Acidity ! गैस का बनना, एसिडिटी बनने के कारण, गैस क्यों बनती है, symptoms of acidity

  एसिडिटी क्या है ? What is acidity

       इस रोग में कड़वी तथा खट्टी डकार आती है गले में जलन और मुंह में कसैलापन  घुला रहता है  उबकाइया आती है तथा  जी मिचलाता है । इस विकार में अन्न नहीं पंच पाता है  इसका परिणाम अवश्य भयानक होता है इसके अनेक व्यक्ति हमेशा के लिए रोगी बन जाते हैं एसिडिटी के पुराने रोगी अक्सर कैंसर के शिकार होते हैं एसडीटी की स्थिति में रोगी के पाचन तंत्र में पित्त की अधिकता पाई जाती है अत्यधिक पित्त अहार को अत्यधिक खट्टा बना देता है और वह लंबे समय तक पेट में पड़ा रहता है उसे बार-बार खट्टी डकार आती है कभी-कभी कड़वी डकारे भी आती हैं।ऐसा लगता है जैसे अभी उल्टी हो जाएगी बिना कारण ओकाया आती रहती है गले में हल्की से लेकर तीव्र जलन होती है कई बार तो उल्टी हो जाती है

 

एसिडिटी के कारण – Due to acidit

विरुद्ध भोजन- दूध तथा मछली का एक साथ भोजन बासी भोजन। अत्यधिक अम्लीय पदार्थों का सेवन। डिब्बे आदि में बंद भोजन। चाय कॉफी टमाटर का सूप आदि का बहुत गर्म भोजन करना। खट्टे पदार्थ, जलजीरा, करौंदा आदि का सेवन।बहुत अधिक मात्रा में राव, गुड, खांड, चीनी, मिठाइयों का अत्यधिक सेवन करना। अधिक भोजन कर दिन में सो जाना। अधिक भोजन कर देर तक स्नान करना। अधिक खाकर अधिक पानी पीना। बांसी, सड़े गले पदार्थों का सेवन करना। कार्बोहाइड्रेट, चर्बी युक्त पदार्थों का अधिक प्रयोग। कच्चा, विशेष रुप से कम पका मांस खाने से। दांतो की खराबी, गैस्ट्रक प्रॉब्लम acidityका प्रमुख कारण है। भोजन में अत्यधिक  खटाई युक्त पदार्थों का सेवन करना।

कुछ और- पेट के अल्सर की पूरी जानकारी देखें

 

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से प्रमुख कारण:

  • अत्यधिक धूम्रपान (smoking)
  • पेट और आंतों का अल्सर(gastro-duodenal ulcer)
  • कार्बोहाइड्रेट का ठीक से पाचन न होने से शर्करा का Farmentation होता है इससे अम्ल उत्पन्न होकर अम्ल पित्त उत्पन्न होता है
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आजकल भोजन में तेज मिर्च-मसाले, तेल, घी,जैसे चिकनाई वाले पदार्थो का अधिक प्रयोग होने लगा है।साथ ही जीवन की आपाधापी में लोग शांति से बैठ कर भोजन का समय भी नहीं निकाल पाते हैं। गैस्ट्रिक प्रोबलम acidity इसी वजह से रोग की जड़ है।

एसिडिटी के लक्षण : Symptoms of acidity:

 

 रोगी को खट्टी डकार आती हैं कभी-कभी  कड़वी डकारे भी आती हैं। ऐसा लगता है जैसे अभी उल्टी हो जाएगी। पित्त के कारण उसके गले तथा सीने में तीव्र जलन होती है एसिडिटी के पुराने रोगी अक्सर उल्टी के शिकार होते हैं रोगी का सिर भारी हो जाता है और दुखने लगता है।। जब उल्टी होती है तब जाकर सिर हल्का होता है।

 

पित्त की वृद्धि से शरीर में जलन होती है सीना जलने लगता है आंखों में जलन होती है माथे पर तापमान प्रतीत होता है हथेलियों और पैरों के तलवों में भी जलन होती है रोगी के प्रारंभिक स्थिति में जलन के लक्षण कम दिखाई देते हैं जब रोग बढ़ जाता है तब जलन के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं रोगी का मन ढीला रहता है कुछ लोग कब्जियत की शिकायत भी करते हैं रोगी का स्वभाव बदल जाता है।

 

रोग के बढ़ने पर रोगी के शरीर पर छोटी-छोटी फुंसियां हो जाती हैं, जिनमें हल्की-हल्की खुजलाहट भी होती है। रोगी के जोड़ों में पीड़ा होती है, सुस्ती महसूस होती है, सदैव बेचैनी बनी रहती है, भूख कम हो जाती है और खाने की इच्छा नहीं रहती।कमजोरी ,थकान, पैरों में पीड़ा, चक्कर आना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना आदि तकलीफ होने लगती हैं एसिडिटी के शिकार मरीज में नींद में कमी आती है।गैस्टिक प्रॉब्लम पुरानी हो जाती है तब रोगी के बाल झड़ने या सफेद होने लगते हैं। हाइपर एसिडिटी के रोगी कभी-कभी पतले दस्त आदि की शिकायत भी करते हैं

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