Calcarea Sulphurica की जानकारी लाभ और फायदे in hindi | Calcarea Sulphurica 6x Symptoms Uses and Banefit in hindi

 

Calcarea Sulphurica की जानकारी लाभ और फायदे in hindi | Calcarea Sulphurica 6x Symptoms Uses and Banefit in hindi.

 

 

Calcarea Sulphurica Symptoms and uses

कैल्केरिया सल्फ्यूरिका लीवर के पित्त रस में पाया जाता है। लीवर में रहकर यह खून के पुराने और बेकार सेल्स को बाहर निकालने का काम करता है। लेकिन जब कैल्केरिया सल्फ्यूरिका की शरीर में कमी हो जाती है तो इन ब्लड सेल्स को बाहर निकालने में देरी होती है और खून में बेकार सेल्स अधिक हो जाते हैं। ब्लड सेल्स के बाहर न निकल पाने से वे म्यूकस मेंब्रेन और त्वचा तक पहुँच जाते हैं और वहाँ तरह तरह की बीमारियाँ जैसे सर्दी, खाँसी, नाक के अंदर माँस या हड्डी बढ़ना, दस्त होना, खट्टी या खून की उल्टियाँ होना, कान बहना, आँखों से पीला कीचड़ निकलना, चेहरे पर मुँहासे, शरीर पर फोड़े फुन्सियाँ आदि उत्पन्न करते हैं। 

कैल्केरिया सल्फ्यूरिका की कमी से लगातार पीप उत्पन्न होती रहती है। कैल्केरिया सल्फ्यूरिका पीप उत्पन्न करना बन्द करता है। कैल्केरिया सल्फ्यूरिका की कमी की वजह से जख्म से कई दिनों तक पीप निकलती रहती है। कैल्केरिया सल्फ्यूरिका दवा को देने से बहुत ही थोड़े समय में जख्म सूख जाते हैं।

किसी भी बीमारी में पीप उत्पन्न होने से पहले इसे दिया जाए तो पीप पैदा नहीं होती और पीप हो जाने पर दिया जाए तो बहुत ही थोड़े समय में पीप सूख जाती है।

पीप और कैल्केरिया सल्फ्यूरिका का इतना गहरा सम्बन्ध है कि यदि खून में इस लवण की कमी न हो तो पीप उतपन्न ही नहीं हो सकती। इसीलिए कैल्केरिया सल्फ्यूरिका को पीप रोकने वाला और खून साफ करने वाला कहा जाता है। दोस्तों अब बात करते हैं कैल्केरिया सल्फ्यूरिका के जनरल सिस्टम के बारे में, 

पीले रंग का गाढ़ा और कभी-कभी खून मिला पदार्थ निकलना इस दवा का बहुत ही महत्वपूर्ण लक्षण है। इस प्रकार का पदार्थ सर्दी, खाँसी, जख्म की तीसरी अवस्था में पाया जाता है। शरीर में कहीं से भी इस प्रकार का पदार्थ निकलने पर कैल्केरिया सल्फ्यूरिका को दिया जाता है। कैल्केरिया सल्फ्यूरिका के पदार्थ में दुर्गन्ध नहीं होती और अगर हो भी तो बहुत ही मामूली होती है।

जिस रोगी को कैल्केरिया सल्फ्यूरिका की जरूरत होती है उसे नम हवा तनिक भी सहा नहीं होती। वह बीमार हो जाता है। हवा का झोका लगते ही उसे सर्दी हो जाती है, लेकिन वह खुली हवा पसंद करता है। नम हवा की तरह रोगी गर्म मौसम में गर्म कमरे में बेचैन हो जाता है। खुली हवा में टहलने से वह बेहतर महसूस करता है।

इस रोगी के बारे में दूसरी विशेष बात यह है कि इसे न तो अधिक बन्द ठंडी हवा सहन होती है और न अधिक गर्म, बिस्तर की गर्मी भी उससे बर्दाश्त नहीं होती। बन्द कमरे में उसका दम घुटता है। गर्म कपड़े पहनना रोगी पसंद नहीं करता। 

ठंड के दिनों में भी वह बदन पर चादर या रजाई ओढ़ना नहीं चाहता। हवा में ठंडक आते ही उसके कष्ट बढ़ जाते हैं। नहाने से, बरसात में भीगने से रोगी की तकलीफें बढ़ती हैं।

रोगी लम्बा, मोटा लेकिन थका हुआ, ढीला ढाला होता है। चेहरा पीला बीमारों जैसा, पीप युक्त मुहाँसो फुन्सियों से भरा हुआ होता है। गाले सूजे हुए होते हैं। विभिन्न प्रकार के रोग पैदा हो जाते हैं। दोस्तों अब बात करते हैं कैल्केरिया सल्फ्यूरिका के मेंटल सिम्टम्स के बारे में, 

रोगी को बहुत अधिक गुस्सा आता है वह चिड़चिड़े स्वभाव का रहता है,

शक्की स्वभाव का रहता है। वह हमेशा रूठा हुआ रहता है और दुखी रहता है। रोगी सोचता है कि कोई उसे समझ नहीं पा रहा है, कोई उसकी कदर नहीं का रहा है, कोई उसका साथ नहीं दे रहा है। इसलिए वह अपने घर के लोगों यार दोस्तों से झगड़ता रहता है। जिससे वह हमेशा दुखी रहता है। अपने भविष्य के लिए परेशान रहता है। जिससे नाराज हो जाता है उसके लिए उसके मन में हमेशा के लिए नफरत की भावना बैठ जाती है।

वह चिड़चिड़े स्वभाव का होता है। जरा जरा सी बात पर रूठ जाता है। हर एक से नाराज रहता है। जब भी बोलता है दिल को चुभने वाली बात ही बोलता है। उसके ऐसे स्वभाव के कारण लोग उससे दूर रहना ही पसंद करते हैं। शाम के समय उसका चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। सेक्स करने के बाद चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।

वह बेहद डरपोक स्वभाव का होता है। सोचता है उस पर कोई भारी मुसीबत आने वाली है  खुली हवा में उसकी बेचैनी कम हो जाती है। याददाश्त बहुत अधिक कमजोर होती है। अचानक से याददाश्त लुप्त हो जाती है, विशेषकर खाना खाने के बाद। तो इन सारी कंडीशन में कैल्केरिया सल्फ्यूरिका का इस्तेमाल करना चाहिए, कैल्केरिया सल्फ्यूरिका एक बेस्ट होम्योपैथिक मेडिसिन है।

 

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