टाइफाइड बुखार क्या है? टाइफाइड का रामबाण जबरदस्त होम्योपैथिक इलाज

 

टाइफाइड बुखार क्या है? टाइफाइड का रामबाण जबरदस्त होम्योपैथिक इलाज?


Typhoid Fever.

टाइफाइड बुखार एक संक्रमण रोग है। इसे मियादी बुखार या मोतीझरा भी कहा जाता है। यह सालमोनेला टायफी नामक बैक्टीरिया के द्वारा फैलता है। जो लापरवाही बरतने या समय पर सही इलाज न करवाने पर जानलेवा भी हो सकता है। यह  छोटे बच्चों में पीने के पानी में बढ़ते प्रदूषण के कारण अधिक फैलता है। 

दूषित पानी या भोजन के जरिए इस बैक्टीरियल इंफेक्शन के होने की संभावना, काफी हद तक बढ़ जाती है। यह बैक्टीरिया मुंह के जरिए आपकी आंतों में प्रवेश करके वहां लगभग, एक से तीन सप्ताह तक रहता है। उसके बाद आंतों की दीवार के जरिए आपके खून में प्रवेश कर जाता है। खूने से ये टाइफॉइड बैक्टीरिया अन्य ऊतकों,  और अंगों में फैलकर कोशिकाओं के अंदर छिप जाता है, जिसका पता आपकी प्रतिरक्षा कोशिकाएं भी नहीं लगा पाती हैं। टाइफॉइड के लिए बेहतर इलाज उपलब्ध है। हालांकि, इलाज ना कराने से यह आपके लिए घातक हो सकता है। टाइफॉइड की संभावित जटिलताओं में किडनी फेलियर, आदि शामिल हैं। 

शायद आपको पता नहीं कि टाइफाइड का बैक्टीरिया पानी या सूखे मल में हफ्तों तक जिंदा रहता है। इस तरह से दूषित पानी या खाद्य पदार्थों के जरिए शरीर में पहुँचकर संक्रमण पहुँचाता है। टाइफाइड की संभावना किसी संक्रमित व्यक्ति के जूठे, खाद्य-पदार्थ के खाने या पीने से भी हो सकती है। वहीं दूषित खाद्य पदार्थ के सेवन से भी यह संक्रमण हो जाता है। पाचन तंत्र में पहुँचकर इन बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। ये बैक्टीरिया एक अंग से दूसरे अंग में पहुँच जाते हैं। वात, पित्त, कफ तीनों दोषों के प्रकोप से, टाइफाइड होता है।

आमतौर पर प्रदूषित पानी पीना  व संक्रमित और बासी भोजन का सेवन करना, टाइफाइड होने की मुख्य वजह है। इसी कारण घर में किसी एक सदस्य को टाइफाइड होने पर, घर के अन्य सदस्यों से भी इसके होने से खतरा होता है। मौसम में बदलाव और कुछ गलत आदतों के कारण इस बुखार के वायरस बहुत परेशान करते हैं। टाइफाइड तेज बुखार से जुड़ा रोग है, यह बैक्टीरिया खाने या पानी से मनुष्य द्वारा एक जगह से दूसरी जगह अन्य लोगों तक पहुँचाता है।

जिन व्यक्तियों को टाइफाइड बुखार हो जाता है, उनके शरीर का तापमान हर समय बढ़ा हुआ रहता है, सारे शरीर में दर्द रहता है, विशेषकर सिर में और पैरों में दर्द की शिकायत अधिक रहती है, आंखों में भारीपन रहता है, सिर में भारीपन रहता है, बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है, रोगी हर समय थका हुआ रहता है, किसी भी काम को करने के लिए मन नहीं करता है, टाइफाइड वाले व्यक्तियों को सूखी खांसी की शिकायत रहती है, मांसपेशियों में दर्द रहता है, पेट दर्द की शिकायत रहती है, खाने का पाचन सही तरह से नहीं हो पाता है, एसिडिटी बनती है, कब्ज की शिकायत हो जाती है, पसीना बहुत अधिक आता है। रोगी की भूख बहुत कम हो जाती है, 

टाइफाइड का होम्योपैथिक इलाज – Homoeopathic medicine for typhoid.


  1. Baptisia Tinctoria ( बैप्टीशिया टिनक्टोरिया )

सारे शरीर में अकड़न महसूस होती है। शरीर के किसी भी भाग को छूने पर या लेटने पर अकड़न महसूस होती है,

बहुत ज्यादा कमजोरी आ जाती है। रोगी को इतनी कमजोरी महसूस होती है कि वह अपनी परेशानी भी व्यक्त नहीं कर पाता। रोगी बात करते हुए बीचे में ही सो जाता है।

गले में कुछ अटका हुआ महसूस होने के कारण ठोस खाद्य पदार्थ निगलने में समस्या होना।

बुखार के साथ-साथ भूख न लगने की समस्या रहती है, और पेट खाली महसूस होना।

रोगी का सोने का मन करता है, लेकिन बेचैनी अधिक होने के कारण नींद नहीं आती है।

जीभ का बीच में से भूरा व सूखा होना और साइड से चमकदार होना। आदि लक्षण दिखाई देने पर बैप्टीशिया टिनक्टोरिया का इस्तेमाल करना चाहिए, बैप्टीशिया टिनक्टोरिया टाइफाइड बुखार के लिए बेस्ट मेडिसिन है। 

2. Arsenicum Album – आर्सेनिकम एल्बम.

 आर्सेनिकम एल्बम ऐसे लोगों को दी जाती है जिनका सुबह के तीन बजे के आस-पास शरीर का तापमान बढ़ जाता है।

तापमान कम होने के बाद रोगी को बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है। बार-बार बुखार होता है। बेचैनी महसूस होती है। इस स्थिति में व्यक्ति बेचैनी दूर करने के लिए कभी लेटता है, चलता है, बैठता है, टांगे हिलाता है। और बार-बार अपनी पोजीशन बदलता रहता है।

जीभ का सूखना व लाल होना, जिसके साथ मुंह में तेज जलन होती है। पूरे शरीर में जलन होती है। खाने को देखने व उसकी गंध से भी रोगी को परेशानी हो जाती है।

रोगी को प्यास तो अधिक लगती है लेकिन वह ज्यादा पानी नहीं पीता है। तो ऐसी कंडीशन में आर्सेनिकम एल्बम का इस्तेमाल करना चाहिए, आर्सेनिकम एल्बम टाइफाइड के लिए बेस्ट मेडिसिन है।

3. Rhus Tox. ( रस टोक्सिकोडेन्ड्रन )

रस टोक्सिकोडेन्ड्रन ऐसे लोगों को दी जाती है। जिन्हें हर समय बेचैनी रहती है, बिस्तर में अपनी पोजीशन बदलते रहते हैं, ठंड बहुत अधिक लगती है। ऐसा लगता है जैसे शरीर पर किसी ने ठंडा पानी डाला है, त्वचा पर पित्ती उछलना दी है। रोगी को बहुत अधिक थकावट आ जाती है, मुंह का स्वाद कड़वा रहता है। रोगी को लगातार दूध पीने की इच्छा बनी रहती है, तो ऐसी कंडीशन में रस टोक्सिकोडेन्ड्रन का इस्तेमाल करना चाहिए। रस टोक्सिकोडेन्ड्रन टाइफाइड बुखार के लिए बेस्ट मेडिसिन है। 


4. Belladonna ( बेलाडोना )


 बेलाडोना ऐसे लोगों को दी जाती है जिन्हें, बुखार के साथ शरीर में बहुत ज्यादा जलन होती है और शरीर में गरमी होती है, बुखार के साथ प्यास न लगने की समस्या होना।

पूरा शरीर तेज गरम होना और पंजे ठंडे होते हैं, रोगी के पेट में दर्द रहता है और भूख नहीं लगती है, तो ऐसी स्थिति में बेलाडोना का इस्तेमाल करना चाहिए, बेलाडोना टाइफाइड के लिए बेस्ट मेडिसिन है। 

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