कान में दर्द क्या है ?What is an ear ache ?
कान का दर्द एक ऐसा दर्द होता है, जो कान के अंदरूनी हिस्से में होता है। ज्यादातर कान के दर्द कान के मध्य में सूजन या संक्रमण होने के कारण होता है। वैसे कान दर्द ज्यादातर बच्चों में देखा जाता है, लेकिन वयस्कों को भी मध्य कान में संक्रमण विकसित हो सकते हैं। कान में दर्द होना आम तौर पर कोई गंभीर समस्या का संकेत तो नहीं देता, लेकिन यह काफी पीड़ादायक हो सकता है। कान दर्द तेज, मध्यम या कान में जलन जैसा अनुभव हो सकता है, इसका दर्द आता-जाता रह सकता है या लगातार भी हो सकता है।
कान में दर्द के कारण :Causes in ear pain:
- कान के पर्दे में छेद हो जाने के कारण।
- साइनस में संक्रमण हो जाने पर।
- जबड़े में गठिया हो जाने के कारण।
- कान में मैल जमा हो जाने पर।
- कान में संक्रमण हो जाने के कारण।
- कान में कोई वस्तु फस जाने पर।
- गले में दर्द रहने के कारण।
- दातों में संक्रमण हो जाने पर।
- नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में बोतल से दूध पिलाना कान में संक्रमण का सबसे आम कारण है, जिसकी वजह से उनके कान में दर्द हो जाता है।
- कान में शैंपू या साबुन रह जाने के कारण।
- कान नलिका को रूई लिपटी तीली के साथ अधिक उत्तेजित करना।
- अपने कानों को बार-बार धोने की आदत भी कानों के संक्रमण का कारण बन सकती है। कान की नलिका में बहुत कम जगह होने के कारण भी उसमें पानी रह जाने की संभावनाएं ज्यादा हो जाती है। बच्चों के कान की नलिका वयस्कों के मुकाबले कम खुली होती हैं। इसके साथ ही साथ हेडफोन का अधिक उपयोग करना, त्वचा की एलर्जी, एक्जिमा, बालों के प्रोडक्ट से होने वाली त्वचा की समस्याएं आदि भी कान के दर्द और कान के बाहरी क्षेत्र में संक्रमण का कारण बन सकती है।
- संक्रमित पानी में तैरना या नाहना।
- यूस्टेकियन ट्यूब कान के मध्य भाग से गले के पिछले भाग तक जाती है। इसका काम कान के मध्य में बनने वाले द्रव को निष्कासित करना होता है। अगर यूस्टेकियन ट्यूब रूक जाए तो द्रव अधिक होने के कारण कान के परदे के पीछे दबाव बन सकता है या कान में संक्रमण हो सकता है।
- कान के चारों और सूजन आ जाती है।
- बुखार की शिकायत रहती है।
- कान से पानी निकलने की शिकायत रहती है।
- कान में कुछ फंसा हुआ सा महसूस होता है।
- सुनने में बदलाव आ जाता है।
- चिड़चिड़ापन आ जाता है।
- उल्टी आने की शिकायत रहती है।
- गले में दर्द की शिकायत रहती है।
- सिर में दर्द रहता है।
- चक्कर आते हैं।
- चेहरे की मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं।
- भोजन निगलने में कठिनाई होती है।
- टॉन्सिलाइटिस की समस्या हो जाने पर।
- जुखाम की समस्या होने पर।
- बाहरी कान संक्रमण की रोकथाम के लिए कोई बाहरी वस्तु कान में ना लगाएं।
- नहाने या तैराकी करने के बाद अपने कानों को अच्छे से सुखाएं।
- एलर्जी का कारण बनने वाली चीजों से बच कर एलर्जी होने से रोकने की कोशिश करें।
- बच्चों के आस पास धूम्रपान ना करें, दूसरे व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले ध्रूमपान से निकला हुआ धुंआ भी बच्चों में कान संक्रमण का कारण बन सकता है।
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