लीवर (जिगर) के पुराने रोग तक इस औषधि की पहली ही मात्रा से दूर होने लग जाते हैं। यकृत वृद्धि, जिगर में दर्द और सूजन, जिगर का दर्द जो जिगर को दबाने पर दाई पसलियों और दाएं कंधे तक जाये, रोगी का चेहरा मोम की भाँति चिकना व पीला, पीलिया, यकृत में रक्त की अधिकता, सिर चकराना, माथे और कनपटियों में दर्द, स्वाद कड़वा, जीव मैली, यकृत दोष से शरीर में पानी पड़ जाना, आंखों और मूत्र का रंग पीला, काला मल आये, भूख न लगे, थोड़ा काम करने से सांस फूल जाने पर 5 से 10 बूंदे औषधि दिन में 3-4 मात्रा पिलायें और यही औषधि पानी में डालकर कपड़े की गद्दी गोल करके लीवर के ऊपर रखते रहें।
