Epilepsy : मिर्गी के कारण, लक्षण और बचाव

 मिर्गी क्या है ? What is epilepsy ?

    मिर्गी एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें मरीज के दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होने लगती हैं। मस्तिष्क में गड़बड़ी होने के कारण व्यक्ति को बार-बार दौरे पड़ने लगते हैं। जिसकी वजह से व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है।

इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर। इन दौरों में तरह-तरह के लक्षण होते हैं, जैसे कि बेहोशी आना, गिर पड़ना, हाथ-पांव में झटके आना। मिर्गी किसी एक बीमारी का नाम नहीं है। अनेक बीमारियों में मिर्गी जैसे दौरे आ सकते हैं।




 

मिर्गी के कारण : Causes of epilepsy :

    जनेटिक: जीन्स में कोई गड़बड़ी हो, ब्रेन की नर्व्स ठीक से कम नहीं कर रही हों।

इन्फेक्शन: जन्म के वक्त बच्चे को पीलिया हो गया हो या फिर किसी और इन्फेक्शन से ब्रेन को पूरी ऑक्सिजन न मिली हो।

सिर पर गंभीर चोट: कभी मुक्केबाजी आदि या फिर किसी हादसे में सिर पर चोट लगी हो।

स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर: ब्रेन स्ट्रोक या ट्यूमर की समस्या हो।

गर्भ में चोट: अगर मां के पेट में बच्चे को चोट लग गई हो।




 

ऑटिजम होना: ऑटिजम की वजह से भी बच्चों में मिर्गी का दौरा संभव है।

बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने पर अगर दिमाग सुस्त पड़ गया हो।

दिमाग में टेपवर्म: न्यूरोसाइटिसरकोसिस (NCC) यानी दिमाग में टेपवर्म (कीड़ा) चला गया हो।

ब्रेन टीबी: अगर दिमाग की टीबी हो गई हो।

कैल्शियम और सोडियम की कमी से भी छोटे बच्चों में दौरा पड़ सकता है।




 

मिर्गी के लक्षण : symptoms of epilepsy :

   बच्चों का घूरना व एक टक देर तक एक ही जगह को देखना।

अचेत व बेहोश होना।

शरीर का पूरी तरह से हिल जाना।

मांसपेशियों में जकड़न।

शरीर में सनसनाहट।

डर और चिंता।

ऐसी गंध का आना जो वास्तव में होती ही नहीं।




 

मिर्गी से बचाव :Epilepsy Prevention:

  मुख्य बात तनाव से दूरी बनाना है। गंदे पानी में उगी सब्जियों और फलों में मिर्गी की वजह बनने वाले कीड़े पनपते हैं, इनसे परहेज करें। साफ-सफाई का ध्यान रखें। किसी भी प्रकार का नशा न करें। दुपहिया चालक हेलमेट व चौपहिया चालक सीट बेल्ट लगाएं। प्रसव हमेशा प्रशिक्षित डॉक्टर से ही करवाएं ताकि शिशु को जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी ना हो।

साइकिल चलाते समय हेलमेट पहनकर रखें। 

-पर्याप्त नींद लेना

-अल्कोहल या नशीली दवाओं का अधिक सेवन करने से बचें।

-तेज चमकती रोशनी से बचें।

-तनाव से दूर रहें। 

-कोशिश करें कि टीवी और कंप्यूटर के आगे ज्यादा देर तक न बैठें।




 

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