Dust Allergy : धूल से एलर्जी कारण, लक्षण और बचाव

   धूल से एलर्जी क्या है ?What is dust allergy?

अक्सर लोग धूल से एलर्जी होने की शिकायत करते है, धूल से होने वाली एलर्जी एक आम समस्या है। धूल के संपर्क में आने पर कई लोगों को एलर्जी की समस्या होने लगती है। कई ऐसे भी हैं, जिन्हें समस्या नहीं होती लेकिन लंबे समय तक संपर्क में रहने से उन्हें भी दिक्कते होने लगती है। धूल में कई हानिकारक कण मौजूद होते है, जो एलर्जी का कारण बनते है। जब हम धूल के कण को सांस के जरिये शरीर में लेते है तब इम्युनिटी ऊंचे गियर में चली जाती है और शरीर हानिरहित पदार्थों के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन करता है। शरीर की यह प्रतिक्रिया एलर्जी का कारण बनती है, इससे छींक आना और नाक बहना शुरू हो जाती है।




 

धूल से एलर्जी के कारण :Causes of dust allergy:

    धूल से होने वाली एलर्जी हानिरहित पदार्थ के लिए इम्यून सिस्टम (Immune system) की एक प्रतिक्रिया है। जिन पदार्थो के कारण शरीर यह प्रतिक्रिया देता है, वह एलर्जी कहलाता है, जैसे कुछ खाद्य पदार्थ, परागकण और धूल के कण। जिन लोगों को धूल के संपर्क में आने पर स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है, उन्हें मल और क्षयकारी निकायों से भी समस्या होती है। हो सकता है कि आपका घर साफ सुथरा हो, लेकिन फिर भी घर में धूल के कण मौजूद होते है और आपका शरीर धूल के संपर्क में आता है। बेडरूम में सबसे ज्यादा धूल के कण पाए जाते है। बिस्तर, फर्नीचर के कुशन नमी को बनाए रखते है। इस चीज का ध्यान रखना चाहिए कि धूल के कारण छींक आ सकती है, लेकिन सिर्फ कुछ लोगों का ही कमजाेर इम्यून सिस्टम (Immune system) एलर्जी की प्रतिक्रियाएं देता है। जितना आप धूल के संपर्क में आएंगे आपका शरीर उतनी ही प्रतिक्रिया देगा, इसलिए जितना हो सके धूल से बचना चाहिए।




  कॉकरोच : इनके द्वारा छोड़े जाने वाले हानिकारक एलर्जन (बैक्टीरिया), एलर्जी पैदा करते हैं। ये बैक्टीरियल कण सांस लेते वक्त अंंदर जाते हैं और एलर्जी होने लगती है।

मोल्ड (Mold) : मोल्ड्स पर्यावरण में मौजूद एक तरह का फंगस है। आप चाहे घर के अंदर हो या बाहर, हर जगह हमेशा कुछ-न-कुछ मोल्ड मौजूद रहते हैं। ये हवा में और कई सतहों पर रहते हैं। मोल्ड्स पृथ्वी पर लाखों वर्षों से हैं, जहां भी नमी होती है, ये वहां बढ़ते हैं। यह भी एलर्जी का एक कारण है।

जानवरों के बाल व रूसी (Animal Dander) :  पालतू जानवर जैसे कुत्ते और बिल्ली के शरीर से गिरने वाले बाल और रूसी के कारण भी डस्ट एलर्जी हो सकती है।

पराग : प्रत्येक वर्ष वसंत, ग्रीष्म और पतझड़ के समय पेड़ों से पराग निकलकर हवा में मिल जाते हैं। ये पराग नाक और गले में पहुंचकर एलर्जी पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, पेड़-पौधों में लगे फूल के पराग को सूंघने से भी एलर्जी हो सकती है। इस एलर्जी को हे फीवर (Hay Fever) के नाम से भी जाना जाता है।




धूल से एलर्जी के लक्षण :Symptoms of dust allergy:

छींकें आना ।

नाक बहना ।

आँखों का लाल पड़ना, उनमें खुजली होना या पानी आना।

नाक बंद होना।

नाक, तालु या गले में खुजली।

गले में बलगम का रिसना।

खांसी।




चेहरे पर दबाव और दर्द।

आँखों के नीचे की त्वचा में सूजन और उस हिस्से का नीला पड़ जाना।

बच्चों का बार बार नाक खुजाना।

सांस लेने में दिक्कत।

सीने में अकड़न या दर्द।

सांस लेने में गरगराहट या सीटी जैसी आवाज आना।

सांस की परेशानी, खांसी और गरगराहट के कारण नींद आने में दिक्कत।

खांसी के दौरे या गले में घरघराहट जो किसी वायरल संक्रमण के कारण और बढ़ सकता है।

डस्ट एलर्जी की समस्या मामूली से गंभीर तक हो सकती है। यदि मामूली डस्ट एलर्जी है तो कभी-कभी नाक बहने, आँखों से पानी आना और छींकें आने जैसे लक्षण दिख सकते हैं। डस्ट एलर्जी गंभीर हो तो अक्सर यह पुराने रोग की स्थिति हो सकती है जिसमें छींकें आना, खांसी, बलगम का जमाव, चेहरे पर दबाव व दमे के गंभीर दौरे स्थाई लक्षण हो सकते हैं।




 धूल की एलर्जी से बचाव :Dust allergy prevention:

     बच्चों को एलर्जी से बचाने के लिए उन्हें धूल-मिट्टी और धूप से बचाने की जगह उसमें खेलने दें. ऐसा करने से बच्चों में बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होगा. धूल-मिट्टी में खेलने के बाद उनके हाथ-पैर अच्छे से धुलवाना न भूलें।

-यदि आपको धूल और धुएं से एलर्जी है तो घर से निकलने से पहले अपनी नाक पर रुमाल बांध लें. बचाव ही एलर्जी का इलाज है।

-गंदगी की वजह से जिन लोगों को एलर्जी होती है उन्हें समय-समय पर बेड की चादर, तकिए के कवर और पर्दे बदलते रहने चाहिए।

-एलर्जी से पीड़ित लोगों को कारपेट यूज नहीं करना चाहिए. अगर घर को सजाने के लिए कारपेट का इस्तेमाल करते भी हैं तो उसे कम-से-कम 6 महीने में एक बार ड्राइक्लीन जरूर करवाएं।




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