Cholera : हैजा के कारण और लक्षण,

 हैजा (cholera) क्या है ?

यह एक संक्रामक रोग है, जो Cholra vibrio नामक जीवाणु द्वारा उत्पन्न होता है।इसमें एक ही क्षेत्र के अन्य व्यक्ति एक साथ बीमार हो सकते हैं। यह रोग महामारी के रूप में भी फैल सकता है। हैजा के रोगी को तेज दस्त व उल्टियां होती है। शरीर में ऐठन होती है तथा पानी की कमी से कमजोरी आ जाती है। हैजा एक भयंकर रोग माना जाता है।

Cholera : हैजा के कारण और लक्षण,
Cholera : हैजा के कारण और लक्षण,

हैजा एक जानलेवा बीमारी है। यह रोग बड़ों की अपेक्षा बच्चों में अधिक पाया जाता है। बच्चों में इस रोग की मृत्यु दर 15% से 17% तथा बड़ो मे इसकी मृत्यु दर 4% से 6% होती है।

हैजा के कारण : Causes of Cholera:

हैजा का संक्रमण Cholra vibrio नामक जीवाणु द्वारा होता है। यह दूषित जल द्वारा फैलने वाला रोग है। घरेलू मक्खियां भी इस रोग की प्रमुख वाहक होती हैं। गंदे हाथों से खाना खाने से भी इसका संक्रमण होता है।खाने की वस्तु या पीने का पानी जीवाणु से संक्रमित होने पर जीवाणु मनुष्य की छोटी आंत में पहुंचकर रोग फैलाते हैं। यह जीवाणु पानी में 3 सप्ताह व नमी वाले जगह पर 1 सप्ताह तक जीवित रहते हैं।

यह रोग प्रदूषित आहार से अधिक फैलता है, किंतु भोजन ने करने अर्थात भूखे रहने से भी हो जाता है।

हैजा के लक्षण :  Symptoms of cholera:

शुरू में दस्त भारी भारी आते हैं, किंतु बाद में धीरे-धीरे उनका रूप और रंग बदलने लगता है। उसके बाद दस्त पतले तथा सफेद होने लगते हैं। दस्तों में कभी कभी आंव भी आ जाती है। पहले दस्त का पीला रंग पित्त के कारण होता है इसलिए उसका रंग सफेद होता है।

कभी-कभी उल्टी और दस्त दोनों साथ साथ आते हैं। किसी किसी को उल्टी बिल्कुल नहीं होती और किसी को बड़ी तेजी के साथ उल्टी आती हैं।ऐसे में पहले तो खाया पिया पदार्थ बाहर निकलता है फिर बाद में चिकना गाढा पानी निकलता है।बहुत से लोगों को उल्टी आने का एहसास तो होता है किंतु आती नहीं केवल उबकाई आकर रह जाती हैं।

उल्टी और दस्त के कारण शरीर में दर्द होने लगता है। कभी-कभी यह दर्द अत्यंत भयानक और कष्टकारी होता है रोग के बढ़ने के साथ ही दर्द भी बढ़ने लगता है। शरीर की ऊर्जा कम होने लगती है त्वचा छूने से ठंडी लगती है।

गर्मी की कमी होने के कारण हाथ पैरों में अकड़न बढ़ने लगती है। इस में होने वाले दर्द से रोगी बेहाल हो जाता है। चेहरा बिल्कुल फीका हो जाता है। पसीने में चिकनाहट आ जाती है। किसी किसी रोगी को चक्कर आने लगते हैं और किसी को जोड़ों का दर्द होता है। ऊर्जा कम होने पर दस्त और उल्टी कम हो जाती हैं।

जब शरीर से अधिक मात्रा में जल निकल जाता है। रोगी बहुत ही थका थका सा और कमजोर हो जाता है। रोगी को देखने से ही मालूम पड़ता है कि उसके शरीर में जल की कमी है।आंखें अंदर की ओर धंस जाती  हैं। हाथ पैर ठंडे हो जाते हैं और कलाई पर नसों का चलना नहीं मिलता है। ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। सांस लेने की गति बढ़ जाती है। प्यास अधिक लगती है लेकिन पानी पीते ही उल्टी आने लगती हैं। यह अवस्था कुछ घंटों से लेकर तीन-चार दिन तक चलती है।

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