Deafness : बहरापन के कारण और लक्षण

 बहरापन क्या है ?What is deafness ?

     आपके दोस्त के द्वारा बहुत अधिक ज़ोर से बोलने पर भी अगर आपको आपको सुनने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है तो आपको सुनने की समस्या हो सकती है। यह बहुत हल्के से शुरू होती है लेकिन धीरे-धीरे यह बहरेपन जैसी गंभीर समस्या बन जाती है। कम सुनाई देना या बिल्कुल भी सुनाई न देना बहरापन कहलाता है। सुनने में परेशानी का मतलब है किसी के द्वारा कुछ भी बोले जाने पर स्पष्ट रूप से समझने में सक्षम ना हो पाना। बहरापन सुनने की समस्या का सबसे उच्च स्तर है। ऐसे लाखों लोग हैं जो बहरेपन से पीड़ित हैं। सुनने की भावना मानव जाति के लिए सबसे बड़ा उपहार है। इसलिए हमें खुद को शिक्षित करना चाहिए कि बहरेपन के क्या कारण हो सकते हैं। इससे उपचार के विकल्पों को चुनने में भी मदद मिलेगी। सुनने में परेशानी के कई कारण हो सकते हैं उम्र बढ़ने के साथ सुनने में समस्या होना स्वाभाविक बात है। कभी-कभी अचानक हुई घटना के कारण भी सुनने में दिक्कत हो सकती है।




 

बहरापन के कारण :Causes of deafness:

बहरेपन यानी सुनने में समस्‍या के लिए कई कारण जिम्‍मेदार हो सकते हैं। अचानक ऊंची आवाजें कान में पड़ने के कारण कान बंद हो जाना, माथे पर चोट लगने के साथ कान में मैल का जमा होना भी बहरेपन के जिम्‍मेदार कारणों में से एक है। यह बीमारी है जो अन्य कई कारणों से भी सकती है, जैसे- कान पकना या किसी प्रकार की कान की बीमारी होना आदि। कुनीन का अधिक मात्रा में सेवन करने के कारण भी यह रोग हो सकता है। इस इसमस्‍या से ग्रस्‍त होने पर रोगी बहरा हो सकता है या ऊंचा सुनने लगता है। आगे के स्‍लाइड में जानिये बहरेपन के लिए जिम्‍मेदार प्रमुख कारणों के बारे में।




ईयरफोन का अधिक इस्‍तेमाल :

ईयरफोन का अधिक प्रयोग करने से भी बहरेपन की समस्‍या हो रही है। वर्तमान में युवाओं में ईयरफोन के प्रयोग का चलन अधिक बढ़ा है। तेज ध्वनि ईयर ड्रम को क्षति पहुंचा कर उसे पतला कर देती है। ईयरफोन से निकलने वाली तेज ध्वनि के कारण, शुरू में कानों की रोम कोशिकाएं अस्थायी रूप से क्षतिग्रस्त होती हैं। या एक कान में सुनाई देना बंद हो जाता है। लेकिन इस‍का अधिक प्रयोग करने से यह बहरेपन का कारण भी बन सकता है।

ट्यूमर के कारण :

कैंसर के लिए जिम्‍मेदार ट्यूमर हो या सामान्‍य ट्यूमर, इन दोनों के कारण सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। इन ट्यूमर के कारण कान की नसें प्रभावित होती हैं और यह बहरेपन के लिए जिम्‍मेदार हो सकती हैं। न्‍यूरोमा, पैरागैंग्‍लीयोमा और मेनिंजियोगा जैसे ट्यूमर के कारण भी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।




कान में संक्रमण:

कान में संक्रमण की समस्‍या भी हो सकती है। कान में आसानी से तरल पदार्थ प्रवेश कर सकता है, इसके कारण यह कान को संक्रमित कर देता है। कानों में संक्रमण के कारण खसरा, मम्‍स आदि बीमारियों के कारण भी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए जब भी कान में पानी या दूसरा तरल पदार्थ चला जाये तब कानों को अच्‍छे से साफ जरूर कर लें।

चोट लगने के कारण :

अगर कान में किसी तरह की चोट लग गई है तो इसके कारण भी सुनने की क्षमता कम हो जाती है। जानलेवा घटना जैसे विस्फोट या वाहन चलाते समय कोई दुर्घटना घटित होने से कान में अचानक तेज दर्द हो तो हो सकता है कि कान के पर्दे में छेद हो गया हो। अगर दुर्घटना के समय तेज दर्द हो और फिर सुनाई पड़ना बंद हो जाए तो समझिए की कान के मध्य भाग को नुकसान पहुंचा है।




अधिक आवाज के कारण :

डीजे हो या पब जाना हो, घर में फंक्‍शन हो या घर के बाहर हर जगह कानफोड़ू आवाज सुनने को मिलता है। चिकित्सकों की मानें तो 100 डेसीबल तक की ध्वनि ही मनुष्य के लिए सुरक्षित रहता है। 125 डेसीबल से ऊपर की तेज आवाज खतरनाक हो जाता है। जबकि डीजे से निकलने वाला सामान्य आवाज 580 डेसीबल होता है, इससे कान की परत फट सकती है।

उम्र के कारण :

बढ़ती उम्र के कारण कई तरह की समस्‍यायें होती हैं, सामान्‍यतया बुजुर्गों को कम सुनाई पड़ने लगता है। कान की नसों में शिथिलता आ जाती है, इसके कारण सुनने में दिक्‍कत होती है। उम्र बढ़ने के साथ यह समस्‍या और भी बढ़ती जाती है।




बहरापन के लक्षण :Signs of deafness:

भाषा और अन्य आवाजों को धीमा सुनना।

शब्दों को समझने में परेशानी, विशेषकर बैकग्राउंड आवाजों या भीड़ के लोगों की आवाज सुनने में परेशानी आना।

किसी भी शब्दो को सुनने में परेशानी।

बार-बार दूसरे लोगों से धीमे बोलने के लिए कहना, जैसे स्पष्ट और तेज बोलने के लिए।

टीवी या रेडियो को तेज आवाज में सुनने की आवश्यकता पड़ना।

बातचीत से पीछे हटना।




सामाजिक मेलजोल से बचना।

कुछ आवाजें तेज सुनाई देना।

दो लोगों या इससे अधिक लोगों की बातचीत न सुन पाना

किसी अन्य सुनाई देने वाले ऊंचे स्वर को न बता पाना।

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की आवाज सुनने में परेशानी आना।

सुनी हुई बातें गूंजना।

अस्थिरता या चक्कर आने का अहसास

कान में दबाव का अहसास (कान के पर्दे के पीछे फ्लूड का अहसास होना)।

कान बजना (Tinnitus)।




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