मिर्गी ( Epilepsy ) के कारण और लक्षण

 मिर्गी क्या है ? What is epilepsy ?

    मिर्गी एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार है। इसमें मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिका (Nerve Cell) गतिविधि बाधित हो जाती है, जिसके कारण दौरे या कुछ समय तक असामान्य व्यवहार, उत्तेजना और कभी-कभी बेहोशी हो जाती है।

मिर्गी संक्रामक नहीं है और मानसिक बीमारी या मानसिक कमज़ोरी के कारण नहीं होती है। कभी-कभी गंभीर दौरे के कारण मस्तिष्क को क्षति हो सकती है, लेकिन अधिकांश दौरे मस्तिष्क पर हानिकारक प्रभाव नहीं डालते हैं। बीमारी से होने वाली मस्तिष्क क्षति से लेकर असामान्य मस्तिष्क विकास तक मिर्गी के कई संभव कारण हैं। इसमें जेनेटिक्स भी एक भूमिका निभा सकता है।




 

ब्रेन ट्यूमर, अधिक शराब पीने से होने वाली बीमारी, अल्जाइमर रोग, स्ट्रोक और दिल के दौरे सहित अन्य विकारों से मस्तिष्क को होने वाली क्षति के कारण भी मिर्गी विकसित हो सकती है।

एक हल्के दौरे को पहचानना मुश्किल हो सकता है। यह कुछ सेकंड के लिए रह सकता है, जिसके दौरान आपकी चेतना कम हो जाती है। तेज़ दौरे ऐंठन और मांसपेशियों में अनियंत्रित झटकों का कारण बन सकते हैं तथा यह कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक रह सकते हैं। एक तेज़ दौरे की अवधि में कुछ लोग भ्रमित हो जाते हैं या चेतना खो देते हैं। इसके बाद हो सकता है कि आपको इस दौरे के बारे में कुछ याद भी न रहे।

दौरों को बढ़ाने में कम सोना, शराब का सेवन, तनाव या मासिक धर्म चक्र से संबंधित हार्मोनल परिवर्तन शामिल है।




मिर्गी के कारण :Causes of epilepsy:

1. आनुवंशिक- रोगी जिनके माता-पिता या भाई-बहन को मिर्गी की बीमारी है।

2. सिर में चोट- सिर में गंभीर रूप से चोट लगने से मिर्गी की बीमारी हो सकती है।

3. इन्फेक्शन- मैनिंजाइटिस, एनसेफलाइटिस और एड्स जैसे इन्फेक्शन के कारण मिर्गी की सम्भावना बढ़ सकती है।

4. चिकित्सीय अवस्था- ब्रेन ट्यूमर, स्ट्रोक, अल्जाइमर या रक्त वाहिनियों के विकारों के कारण मिर्गी की बीमारी हो सकती है।

5. गर्भावस्था के दौरान चिकित्सीय अवस्था- गर्भावस्था के दौरान इन्फेक्शन होने या जन्म के दौरान शिशु को आघात लगने से बच्चे को मिर्गी की बीमारी हो सकती है।




मिर्गी के लक्षण :Symptoms of epilepsy:

सुध-बुध खोना।

बेहोश होना।

चक्कर आना।

मांसपेशियों में अकड़न।

स्वाद और गंध में बदलाव।

त्वचा में झनझनाहट।

सोचने-समझने की क्षमता का खत्म होना।

मुंह से झाग आना।




भ्रम की स्थिति पैदा होना।

बांहों और पैरों का लयबद्ध आन्दोलन।

आँखें आम तौर पर खुली रहती हैं।

व्यक्ति को देखकर ऐसा लग सकता है मानो वह सांस नहीं ले रहा है।

वह धीरे-धीरे वापस होश में आता है।

अस्वैच्छिक ढंग से पेशाब निकलने, जीभ काटने और मुंह में झाग आने की घटना घट सकती है।

दौरे के बाद उलझन में पड़ना आम बात है।




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