Apis Melificia 30 homoeopathic medicine benefit and symptoms in hindi.

Apis Melificia 30 homoeopathic medicine benefit and symptoms in hindi.




     यह औषधि शहद की मक्खी के ढंग से तैयार होती है इसमें वे सभी लक्षण पाए जाते हैं जो शहद की मक्खी के काटने के बाद उत्पन्न होते हैं सूजन सारे शरीर पर आती है लेकिन मुख्य रूप से गुर्दों पर इसका विशेष रूप से प्रभाव पड़ता है जिसके कारण शरीर में जहां-जहां सेल्स है वहां वहां पानी भर जाने के कारण सूजन आ जाती है आंखों की सूजन में इस मेडिसन का विशेष रूप से उपयोग करना चाहिए आंखों के नीचे की पलक की सुज कर पानी के थैले जैसी हो जाती है तो उस समय इस मेडिसिन का इस्तेमाल करना चाहिए।

      रोगी को प्यास बिल्कुल भी नहीं लगती है। ठंड से रोग में आराम आ जाता है लेकिन गर्मी से रोग बढ़ जाते हैं। अगर सूजन शरीर के दाहिने हिस्से में है तो वह बायीं और जाती है। अगर पेट पर सूजन है तो वह सूजन दाएं तरफ से शुरू होती है और बाएं तरफ को चली जाती है सूजन में जलन और डंक मारने जैसा दर्द होता है यह है दर्द दाएं तरफ से शुरू होता है और बाएं तरफ आकर रुक जाता है अगर जीभ पर सूजन है तो दाएं तरफ की जीभ बाएं तरफ की जीभ से अधिक सूजी हुई रहती है।




 

     मधुमक्खी के काटने पर जलन और दर्द होता है सूजन आ जाती है जलन में ठंडक से आराम मिलता है गर्मी को रोगी सहन नहीं कर सकता तो उस समय इस मेडिसन का इस्तेमाल करना चाहिए।

    शरीर पर छोटी-छोटी फुंसियां हो जाती है यह फुंसियां कभी कभी दिखाई भी नहीं देती है लेकिन त्वचा पर उंगली फिर आने से उन्हें महसूस किया जा सकता है शरीर पर ऐसी गांठे जो कभी प्रकट हो जाती है और कभी दब जाती है तो उस समय इस मेडिसन का इस्तेमाल करना चाहिए चेहरे की त्वचा पर पित्ती उछलती है चेहरा लाल रहता है सूजे हुए भाग को उंगली से दबाने पर उसी स्थान पर गड्ढा पड़ जाता है तो उस समय इस मेडिसन का इस्तेमाल करना चाहिए।




   मस्तिष्क के रोग जैसे मैंनेजाइटिस, इंसेफलाइटिस टाइफाइड, हाइड्रोसेप्लस आदि में बेहोशी की अवस्था में रोगी चीख उठता है जैसे किसी ने डंक मार दिया हो। शरीर की झिल्लियां जो मस्तिष्क, हृदय, पेट आदि का आवरण रहता है अगर उस पर सूजन आ जाए दर्द हो और डंक मारने जैसा दर्द अनुभव हो रोगी चीख उठे तो उस समय इस मेडिसन का इस्तेमाल करना चाहिए।

     गर्भवती महिलाएं गर्भ की अवस्था बढ़ जाने के बाद बेमतलब बोलती रहती हैं कभी कभी कुछ स्त्रियां या कुछ रोगी बेमतलब बड़बड़ाते रहते हैं जैसे बच्चे अकेले में कुछ न कुछ बड़बड़ाया करते हैं इन बातों का कोई मतलब नहीं रहता है तो ऐसे मानसिक लक्षण में इस मेडिसिन का इस्तेमाल करना चाहिए।




      गर्भवती महिला को पहले दूसरे और तसरे महीने में गर्भपात होने का डर रहता है। कभी-कभी किसी दुर्घटना या कमजोरी के कारण भी गर्भवती महिलाओं को गर्भपात होने का डर सताता रहता है तो ऐसी अवस्था में इस मेडिसिन का इस्तेमाल करना चाहिए।

    इसका विलक्षण लक्षण यह है कि बुखार में जब रोगी को ठंड लगती है अगर रोगी को कपड़ा उड़ा दिया जाए तो वह कपड़े उतार कर फेंक देता है प्यास बिल्कुल नहीं लगती तो उस समय इस मेडिसिन का इस्तेमाल करना चाहिए।




      रोगी को दोपहर 3:00 बजे सर्दी लगकर बुखार आता है उस समय रोग की वृद्धि होती है।

       सूजन आ जाने पर गर्मी से रोग बढ़ जाता है और ठंड से रोगी को कुछ आराम मिलता है हाथ पैर गर्म रहते हैं।

    थोड़ी सी भी हरकत करने से अगर मलद्वार से मल बाहर निकल जाए तो उस समय इस मेडिसन का इस्तेमाल करना चाहिए।




     Modalities :

  • ठंडी हवा से या ठंडे पानी से नहाने पर रोग में आराम मिलता है।
  • कपड़ा उतार देने के बाद रोगी को अच्छा महसूस होता है।
  • गरम कमरे में रोग में वृद्धि हो जाती है।
  • सेंकने से रोग में वृद्धि हो जाती है।      
  • सोने के बाद रोग बढ़ जाते हैं।
  • 3:00 से 6:00 के बीच रोग बढ़ जाते हैं।




 
Uses – As prescribed by a physician.
 
 

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