नैसोफेरिंजाइटिस क्या है ? : What is nasopharyngitis ?
यह एक ड्रापलेट इंफेक्शन है। जिसमें रोगी को बुखार, नाक का बहना, गले में अवरोध, खांसी आदि लक्षण हो जाते हैं। इसमें नेसोफारिंक्स सूजन भी कहते हैं। इसमें नेसोफारिंक्स की दीवारें सूखी, चिकन और पतली दिखाई पड़ती है। इन रोगियों में गले में पीला या भुरा पदार्थ दिखाई देता है जिसका कोई कारण नहीं मिलता है। कभी-कभी एडीनायड्स के बड़ी उम्र तक बने रहने से भी यह रोग हो जाता है।
नैसोफेरिंजाइटिस के कारण :Causes of nasopharyngitis:
यह वायरस अथवा बैक्टीरिया के द्वारा होता है। शुरू में रोगी को जुखाम होता है। रोगी को इन्फ्लूएंजा का तेज आक्रमण भी हो सकता है। नेसोफारिंक्स पर सूजन साइनोसाइटिस के कारण होती है। कभी-कभी इन्फ्लूएंजा के कारण नेसोफारिंक्स में सूजन आ जाती है और अत्यधिक जलन होती है। नेसोफारिंक्स पर सूखापन आ जाता है। जिन व्यक्तियों को लंबे समय से जुखाम की शिकायत है उन्हें भी नैसोफेरिंजाइटिस हो जाता है। जो व्यक्ति अत्यधिक धूल मिट्टी या कोयले की खदानों में कार्य करते हैं उन्हें अक्सर नैसोफेरिंजाइटिस हो जाता है जिस कारण रोगी से सांस नहीं लिया जा सकता। जिन व्यक्तियों में प्रतिरोधक क्षमता की कमी है उन्हें अक्सर यह रोग हो जाता है।
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नैसोफेरिंजाइटिस के लक्षण :Symptoms of nasopharyngitis:
- रोगी को नाक के पीछे गर्मी अनुभव होती है।
- नाक हमेशा सुखी सी लगती है।
- रोगी को अत्यधिक दर्द होता है।
- नाक से कभी कभी खून भी नहीं कराता है।
- नाक में सूजन आ जाती है।
- यह रोग धूम्रपान, अल्कोहल, पान मसाला आदि करने वाले लोगों में अधिक पाया जाता है।
- रोगी को सांस लेने में समस्या होती है।
- गली में अत्यधिक सूजन आ जाती है।
- नाक और मुंह में संक्रमण हो जाता है।
- धूल, धुआं रोगी से बर्दाश्त नहीं होता।
- रोगी के मुंह में खुश्की रहती है।
- रोग के पुराना हो जाने पर रोगी सांस जल्दी-जल्दी लेता है।
- रोगी को बुखार बना रहता है।
- कुछ खाते समय रोगी को गले में दर्द होता है।
- रोगी को बलगम आता है, जो सुबह के समय अधिकार होता है।
- रोगी को खांसी बनी रहती है।
- रोगी को अत्यधिक छींके आती हैं।
- सिर में दर्द बना रहता है।
- नाक हमेशा बहती रहती है।