बवासीर क्या है ? What is piles ?
बवासीर एक आम रोग है। यह रोग गुदा के भीतरी भाग में या बाहर किनारे पर होता है। मल त्यागने के लिए जब रोगी जोर लगाता है तो मलद्वार पर बहुत अधिक पीड़ा पहुंचती है।ऐसे में रक्त स्राव होने लगता है इसमें अत्यंत जलन एवं पीड़ा होती है ।रोगी का उठना बैठना मुश्किल हो जाता है इस रोग में मालद्वार की नसें फूल जाने से वहां की त्वचा फूलकर सख्त हो जाती है।जिसमें रक्त भी बहता है उसे खूनी बवासीर के नाम से जाना जाता है वह जिसमें रक्त नहीं बहता उसे बादी बवासीर के नाम से जाना जाता है।
बवासीर दो प्रकार की होती है-
इसे सुखी बवासीर भी कहते हैं। इसमें रक्त नहीं निकलता है। मस्से भी भीतर की ओर होते हैं। रोगी के जोड़ों में टूटने जैसा दर्द होता, है उठते – बैठते उसके जोड़ चटका करते हैं तथा रोगी को भूख कम लगती है। इसके साथ ही जांघों में पीड़ा बनी रहती है । रोगी प्रतिदिन कमजोर होता चला जाता है। भोजन से अरुचि तथा शरीर के विभिन्न भागों में दर्द रहता है।
2 – खूनी बवासीर –
इसमें मस्से मलद्वार के बाहर निकले रहते हैं और मल त्याग के समय रक्त निकलता है। इस प्रकार की बवासीर में जलन, अकड़न और दर्द होता रहता है। रोगी को बैठने में कष्ट होता है। रोगी कब्ज के कारण हमेशा दुखी और चिंतित रहता है।उसे पतले दस्त नहीं आते तथा उसके मल में रक्त आया करता है। रोगी को मल त्याग के समय अत्यंत पीड़ा होती है। गुदा के चारों तरफ लाली हो जाती है। गुदा में दर्द और जलन होती रहती है। रोगी का चेहरा तथा पूरा शरीर नीला पड़ जाता है।
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बवासीर होने के क्या कारण होते हैं-
- अधिक समय तक कब्ज की शिकायत चलते रहने से।
- अधिक साईकिल चलाने से, घोड़ों की अधिक सवारी करने से।
- गर्भाशय कैंसर से भी बवासीर रोग की उत्पत्ति होती है।
- यह रोग अधिकतर कुर्सी, आसन अथवा गद्दे-तकियो के सहारे ज्यादा बैठने वालों को होता है।
- तेज मिर्च-मसाले, चटपटा, खट्टा बासी खाना खाने वाले लोगों में यह रोग अधिक होता है।
- अधिक देर तक जागना, बीड़ी – सिगरेट तथा तंबाकू का सेवन तथा शराब पीने वाले लोगों को यह रोग विशेषकर होता है।
- सूखी हुई सब्जियां, कच्ची मुलिया, सूखा मास लेने आदि से।
- दूध के साथ प्याज, लहसुन, नमक, मांस, मछली आदि नहीं खाना चाहिए अन्यथा बवासीर हो जाने की पूरी संभावना होती है
- जिन लोगों के पूर्वजों को लंबे समय तक बवासीर की बीमारी रही हो उनके वंशजों में यह रोग विरासत के रूप में मिलता है।
- एक स्थान पर निरंतर बैठे रहने से गुदा प्रदेश पर रक्त आदि का अधिक दबाव पड़ता है जिससे उस स्थान की नसे फुल जाती है।
बवासीर के क्या लक्षण होते हैं- symptoms of piles.
बवासीर रोग में जलन अकड़न और तेज काटने जैसी पीड़ा होती है। रोगी का बैठना एक मुसीबत हो जाती है। रोगी को कब्ज के कारण जीना हराम हो जाता है। प्राय उसे पतले दस्त नहीं आते हैं बल्कि रक्त ही अधिक आ जाता है। पीड़ा के साथ आता है,मलद्वार के चारों ओर लाली लिए सूजन पाई जाती है। यदि रक्त स्राव अधिक हो, तो चेहरा नीला पड़ जाता है। सुखी या बादी बवासीर के रोगी को कई बार जखम बनकर कैंसर जैसा भयंकर रोग हो जाता है।
बवासीर के जो मस्से गुदा के अंदर होते हैं उनमें दर्द नहीं होता और ने ही रक्त आता है। गुदा के बाहर के मस्से फुल जाने पर अत्यंत दर्द, खुजली और जलन होती है। रोगी सिर दर्द से परेशान रहता है। मस्सों की पीड़ा से रोगी व्याकुल तथा बेहाल रहता है। कभी-कभी व्याकुलता इतनी बढ़ जाती है कि रोगी चीख उठता है। मस्से मुलायम हो जाने पर दर्द कम हो जाता है अथवा बंद हो जाता है। रोगी को अक्सर कब्ज की शिकायत रहती है। मल कड़ा उतरने पर मस्से छिल जाते हैं उनसे रक्त आने लगता है तथा सूजन आकर पीड़ा होने लगती है बवासीर का रोगी सीधा नहीं बैठ सकता।