Natrum Muriaticum के फायदे in hindi | Natrum Muriaticum 6x Symptoms Uses and Banefit in 6

 

Natrum Muriaticum के फायदे in hindi | Natrum Muriaticum 6x Symptoms Uses and Banefit in 6

 

Natrum Muriaticum

नैट्रम म्यूरिएटिकम का काम है पानी को खींचना। जैसे बरसात के दिनों में नमक गीला हो जाता है, ककड़ी को टुकड़ों में काटने के बाद उस पर नमक छिड़क देने से ककड़ी से पानी छूटने लगता है। कोशिकाओं के अंदर का नमक पानी को खींचता है जिससे सेल्स तर रहते हैं और उनकी कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।

जब शरीर में नैट्रम म्यूरिएटिकम की कमी हो जाती है तो कोशिकाएँ पानी खींच नहीं पाती. जिसकी वजह से शरीर में पानी जमा हो जाता है और कई तरह की बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं। आँखों की ग्रंथियों में नैट्रम म्यूरिएटिकम की कमी हो जाने पर आँखों से आँसू बहने लगते हैं, लार ग्रंथियों में कमी हो जाने पर मुँह से लार ज्यादा निकलने लगती है, पेट में कमी हो जाने पर दस्त आने लगते हैं, त्वचा में कमी हो जाने पर त्वचा पर पानी भरे छाले पड़ जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नैट्रम म्यूरिएटिकम की कमी की वजह से पानी का शरीर में समान रूप से वितरण नहीं हो पाता और वह शरीर से बाहर निकलने लगता है।

 

 

शरीर में नैट्रम म्यूरिएटिकम की कमी हो जाने पर शरीर के कुछ अंगों में पानी ज्यादा हो जाता है तो कुछ अंगों में पानी कम हो जाता है, उदाहरणार्थ- पेट में पानी ज्यादा हो जाने से उल्टियाँ होने लगती हैं और आँतों में खुश्की आ जाने से कब्ज हो जाती है।

शरीर में नैट्रम म्यूरिएटिकम की कमी हो जाने से रोगी नमक ज्यादा खाना चाहता है। हर चीज में नमक डालकर खाना चाहता है, लेकिन इस प्रकार नमक ज्यादा खाने से शरीर की नमक की कमी पूरी नहीं होती, बल्कि नमक ज्यादा खाने से बीमारियाँ और बढ़ जाती है। शरीर की सेल्स सूक्ष्म होने के कारण क्रूड फॉर्म के नमक को अवशोषित करने में असमर्थ होती है। नमक को क्रूड फॉर्म में शरीर में पहुंचाने से ही कोशिकाएँ उन्हें ग्रहण कर पाती है।

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जिन रोगियों के शरीर में नैट्रम म्यूरिएटिकम की कमी हो जाती है उनका चेहरा पीला सा हो जाता है। चेहरा फूला फूला सा रहता है। रोना जल्दी आता है। रोगी ठंड ज्यादा महसूस करता है।

 अब बात करते हैं नैट्रम म्यूरिएटिकम के जनरल सिम्टम्स के बारे में,

  नैट्रम म्यूरिएटिकम का रोगी दुबला पतला, लंबा, कमजोर, खून की कमी वाला होता है। गर्दन पतली और बगुले की तरह होती है। गले की हड्डियाँ दिखाई देती है। पेट अंदर धंसाहुआ रहता है चेहरा पीला- फीका, चिकना, चमकीला धोने के बावजूद चेहरा मैला ही दिखता है। युवा व्यक्ति भी बूढ़ों जैसा दिखता है। कई रोगियों के नीचे के होंठ पर बीच में दरार होती है ऊपर के होंठ पर सूजन होती है। नैट्रम म्यूरिएटिकम के रोगी की जीभ नक्शे दार होती है।

जीभ का अगला हिस्सा तर और साफ और पिछले हिस्से पर  सफेद लेप रहता है। जीभ के किनारों पर झाग के बुलबुले होते हैं। अधिक और स्वादिष्ट भोजन के बावजूद रोगी दुबला होता चला जाता है।

नमकीन चीजें खाना पसंद करता है। हर चीज में नमक ज्यादा चाहता है।

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बेहद प्यास लगती है। चाहे जितना पानी पिए उसकी प्यास नहीं बुझती। किसी भी बीमारी में यह लक्षण हो तो नैट्रम म्यूरिएटिकम के बारे में जरूर सोचना चाहिए। भूख ज्यादा लगती है, लेकिन खाने के बाद रोगी थकान महसूस करता है और

नींद आने लगती है।

रोगी रोटी और वसायुक्त वस्तुओं से नफरत करता है। चलने, खाँसने, हँसने से अपने आप पेशाब निकल जाता है। रोगी किसी के सामने पेशाब नहीं कर सकता। यह लक्षण उसमें बचपन से ही होता है।

शरीर से निकलने वाले सभी पदार्थ पानी जैसे, तेज, चमड़ी छील देने वाले या अंडे की

सफेदी जैसे होते हैं।

त्वचा की सभी बीमारियों में पानी जैसा पतला द्रव निकलता है।

सभी तकलीफें सुबह के समय दस ग्यारह बजे बढ़ती हैं। 

हँसने पर आँख से आँसू निकलते हैं।

रोगी समुद्र के किनारे नहीं रह सकता, क्योंकि वहाँ पर उसकी तकलीफें बढ़ जाती है। समुद्र के किनारे पर कब्ज और खुजली हो जाना नैट्रम म्यूरिएटिकम का विशेष लक्षण है।

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रोगी को ठंड और गर्मी दोनों ही सहन नहीं होतीं। उसे न बहुत ज्यादा ठंड सहन होती है और न बहुत ज्यादा गर्मी रोगी को खुली हवा पसंद होती है। 

गर्म कमरे में रोगी की तकलीफें बढ़ जाती है। खुली हवा में सभी तकलीफों में आराम आता है।रोगों को जब बुखार चढ़ा हुआ हो या सिर दर्द हो तो उस समय इस दवा को

नहीं देना चाहिए, क्योंकि ऐसे समय में इस दवा को देने पर बुखार और सिर दर्द

बहुत बढ़ जाता है। बुखार उतरने के बाद और सिर दर्द कम हो जाने के बाद इसे दिया जाना चाहिए। 

दोस्तों अब बात करते हैं नैट्रम म्यूरिएटिकम के मेंटल सिम्टम्स के बारे में,

 नैट्रम म्यूरिएटिकम का रोगी बड़ा भावुक होता है। मामूली सी बात से उसके दिल को ठेस पहुंचती है।

कभी अचानक रोता है तो कभी बहुत ज्यादा दुख के बावजूद भी उसकी आँखों में आँसू नहीं आते। हँसते हँसते उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। यह इस दवा का प्रमुख लक्षण है। रोते-रोते जोर से हँसने लगता है।

हमेशा चुप रहता है। बहुत कम बात करता है। अकेला रहना चाहता है। कभी किसी के सामने नहीं रोता किसी को अपना दुख नहीं सुनाता। दूसरे कमरे में जाकर रोता है। जब वह रो रहा होता है और ऐसे समय में उसे कोई सांत्वना दे तो वह और ज्यादा रोने लगता है।

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उदास रहता है। खुशी भरे माहौल में भी उदास रहता है। हमेशा निराशा भरी बातें सोचता है। उसे सब काम के नतीजे बुरे ही जान पड़ते हैं। पुरानी बातों को याद करके दुखी होता है और रोने लगता है।

उसमें आत्मविश्वास की कमी होती है। उसे लगता है कि वह जो भी काम करने जा रहा है उसमें सफल नहीं हो पाएगा। 

वह बहुत जल्द घबरा जाता है। उसे डर लगा रहता है कि कुछ बुरा होने वाला है। अप्रिय विचारों से परेशान रहता है।

उसे मामूली बात पर गुस्सा आ जाता है। कोई उसे समझाने की कोशिश करे तो वह और ज्यादा क्रोधित हो जाता है। उसे समझाना बुरा लगता है। अपना विरोध वह सहन नहीं कर पाता। वह जिससे नाराज हो जाता है उसका नुकसान किए बिना नहीं रहता।

वह जल्दी-जल्दी बातें करता है और एक विषय पर बोलते बोलते अचानक दूसरे पर आ जाता है। 

कई लड़कियाँ किसी विवाहित पुरुष, अपने शिक्षक, घर के नौकर से प्रेम करने लगती हैं। वे जानती हैं कि उनका यह प्रेम बेवकूफी है, लेकिन उनका अपने मन पर काबू नहीं होता। वे उनके प्रेम में रातभर जागती रहती हैं। 

उनके प्रेमी ने साथ दिया तो उनके साथ भाग जाती हैं। ऐसी लड़कियों का प्रेम सम्बन्ध ध्यान में आते ही उन्हें नैट्रम म्यूरिएटिकम 200 या इससे ऊंची शक्ति में सिर्फ एक-दो खुराक देने से ही सब कुछ ठीक हो जाता है। बाद में उन्हें आश्चर्य होता है कि वे ऐसा कैसे कर रही थीं। 

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नैट्रम म्यूरिएटिकम के रोगी के लक्षण सुबह दस ग्यारह बजे, सूरज की धूप से, आग की गर्मी से, समुद्र के किनारे, समुद्र में नहाने से, गर्मी के मौसम में, ठंडी हवा में, पीरियड के पहले पीरियड के दौरान, पीरियड के बाद मानसिक काम से खाने की ठंडी चीजों से आटे से बनी चीजों से, दूध से, नमक से, खट्टी चीजों से, तंबाकू से, खाने के कुछ घंटों बाद हिलने डुलने से और पूर्णिमा को रोग के लक्षण बढ़ते हैं।

रोगी को खुली हवा पसंद होती है। खुली हवा में ठंडे पानी से नहाने से, ठंडक से, लेटने से, खाली पेट रहने पर, दाहिनी करवट सोने से सख्त चीज पर सोने से रोग के लक्षणों में कमी आती है।

Natrum Muriaticum 6x Uses in hindi

डॉ. शुस्लर ने नैट्रम म्यूरिएटिकम 6 एक्स शक्ति की सिफारिश की थी। लेकिन 12 एक्स शक्ति अधिक लाभदाय पाई गई है।

डॉ० एच सी ऍलन का मानना है कि इसकी 30 से ऊपर की शक्तियाँ ही शीघ्र आराम दायक होती हैं। दोस्तों  नैट्रम म्यूरिएटिकम एक बेस्ट होम्योपैथिक मेडिसिन है।

 

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