Kali Phosphoricum 6x, 12x, 30x ,200x के फायदे in hindi | Kali Phosphoricum Symptoms Uses and Banefit in hindi

 

Kali Phosphoricum 6x, 12x, 30x ,200x के फायदे in hindi | Kali Phosphoricum Symptoms Uses and Banefit in hindi.

 

Kali Phosphoricum Symptoms Uses and Banefit in hindi.

काली फॉस्फोरिकम टिशू की बनावट के लिए और उन्हें मजबूती देने के लिए बेहद जरूरी है। काली फॉस्फोरिकम ऑक्सीजन को शरीर के हर अंग में पहुँचाता है और टिशू को सड़ने से बचाता है।

काली फॉस्फोरिकम, एल्ब्यूमिन और ऑक्सीजन के साथ मिलकर मस्तिष्क के राख के रंग के पदार्थ  को बनाता है, जिससे दिमाग की क्रियाएँ उचित प्रकार से हुआ करती हैं।

शरीर में काली फॉस्फोरिकम की कमी हो जाने से मानसिक विकार पैदा हो जाते हैं। निराशा, उदासी, परेशानी, डर, चिड़चिड़ापन, उत्साह हीनता, पागलपन, मामूली कारण से रो पड़ना, दिमागी काम न कर सकना, याददाश्त बहुत कमजोर हो जाती है, हिस्टिरिया आदि बीमारियाँ हो जाती है। नींद न आना, सिर-दर्द, लकवा, किसी भी स्थान से काला न जमने वाला खून निकलना, दुर्गन्ध युक्त स्राव, दुर्गन्धयुक्त दस्त, भूख न लगना, बदहज्मी, अनजाने में पेशाब निकल जाना, बच्चों का बिस्तर में पेशाब करना, स्वप्नदोष, नामदर्दी, बदबूदार लिकोरिया, दर्द के साथ पीरियड का होना, बेहद थकावट और कमजोरी आदि बीमारियाँ काली फॉस्फोरिकम की कमी से पैदा होती हैं।


 

अब बात करते हैं काली फॉस्फोरिकम के जनरल सिम्टम्स के बारे में,

रोगी दुबला हो या मोटा, थका हुआ रहता है, ढीलाढाला होता है, कमजोर होता है। चेहरा सूखा, आँखें धँसी हुई होती हैं। आँखों के नीचे काले घेरे होते हैं। त्वचा नीली और गंदी होती है।

रोगी को अगर उल्टी आती है तो उसमें से बदबू होती है पसीने में से बहुत अधिक बदबू आती है पेशाब में से बदबू आती है रोगी के कान में से अगर पस निकल रहा है तो उसमें से भी बदबू आती है इस मेडिसन का मेन सिम्टम्स यही है कि जहां कहीं से वेस्ट मटेरियल निकलता है उसमें से बहुत अधिक बदबू आती है यहां तक कि रोगी के मल में से भी बहुत अधिक बदबू आती है सभी पदार्थ नारंगी रंग के, सुनहरे और जलन पैदा करने वाले और चमड़ी को छील देने वाले होते हैं।

रोगी को पसीना बहुत आता है पसीना बदबूदार प्याज या लहसुन की गंधवाला होता है।

जीभ पर बादामी, राई के लेप जैसा लेप रहता है। सुबह के समय जीभ सूखी रहती है। 

 

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रोगी खुली हवा पसंद नहीं करता। ठंडी हवा लगने से वह बीमार हो जाता है। ठड उसकी बीमारी को बढ़ा देती है। रोगी सिर को ढके रखना पसंद करता है। रोगी की बीमारियाँ सुबह और शाम के समय बढ़ जाती है। रोगी की ज्यादातर शिकायतें आराम के समय बढ़ती है। धीरे-धीरे चलने से आराम मिलता है।

मानसिक काम करते रहने से जिनका नर्वस सिस्टम थक पर चुका है, जो बुरी आदतों के शिकार होते हैं, बहुत ज्यादा सेक्स करने से कमजोर हो गए हैं, ठंड लगने से जो बीमार हो जाते हैं उनके लिए यह बहुत ही अच्छी दवा है। 

गुस्सा, दुख, डर, परेशानी, अधिक मानसिक काम, हस्तमैथुन, बहुत ज्यादा सेक्स आदि से बीमारियाँ होने पर काली फॉस्फोरिकम बहुत ही अच्छी दवा है। खाना खाने से कई तकलीफों में आराम आता है। सिर्फ अस्थमा की तकलीफ है।

खाना खाने के बाद बढ़ जाती है।

महिलाओं को डिलीवरी के दो-तीन महीने पहले से काली फॉस्फोरिकम 6 एक्स दिन में दो बार देने से डिलीवरी आसानी से होती है।

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डिलीवरी का समय पूर्ण हो जाने पर गर्भवती महिला को हर आधे घंटे से काली फॉस्फोरिकम 6 एक्स देने से डिलीवरी तुरन्त और आसानी से हो जाती है। 

अब बात करते हैं काली फॉस्फोरिकम के मेंटल सिम्टम्स के बारे में, 

इस दवा का रोगी बहुत ही चिड़चिड़ा होता है। गुस्सा होने के लिए मामूली कारण काफी होता है। वह किसी से मिलना पसंद नहीं करता। किसी से बातचीत करना नहीं चाहता। कोई उससे बात करे यह भी उसे पसंद नहीं होता। वह भीड़भाड़ में जाने से डरता है। बीमारी, मौत और अकेलेपन से उसे डर लगता है।

मामूली आवाज से वह चौक पड़ता है। उदास रहता है। उसे हमेशा ऐसा लगता है कि कुछ बुरा होने वाला है। हमेशा बुरा है सोचता है।

व्यापार धन संपत्ति की उसे बहुत चिंता रहती है। धन-संपत्ति का लगातार डर इस दव का प्रमुख लक्षण है। व्यापार में नुकसान होने का डर मन में रहता है।

वह हमेशा ही दूसरों के दोष ढूंढा करता है।

काल्पनिक बातें सोचा करता है।

रात को नींद से चौंककर जाग जाता है।

पारिवारिक सदस्यों यहाँ तक कि अपने बीवी-बच्चों तक से नफरत करता है। किसी काम में उसका दिल नहीं लगता जिंदगी से बेजार हो जाता है। अत्यधिक निराश और उदास रहने लगता है।

उसकी याददाश्त कमजोर होती है। बात करते करते रुक जाता है। क्योंकि वह भूल जाता है कि वह क्या कहना चाहता था। सही शब्द उसे याद नहीं आते। लोगों के नाम वह भूल जाता है। लिखते वृक्त सही शब्द भूल जाता है। 

 

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कभी-कभी तो रोगी पागलों जैसा व्यवहार करने लगता है उसे मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं। किसी से बात नहीं करना चाहता। कभी हँसता है, कभी रोता है। लम्बी आहें भरा करता है।

मानसिक काम का शरीर पर तुरन्त असर होता है। थोड़ी सी दिमागी मेहनत करने पर ही बहुत थकान महसूस करता है। छोटा काम भी उसे बोझ लगता है। वह कोई काम नहीं करना चाहता। काली फॉस्फोरिकम देने से यह थकान दूर हो जाती है।

पागलपन चाहे वह किसी भी तरह का हो काली फॉस्फोरिकम उसकी सबसे अच्छी दवा है। पागलपन चाहे वह डिलीवरी के बाद का हो, ज्यादा मानसिक काम के कारण हो काली फॉस्फोरिकम लाभ पहुँचाती है। कुछ रोगी उदास, निराश रहते हैं तो कुछ कभी हँसते हैं तो कभी रोते हैं। किसी से बात नहीं करना चाहते। इस दवा का सही प्रयोग किया जाए तो पागलखाने के रोगियों की संख्या काफी कम हो सकती है।

डर चाहे किसी भी तरह का हो काली फॉस्फोरिकम दी जाती है। 

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रोगी के सभी लक्षण सुबह शाम या रात के समय बढ़ते हैं। अधिकांश बीमारियाँ आराम करते समय बढ़ जाती हैं। वात के दर्द के लक्षण बहुत देर बैठे रहने के बाद उठने की कोशिश करने पर बढ़ते हैं और धीरे-धीरे चलते रहने आराम मिलता है।

रोगी ठंड से डरता है। ठंडी हवा से रोग के लक्षण बढ़ जाते हैं और गर्मी या सेंकने से कम होते हैं।

ज्यादातर बीमारियों में इस दवा की 6 एक्स शक्ति का प्रयोग होता है। डिलीवरी के समय 6 एक्स शक्ति दी जाती है। ज्यादा दिनों तक दवा खिलानी हो तो 12 एक्स शक्ति का प्रयोग किया जाता है। पुरानी बीमारियों में अधिक शक्ति का प्रयोग किया जाता है। पागलपन में 200 एक्स शक्ति का प्रयोग किया जाता है। बाह्य प्रयोग के लिए 2 एक्स या 3 एक्स का प्रयोग किया जाता है। पैरालाइसिस में काली फॉस्फोरिकम 6 एक्स शक्ति से प्रारम्भ करके धीरे धीरे शक्ति बढ़ाई जाती है।

लकवाग्रस्त स्थान पर काली फॉस्फोरिकम 3 एक्स का मरहम तैयार कर लगाया जाता है या काली फॉस्फोरिकम 3 एक्स शक्ति के लोशन में कपड़े की पट्टी भिगोकर लकवाग्रस्त स्थान पर रखी जाती है। काली फॉस्फोरिकम एक बेस्ट होम्योपैथी मेडिसिन है।

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