लाइम रोग ( Lyme Disease ) : कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के उपाय

 लाइम रोग ( Lyme Disease ) : कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के उपाय

लाइम रोग क्या है ? – what is lyme disease in hindi


यह एक प्रकार का संक्रामक रोग है जो बोरेलिया बर्गडोरफेरी नामक बैक्टीरिया की वजह से होता है। बोरेलियाबर्गडोरफेरी बहुत ही सूक्ष्म कीट होता है जो त्वचा में चिपकर कई दिनों तक खून चूसता रहता है और प्रभावितव्यक्ति को इसका पता भी नहीं चल पाता। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसमें त्वचा लाल हो जाती है और सूजनभी आती है। समस्या यह है कि जल्दी इसका पता नहीं चल पाता। इस तरह से अंदर ही अंदर संक्रमण पूरे शरीरमें फैल जाता है।


लाइम रोग ( Lyme Disease ) : कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के उपाय

लाइम रोग के लक्षण क्या हैं? – what are the symptoms of lyme disease in hindi


लाइम रोग का शुरुआती और सबसे आम लक्षण है किसी कीड़े के काटने के तीन से 30 दिन के अंदर काटी गई जगह के आसपास एक गुलाबी या लाल रंग का गोल चकत्ता बनना। यह रैश कई बार किसी डार्ट बोर्ड पर बुल्स-आई की तरह दिखता है।


आपको फ़्लू जैसे लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे थकावट, सिरदर्द और मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द होना।


अगर लाइम रोग को इलाज के बिना छोड़ दिया जाए तो कुछ और लक्षण कुछ महीनों या वर्षो के बाद उभर कर सामने आ सकते हैं, जैसे:


मांसपेशियों में दर्द

जोड़ों में दर्द और जोड़ों में सूजन

न्यूरोलॉजिकल लक्षण, जैसे चेहरे की मांसपेशियों का अस्थायी लकवा

लाइम रोग अपनी बाद के स्टेजेस में फाइब्रोमाइलगिया (fibromyalgia) या क्रोनिक फटीग सिंड्रोम (chronic fatigue syndrome) जैसे लक्षणों का कारण बन सकता है। इसे क्रोनिक लाइम रोग (chronic Lyme disease) कहा जाता है। हालांकि लाइम रोग के इस स्टेज पर और अधिक शोध किए जाने की जरूरत है।


लाइम रोग से ग्रस्त व्यक्ति रोग को फैला नहीं सकता क्योंकि संक्रमण केवल टिक्स द्वारा ही फैलता है।


जबतक शुरुआती चरण में रैश मौजूद ना हो तब तक लाइम रोग की पहचान करना कई बार मुश्किल होता है क्योंकि कई लक्षण अन्य रोगों के समान ही होते हैं। यदि लाइम रोग होने का संदेह है तो ख़ून जाँच से उसकी पहचान करना संभव हो सकता है लेकिन ऐसा कुछ हफ़्तों के बाद किया जाना चाहिए जिससे ग़लत रिपोर्ट आने की सम्भावना ना रहे।


कि‍से हो सकता है लाइम रोग – Risk factors of Lyme disease in hindi


लाइम रोग आमतौर पर 5 से 14 साल के बच्चों और 40 से 50 साल की उम्र के वयस्कों में होता है. लाइम रोग का सबसे पर्याप्त जोखिम कारक उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों जहां टि‍क्‍स से संपर्क आसानी से हो सकता हो – जैसे न्यू इंग्लैंड राज्यों, साथ ही मिनेसोटा और विस्कॉन्सिन हैं. लाइम रोग के अन्य जोखिम कारकों में बाहरी गतिविधियां जैसे जंगल में या खेतों में बागवानी करना आपको लाइम रोग के उच्च जोखिम में डाल देता है.


लाइम रोग के कारण व जोखिम कारक – Lyme disease Causes & Risk Factors in Hindi

लाइम रोग क्यों होता है?


लाइम रोग एक प्रकार का बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो मनुष्यों में कीट के द्वारा फैलाया जाता है।


ये कीट मकड़ी जैसे दिखने वाले जीव हैं, जो आमतौर पर जंगलों व अधिक पेड़-पौधों वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इसके अलावा ये कीट बाग-बगीचों में भी पाए जा सकते हैं। ये पक्षियों व स्तनधारियों की त्वचा में चिपककर खून पीते हैं जिनमें मनुष्य भी शामिल है। ये कीट गहरी अधिक फैली हुई घास व झाड़ियों में भी पाए जाते हैं, जहां से ये जानवरों तक आसानी से पहुंच पाते हैं।


यदि कोई कीट लाइम रोग से ग्रस्त किसी जानवर को काट लेता है, तो इस रोग के बैक्टीरिया कीट के शरीर में चले जाते हैं और कीट भी संक्रमित हो जाता है। जब संक्रमित कीट किसी व्यक्ति को काटता है, तो बैक्टीरिया उस व्यक्ति के शरीर में भी पहुंच जाता है। 


ये कीट उड़ या उछल कर आप तक नहीं पहुंच सकते, लेकिन यदि आप किसी ऐसी चीज से रगड़ खाते हैं जिन पर ये पहले ही मौजूद हैं, तो ये आपके कपड़ों या त्वचा पर चढ़ जाते हैं। ये आपकी त्वचा पर पहुंच कर काट लेते हैं और खून चूसने लग जाते हैं। लाइम रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। 


यदि कोई कीट आपकी त्वचा से 24 घंटे से भी अधिक समय तक चिपका रहता है, तो लाइम रोग से संक्रमित होने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है। लेकिन ये कीट आकार में काफी छोटे होते हैं और इनके काटने से दर्द भी नहीं होता है, इसलिए यदि किसी कीट ने आपको काट लिया है और आपकी त्वचा से चिपका हुआ है, तो आपको उसका पता भी नहीं चलेगा।


लाइम रोग का इलाज – Lyme disease Treatment in Hindi

लाइम रोग का इलाज कैसे किया जाता है?


यदि आपको आपकी त्वचा पर कोई कीट चिपका हुआ मिलता है, तो उसको चिमटी की मदद से ध्यानपूर्वक निकाल दें। कीट को ठीक तरीके से निकालने के लिए चिमटी को कीट के सिर या मुंह पर लगाएं और फिर धीरे से  खींचे। कीट को खींचने के बाद यह सुनिश्चित कर लें की कीट का सारा हिस्सा त्वचा से निकल गया है या नहीं।


लाइम रोग के शुरुआती चरणों में ही इसका सबसे बेहतर तरीके से इलाज किया जा सकता है। लाइम रोग के शुरुआती चरणों में उसका इलाज करने के लिए 14 से 21 दिनों तक एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स चलाया जाता है, जिसकी मदद से इन्फेक्शन को शरीर से खत्म कर दिया जाता है। लाइम रोग का इलाज करने के लिए निम्नलिखित दवाएं उपयोग की जा सकती हैं:


वयस्क और 8 साल से अधिक उम्र वाले बच्चों के लिए डॉक्सिसाइक्लिन दवाएं दी जा सकती हैं। 

वयस्क, छोटे बच्चों व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सेफ्यूरोक्सिम और एमोक्सिसिलिन दवाएं दी जा सकती हैं।

लगातार लंबे समय से हो रहे लाइम रोग का इलाज करने के लिए 14 से 21 दिनों तक इंट्रावेनस (नसों में दी जाने वाली) एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। यदि किसी व्यक्ति को मेनिनजाइटिस, मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी की ऊपरी परत में सूजन व लालिमा हो या हृदय संबंधी गंभीर समस्याएं हैं, तो उसको इंट्रावेनस एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। इस इलाज से इन्फेक्शन ठीक हो जाता है, लेकिन लक्षणों में धीरे-धीरे सुधार होता है।


आपको एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स लंबे समय तक लेने की आवश्यकता भी पड़ सकती है या बार-बार इलाज करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है। यह आपके लक्षणों और परीक्षण कब किया था, आदि स्थितियों पर निर्भर करता है।


शरीर के बैक्टीरिया नष्ट होने के बाद भी कई बार जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण ठीक नहीं हो पाते हैं, जिसके कारण का पता नहीं है। कुछ डॉक्टर मानते हैं कि ये लक्षण अक्सर उन लोगों को होते हैं, जिनको स्वप्रतिरक्षित रोग होने की संभावना अधिक  होती है।

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