्थ व्यक्ति गुदा में पहुंचकर रोगी बना देते हैं। स्त्री के साथ सेक्स करने अथवा बालक के साथ गुदामैथुन करने से सुजाक पीड़ित मनुष्य, स्त्री और बालक के साथ उठने, बैठने खाने-पीने, सोने, वस्त्र पहने आदि से इसका संक्रमण हो जाता है। सेक्स के समय जीवाणु का प्रवेश प्रथम मूत्र मार्ग के भीतर होता है। एक दिन तक जीवाणु मूत्रमार्ग की श्लेष्म कला के ऊपर ही रहते हैं। इसके बाद यह श्लेष्म कला तथा मूत्र मार्ग की छोटी-छोटी ग्रंथियों में प्रवेश करते हैं। 




 

   गोनोरिया  के लक्षण :Symptoms of gonorrhea:

      रोग ग्रस्त स्त्री के साथ सेक्स करने के 2 से 7 दिनों के बीच पुरुषों में इस रोग के लक्षण पैदा होते हैं। मूत्र मार्ग में जलन सी होती है। पेशाब करते समय अत्यंत पीड़ा होती है। मूत्र मार्ग पर सफेद चिपचिपा पदार्थ दिखाई देता है। इस के दाग रोगी के वस्त्र पर भी दिखाई देते हैं। बार-बार पेशाब आता है। कभी-कभी पेशाब के बाद खून की बूंदे भी दिखाई पड़ती हैं। मूत्रमार्ग लाल हो जाता है। कुछ रोगियों में मूत्र मार्ग के आसपास फोड़ा हो जाता है। कभी-कभी मूत्रमार्ग और वृषण  के आसपास कई छिद्र बन जाते है। 

    गनोरिया से ग्रसित स्त्रियों को भी मलद्वार में सूजन और उसके आसपास फोड़े हो जाते हैं। पूरी योनि सूज जाती है। योनि में सफेद रंग का पदार्थ निकलता है। पेशाब में जलन और बार-बार पेशाब करने की शिकायत भी पैदा हो सकती है। इस रोग से ग्रसित स्त्री अगर गर्भवती हो जाए तो गनोरिया के कीटाणु प्रसव के दौरान नवजात शिशु में भी प्रवेश कर जाती हैं। यह कीटाणु विशेष रूप से शिशु की आंखों में प्रवेश कर जाती हैं। जिसे शिशु की आंखें सूज कर लाल हो जाती हैं। आंखों से पस भी निकलता रहता है। इसलिए इस रोग से ग्रसित स्त्री जब किसी शिशु को जन्म देती है तो डॉक्टर तुरंत शिशु की आंखों में 1% सिल्वर नाइट्रेट डाल देते हैं। यह घोल गनोरिया के कीटाणुओं को खत्म कर देता है। प्रसव के समय गोलियां के कीटाणु शिशु के नाक, मुंह, फेफड़े और मलद्वार मैं प्रवेश कर सकते हैं। इससे बच्चे को सांस लेने में तकलीफ तथा थूक में खून आने की शिकायत पैदा हो जाती है। 

      गनोरिया के कीटाणु आंखों, मस्तिष्क, हृदय, लीवर और जोड़ों में पहुंचकर तरह-तरह की बीमारियां पैदा कर देती हैं। गनोरिया के कीटाणु जोड़ों में पहुंचकर जोड़ों को नष्ट कर देते हैं। इस रोग से ग्रसित रोगी के जोड़ों में दर्द तथा जलन शुरू हो जाती है। इस रोग से ग्रसित महिलाओं के कंधे या कोनी में दर्द होता है। तेज बुखार हो जाता है। हिलने डुलने से जोड़ों में दर्द होता है। इस रोग में जोड़ों के अंदर पाया जाने वाला पानी गाढ़ा और चिपचिपा होता है तथा सूक्ष्मदर्शी यंत्र से देखने पर उसमें गनोरिया के कीटाणु पाए जाते हैं। 




 

       गनोरिया के कीटाणु अगर लीवर में पहुंच जाए तो पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है। कंधे में भी दर्द होने लगता है। सांस लेने में समस्या होती है। खांसने व छिकने से दर्द बढ़ जाता है। रोगी को तेज बुखार के साथ उल्टी भी आती है। कभी-कभी गिनोरिया के कीटाणु खून में पहुंचकर D.G.I. नामक रोग पैदा कर देते हैं। इस रोग में रोगी के सारे जोड़ों में तेज दर्द होता है। कलाई, उंगलियों, घुटनों और एड़ियों के जोड़ सुज जाते हैं। त्वचा पर फोड़े हो सकते हैं। कीटाणुओं के हृदय या मस्तिक में पहुंच जाने पर जान भी जा सकती है।

   पुरुषों में लक्षण :

  • शुरू में दर्द और बेचैनी बनी रहती है।
  • धीरे-धीरे पेशाब के साथ मवाद आने लगती है।
  • पेशाब बार बार आता है।
  • यदि ठीक समय पर उपचार न हो तो सिर दर्द, बुखार व धड़कन तेज हो जाती है।
  • पेशाब बूंद बूंद करके आता है और जलन होती है।
 
स्त्रियों मे लक्षण :
 
  • पेशाब करते समय जलन और दर्द होता है।
  • पेशाब बार बार और बूंद-बूंद करके आता है।
  • सफेद पानी अधिक मात्रा में आता है।
  • कमर में दर्द रहता है।
  • योनि में अल्सर हो सकता है।
  • लड़कियों में योनि द्वार मैं इंफेक्शन होता है।
  • रोग पुराना हो जाने पर हल्का हल्का जाड़े के साथ बुखार आता है।




 

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