Depression ! डिप्रेशन क्या है, डिप्रेशन होने के कारण और लक्षण

डिप्रेशन क्या है ? डिप्रेशन दिमाग की ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को उदास रखने के साथ-साथ उसको सोचने की क्षमता भी कम कर देती है। कोई भी निर्णय लेना उसके लिए काफी कठिन होता है। इसे आम भाषा में उदासी या मानसिक दवाब कहते हैं।
डिप्रेशन बीमारी कोई आधुनिक रोग नहीं है, व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं व्यक्ति के मस्तिष्क पर भी इन बातों का प्रभाव पड़ता है अधिकांश यह प्रभाव क्षणिक होते हैं और कुछ समय बाद व्यक्ति सब कुछ भूल कर अपने काम में पुनः लग जाता है जब यह प्रभाव लंबे समय तक रहते हैं और प्रभावित व्यक्ति 1 सप्ताह से अधिक उदास रहता है तो उसे डिप्रेशन कहते हैं। डिप्रेशन मन की एक व्यवस्था है। जीवन में कठिन क्षण, दुख या किसी हादसे के दौरान मन का उदास होना स्वभाविक है। पर जब यह उदासी मन की गहराइयों में उतर जाती है और उस पर इस कदर छा जाती है कि कुछ अच्छा नहीं लगता चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा देखता है और जीने की चाह नहीं रहती तो यह रोग बन जाता है। जिसे डिप्रेशन कहते हैं। इसका शरीर पर भी असर पड़ता है और व्यक्ति मन और शरीर दोनों से रोगी हो जाता है। यह किसी तरह का पागलपन नहीं है। बल्कि यह एक रोग है जो किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। डिप्रेशन होने के कारण :
  • अगर व्यक्ति को किसी तरह का रोग हो तो व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो सकता है।
  • हाई ब्लड प्रेशर की औषधियों के कारण भी डिप्रेशन हो सकता है।
  • डिप्रेशन का मरीज शारीरिक स्तर पर थका हुआ और मानसिक स्तर पर उदास रहता है यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है फिर भी यह बीमारी युवावस्था व बुढ़ापे में अधिक होती है।
  • यह बीमारी मुख्य रूप से मस्तिष्क के रासायनिक स्राव के असंतुलन के कारण होती है यह केवल मानसिक ही नहीं शारीरिक रोग भी है।
रोग का प्रारंभ :
 
   इस रोग में मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं और आसपास के वातावरण से मानो उसका कोई लेना-देना नहीं हो। ऐसे रोगी में बेचैनी, अनावश्यक शारीरिक अंगों को हिलाना, कंधे उचकाना, किसी भी बात पर चिड़चिड़ापन, अकेले में हंसना या बोलना, घबराहट आदि लक्षण दिखते हैं।
  डिप्रेशन के लक्षण :
  • रोगी हमेशा उदास रहता है।
  • लोगों से मिलने झूल का मन नहीं करता।
  • रोगी चुपचाप पड़ा रहता है।
  • अपने मित्रों को कोई बहाना बनाकर टाल देता है।
  • रोगी धीरे-धीरे वह धीमी आवाज में बड़े ही निराश ढंग से बात करता है।
  • कामकाज में रोगी का मन नहीं लगता।
  • रोगी के लिए हर काम बोझ सा होता है।
  • उसके बाद में हमेशा यह बात रहती है कि मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा।
  • रोगी बिना बोले व बिना खाए हफ्तों तक पड़ा रह सकता है उसके चेहरे पर उदासी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
  • मरीज हर समय थकावट रहने की शिकायत करता है।
  • रोगी को ठीक तरह से नींद नहीं आती लेकिन कुछ मरीज हर समय नींद न आने की शिकायत करते हैं।
  • रोगी के मन को कुछ अच्छा नहीं लगता।
  • भूख नहीं लगती।
  • रोगी की आंखों से आंसू गिरते रहते हैं।
  • सिर दर्द होता है।
  • मूड हमेशा अजीब सा बना रहता है किसी से मिलने की इच्छा नहीं होती है।
कुछ विचित्र लक्षण :
 
   कुछ रोगियों में बड़े ही विचित्र लक्षण बनते हैं जैसे कि उनकी आते सड़ गई है, दिमाग सड़ गया है, शरीर में कीड़े भरे हैं, आदि लक्षण पाए जाते हैं।

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  नोट, याद रहे –
 
  • रोगी में हीनता की भावना आ जाती है।
  • रोगी अपने आप को निकम्मा तथा समाज पर बोझ समझने लगता है।
  • रोगी में आत्मविश्वास कम हो जाता है रोगी को अपना भविष्य अंधकार में प्रतीत होता है।
  • रोगी को रोने की बहुत इच्छा होती है। रोगी अकेले में या कभी-कभी दूसरों के सामने रोने लगता है।
  • रोगी अपने जीवन की छोटी-छोटी भूलों को बहुत बढ़ा चढ़ा कर देखता है और सोचता है कि वह बड़ा पापी या अपराधी है।
  • रोगी की भूख कम हो जाती है।
  • रोगी में आत्महत्या करने की इच्छा या उसका ऐसा प्रयास  करना डिप्रेशन रोग एक महत्वपूर्ण लक्षण है।
  • डिप्रेशन रोग में लगभग 15% रोगी आत्महत्या कर लेते हैं।

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