Stomach ulcer ! पेट का अल्सर, गैस्ट्रिक अल्सर, अल्सर क्या है, अल्सर के कारण और लक्षण,

अल्सर  ( Ulcer ) क्या  है ?

अल्सर अंग्रेजी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘घाव या छाला’।हमारे शरीर में खासकर पेट में या आंतों में जो घाव हो जाता है, उस घाव को अल्सर कहते हैं। यह एक ऐसा रोग है जो जीवन भर साथ नहीं छोड़ता है। आजकल अल्सर के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है।

इस रोग को पेट अथवा आंतों के घाव के नाम से भी पुकारा जाता है।यह रोग अधिकतर उन लोगों को होता है जो पूर्व में लंबे समय से एसिडिटी के शिकार रहे हो।

अल्सर एक शारीरिक रोग है।अमेरिका जैसे संपन्न देशों में लगभग एक करोड़ लोग पेट के अल्सर से पीड़ित हैं,जिसमें लगभग 7000 रोगी प्रतिवर्ष इस बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है।

अल्सर मुख्यतः दो तरह के होते हैं:

1 Duodenal ulcer.

2 – Gastric ulcer.

जो अल्सर डयूडेनम में होता है उसे डयूडेनल  अल्सर कहते हैं।

पेट के ऊपर बीच में या बिल्कुल नीचे भाग में कहीं भी घाव हो जाए उसे गैस्ट्रिक अल्सर कहते हैं।

अल्सर के कुछ मुख्य कारण:

यह रोग मुख्य रूप से मानसिक तनाव के कारण होता है।पेट का अल्सर आप क्या खा रहे हैं इसकी अपेक्षा आपके मस्तिष्क को कौन-कौन सी चिंता खाए जा रही है इस बात पर अधिक आधारित है।पेट के रोगी यदि लंबे समय तक गर्म दवाइयों का सेवन करते रहे, तो उन्हे कुछ समय बाद अल्सर का रोग हो जाता है। सर्दी जुखाम और सांस के रोगियों को भी गर्म दवाइयां लेनी पड़ती है,इन दवाइयों का और विशेषकर एलोपैथिक दवाइयों का अल्सर पैदा करने में बहुत बड़ा हाथ होता है।

धूम्रपान करने एवं शराब पीने वाले व्यक्तियों में कुछ समय के बाद पेट के अल्सर वाले रोग हो जाते हैं। कॉफी और कोका कोला वाले द्रव्य भी पेट में अल्सर पैदा करते हैं।

यदि एसिडिटी के रोगी खट्टे तले भुने तीखे एवं गरम मसालेदार भोजन लंबे समय तक लेते रहते हैं तो उन्हें भी अल्सर का रोग हो जाता है। कोलतार या उससे बने हुए पदार्थों का सेवन करने से अल्सर का रोग बहुत जल्द हो जाता है।

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अल्सर होने का मुख्य कारण ज्यादा मिर्ची मसाले वाले भोजन ज्यादा समय तक लेना, अत्यधिक चाय, कॉफी, भोजन में प्रोटीन की कमी, व सिगरेट पीना, खाना समय से नहीं खाना, खूब जल्दबाजी में खाना खाना, बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई  खाना या खाली पेट दवाई खाना। अक्सर लोग सिर दर्द में एस्प्रिन या कोई अन्य दवा खाते रहते हैं, जिससे पेट में एसिडिटी होने लगती है वह गैस बनती है जो बाद में अल्सर बन सकती है, या कभी-कभी गठिया, जोड़ों में दर्द,हृदय की दवाइयां ज्यादा दिनों तक लेते रहने से भी अल्सर बन जाते हैं।

याद रहे – 

गैस्ट्रिक अल्सर के बारे में-

खाने में क्षार वाले और कैल्शियम वाले पदार्थ कम हो जाने से पेट में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके परिणाम स्वरूप गैस्ट्रिक अल्सर हो जाता है।

अरहर की दाल, खट्टा संतरा या कोई अन्य खट्टा फल, नींबू, अचार, खट्टा दही आदि भी एसिड बनाते हैं ऐसे पदार्थ लंबे समय तक खाते रहने से एसिड की मात्रा बढ़ जाती है और गैस्ट्रिक अल्सर हो सकता है।

गैस्ट्रिक अल्सर का दर्द इतनी तेज होता है कि रोगी पेट पकड़ कर बैठ जाता है आगे झुकने या पीछे झुकने से आराम मिलता है ऐसी दशा में दूध या कोई अन्य पदार्थ खा लेने पर बड़ी राहत मिल जाती है।

याद रहे

डयुडेनल अल्सर के बारे में:

कई बार ऐसा भी होता है कि डयूडेनल अल्सर का रोगी आधी रात को अचानक पेट में पीड़ा होने से जाग उठता है यह पीड़ा कुछ ऐसी होती है कि जैसे कि जोरों की भूख लगी हो इसका कारण यह है कि आधी रात को पेट खाली हो जाता है ऐसे समय दूध पी लेने से राहत का अनुभव होता है।

पेट को दबाने पर रोगी दर्द अनुभव करता है।अक्सर खाना खाने के 1 घंटे बाद दर्द होने लगता है।

अल्सर होने पर क्या लक्षण होते हैं:

    1 – गैस्ट्रिक अल्सर के लक्षण-

गैस्ट्रिक अल्सर के रोगी के पेट में लगातार जलन होती रहती है। उसे ऐसा अनुभव होता है जैसे उसके पेट में आग लगा दी गई हो।गैस्ट्रिक अल्सर में भोजन करने के बाद तुरंत पीड़ा और जलन होने लगती है। भोजन के बाद रोगी को पेट में बेचैनी या भारीपन महसूस होता है। यह बेचैनी धीरे-धीरे पीड़ा का रूप धारण कर लेती है। यह पीड़ा पेट के ऊपरी हिस्से में होती है। रोगी यही कहता है कि कलेजे में दर्द हो रहा है जलन हो रही है यह पीड़ा होने पर क्षारीय औषधि देने से मिट जाती है।

गैस्ट्रिक अल्सर के रोगी को भोजन करने या आहार लेते समय पेट का दर्द बढ़ने भय निरंतर बना रहता है।इसके अतिरिक्त गैस्ट्रिक अल्सर के रोगी को पेट खाली होने पर भी पीड़ा और जलन बनी रहती है।भोजन करने के बाद होने वाले दर्द के भय से रोगी पूरा भोजन भी नहीं कर पाता जिस कारण रोगी का चेहरा मुरझा जाता है कमजोरी आ जाती है। भूख नहीं लगती।

 2 – डयूडेनल अल्सर के लक्षण-

डयूडेनल अल्सर में भोजन के 3-4  घंटे बाद पेट के खाली हो जाने पर दर्द होता है।यह दर्द ज्यादातर भोजन हजम होने के बाद शुरू होता है।इस दर्द की मुख्य विशेषता यह है कि यह दर्द तभी होता है जब रोगी भूखा हो और कुछ खाने के बाद यह दर्द अपने आप शांत हो जाता है। कभी-कभी आंतों में हुय घाव से रक्त भी आने लगता है, जिससे मल का रंग काला हो जाता है।कई बार यह रक्त रोगी के मुंह से बाहर भी आ जाता है।

कई बार ऐसा भी होता है कि डयूडेनल अल्सर का रोगी आधी रात अचानक पेट में पीड़ा होने से जाग जाता है यह पीड़ा कुछ ऐसी होती है जैसे कि जोरों की भूख लगी हो इसका कारण यह है कि आधी रात को पेट खाली हो जाता है ऐसे समय दूध पी लेने से राहत का अनुभव होता है।

ध्यान रहे – 

दर्द होने पर एस्प्रिन भूलकर भी प्रयोग न करें।

हर दो-तीन महीने बाद दांतों की जांच कराते रहे।

रोगी को ठंड से बचना चाहिए।

अल्सर के रोगियों के लिए कुछ लाभकारी सुझाव।

 

एमिनो एसिड अल्सर के रोगी के लिए लाभकारी है विटामिन सी दिन में दो बार अवश्य दें इसे दूध के साथ नियमित रूप से दें।

रोगी को सेब का मुरब्बा देना चाहिए।

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