कोलन इन्फेक्शन क्या है ?What is colon infection
कोलन बड़ी आंत का सबसे बड़ा भाग है, इसलिए इसे बड़ी आंत भी कहा जाता है। यह पाचन तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो कि किसी ट्यूब की तरह दिखता है। इसका एक सिरा छोटी आंत और दूसरा मलाशय से जुड़ा होता है। कोलन आंशिक रूप से पचे हुए भोजन से पानी और कुछ पोषक तत्वों और इलेक्ट्रोलाइट्स को हटाने का काम करता है। कोलन इन्फेक्शन को कोलाइटिस के रूप में भी जाना जाता है। यह अल्सरेटिव कोलाइटिस से बिल्कुल अलग है इस रोग में मलाशय पर सूजन आ जाती है।
कोलन इन्फेक्शन की समस्या उस समय आती है जब व्यक्ति पका हुआ खाना नहीं खाए या सही तरह से खाना नहीं खाए या ईकोलाई बैक्टीरिया के कारण यह रोग हो जाता है। ऐसे व्यक्ति जो एंटीबायोटिक दवाइयों का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं या दूषित खाना यह दूषित भोजन का इस्तेमाल करते हैं उन्हें यह रोग मुख्यड रूप से हो जाता है। रोग के पुराना हो जाने पर मल से खून आता है। थकावट रहती है, जोड़ों में दर्द रहता है, पेट में दर्द रहता है, बुखार और दस्त आदि समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
कोलन इन्फेक्शन का कारण :Cause of colon infection:
- बैक्टीरिया इन्फेक्शन के कारण।
- साल्मोनेला एक प्रकार का बैक्टीरिया है। यह व्यक्ति की आंतों में रहता है यह दूषित पानी या दूध के माध्यम से आंतों में पहुंच जाता है। यह आंतों में पहुंचकर इंफेक्शन का कारण बन जाता है।
- दूषित भोजन करने या खाना खाने से पहले हाथों को न धोने के कारण ई कोलाई नामक बैक्टीरिया आंतों में प्रवेश कर जाता है। इस बैक्टीरिया के कारण किडनी की समस्या हो जाती है और व्यक्ति को पेशाब करने में समस्या उत्पन्न होती है।
- क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल – सी. डिफिसाइल बड़ी आत में मौजूद रहता है यह भी इन्फेक्शन का कारण बनता है। अधिक उम्र के व्यक्ति जो एंटीबायोटिक दवाइयों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल हो जाता है। इस बैक्टीरिया से किडनी इन्फेक्शन और बड़ी आंत में छेद हो जाता है।
- एटामोइबा हिस्टोलिटिका परजीवी के कारण बड़ी आंत में सूजन आ जाती है।
- आइस्केमिक कोलाइटिस तब होता है जब बड़ी आंत में रक्त का प्रवाह बंद या बाधित हो जाता है। इसे कोलन में सूजन आ जाती है।
- दर्द निवारक एंटीबायोटिक दवाइयों का भी इस्तेमाल करना।
- गैस्ट्रिक प्रॉब्लम हो जाने पर।
- कोलन से ऊतकों में सूजन आ जाती है।
- पेशाब में खून आ सकता है।
- कोलन में लालिमा आती है।
- सामान्य से कम पेशाब आता है।
- शरीर में पानी की कमी आ जाती है।
- जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है।
- खून की कमी आ जाती है।
- त्वचा पर पीलापन आ जाता है।
- वजन कम होने लगता है।
- पेट फूलने की शिकायत आ जाती है।
- रोगी को उल्टी आती हैं।
- रोगी को बुखार की शिकायत रहती है।
- बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है।
- खाना खाने की इच्छा नहीं रहती है।
- पेट में ऐठन रहती है।
- रोगी को दर्द की शिकायत रहती है।
- रोगी को दस्त की शिकायत रहती है और कभी कभी खून भी आता है।
- खाना खाने से पहले अच्छी तरह हाथ धो ले।
- साफ पानी का सेवन करें।
- दूध उबाल कर पिए।
- खाना बनाने से पहले हाथ धो ले।
- कच्चे मांस का सेवन न करें।
- मीट को अन्य खाद्य पदार्थों से अलग रखें।
- खाना बनाने वाले बर्तन को साफ रखें।
- यदि आप बीमार हैं तो खाना न बनाए।
- खाने को अच्छी तरह से पकाए।
- कुछ लोगों को कुछ फूड प्रोडक्ट की वजह से एलर्जी हो सकती है, जिससे उन्हें कोलाइटिस हो सकता है। लक्षणों को बिगड़ने से रोकने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन ना करना सबसे अच्छा उपाय है। कैफीन, कच्चे फल व सब्जियां और शराब का सेवन आमतौर पर उन लोगों को नहीं करना चाहिए जो कोलन संक्रमण से पीड़ित हैं।
- धूम्रपान छोड़ देने पर कोलन इन्फेक्शन से बचा जा सकता है।
- एक बार में अधिक मात्रा में न खाएं।
- भूख से अधिक भोजन न करें।
- संतुलित भोजन करें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
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