मनुष्य के पेट तथा आंतों में विभिन्न प्रकार के कीड़े पाए जाते हैं जो विशेषकर बच्चों में अधिक मिलते हैं। बच्चों के पेट में कीड़े हो जाना संसार के कई विकासशील खासकर गर्म देशों में एक आम बीमारी है। कीड़े कई प्रकार के होते हैं, जो मनुष्य के मल में बराबर निकलते रहते हैं और उन्हें आसानी से देखा जा सकता है। कुछ कीड़ों को देख पाना कठिन भी होता है इनके अंडे का ज्ञान सूक्ष्मदर्शी यंत्र की सहायता से आजकल आसानी से कर लिया जाता है।
यह सभी कीड़े परिपोषी होते हैं, अर्थ है जो कुछ बच्चा खाता है, पीता है, उसे यह चट कर जाते हैं। फलस्वरूप बच्चा दुबला पतला और कमजोर हो जाता है और यह कीड़े बढ़ते जाते हैं।
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जिन कीड़ों की चर्चा की जाएगी वह सभी आंतों व पेट में पाए जाते हैं। इन कीड़ों की विषैली प्रक्रिया हमारे शरीर में अनेक रोगों को जन्म देती है। इन कीड़ों के होते हुए कोई रोगी स्वस्थ रह ही नहीं सकता। है
कीड़े होने के कारण : Causes of Worms:
- अस्वस्थता पेट के कीड़ों का सबसे प्रमुख कारण है।
- बिना हाथ धोए भोजन करना इस प्रकार की गंदगी के कारण कीड़े उत्पन्न होते हैं ।
- प्रतिदिन अत्यधिक मात्रा में खट्टे मीठे पदार्थों को खाने की आदत ।
- आटे और गुड़ से बने हुए खाद्य पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करना।
- दिन में सोने की आदत दिन को सोने से शरीर में जो विकार होते हैं उनसे आंतों में कीड़े पैदा हो जाते हैं ।
- जमीन पर गिरी हुई चीज उठाकर खाना कम पका मांस खाना मुंह से नाखून कुतरने की आदत।
- कच्चे फल और सब्जियां आदि बिना धोए खाना।
- अधिक पका केला खाने से इससे पेट में जल्दी कीड़े होने की संभावना होती है। उड़द तथा खट्टे पदार्थ, अत्यधिक नमक खाने से
- गुड़ का अधिक सेवन करना।
याद रहे – आयुर्वेदिक का मानना है कि जो व्यक्ति मीठे पदार्थोंं का अधिक मात्राा में सेवन करतेे हैं उनके शरीर में कीड़ों की वृद्धि के लिए अच्छा वातावरण तैयार हो जाता है।
कीड़े होने पर क्या लक्षण होते हैं:
- बच्चों का शरीर दुबला हो जाता है।
- रोगी का चेहरा पीला नजर आता है।
- आंखों के नीचे काले घेरे उत्पन्न हो जाते हैं।
- हल्का हल्का बुखार बना रहता है।
- पेट में हल्का हल्का दर्द होता है।
- सीने में भी हल्का हल्का दर्द होता है।
- रोगी सिर चकराने की शिकायत करता है।
- रोगी को पतले दस्त होते हैं।
- मलद्वार के पास खुजली होती है जो शाम के समय अधिक बढ़ जाती है।
- पेट के बल सोना।
- रोगी नाक खुजलाता रहता है।
- कभी अधिक भूख लगती है कभी नहीं लगती।
- कभी-कभी उल्टी के साथ मुंह के रास्ते बड़े और लंबे कीड़े बाहर निकल आते हैं।
- चेहरे पर फीकापन आ जाता है पूरे चेहरे का रंग एक जैसा नहीं रहता कहीं धब्बे होते हैं तो कहीं कालापन दिखाई देता है।
- रात के समय नींद में रोगी दांत कटकटाता आता है।
- सोते समय लार आती है इसलिए सुबह देखने पर रोगी के तकिया और चादर कुछ-कुछ गीली होते हैं।
- खून की कमी हो जाती है और लीवर के लक्षण दिखाई देते हैं।
- किसी काम में मन नहीं लगता है।
- कभी-कभी रोगी रात में सोते हुए चौक कर जाग पड़ता है।
- रोगी की भूख समाप्त हो जाती है पर जब रोगी का आहार कीड़े खा जाते हैं तब रोगी को बहुत तेज भूख लगती है।
- हॉठ बार-बार सूख जाया करते हैं।
- कीड़ों के कारण हृदय रोग, सिर दर्द, पेट फूलना, दस्तों और पेट में सूजन आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
यदि कीड़े लंबे समय से शरीर में बने रहे तो अपेंडिक्स का रोग हो जाता है।
कुछ बच्चों को कीड़ों के कारण दौरे पड़ने लगते हैं।
कीड़ों के प्रकार:
1 – Round worms
2 – Thread worms
3 – Hook worms
4 – Tape worms
यह सभी कीड़े मनुष्य के शरीर में उपस्थिति रहने पर अनेक रोगों को जन्म देते हैं।