फाइलेरिया ( हाथी पांव ) क्या है ?What is filaria ( Elephantiasis ) ?
एलिफेंटियासिस को लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के रूप में भी जाना जाता है, जो कि परजीवी की वजह से होता है और मच्छरों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। एलिफेंटियासिस में अंडकोश, पैर या ब्रेस्ट में सूजन आ जाती है।
एलिफेंटियासिस को ‘नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (एनटीडी)’ माना जाता है। एनटीडी वायरल, परजीवी और जीवाणु संबंधी रोग है, जो मुख्य रूप से दुनिया में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को प्रभावित करता है। फाइलेरिया बीमारी फिलेरी वुचरेरिअ बैंक्रोफ्टी (Filariae-Wuchereria Bancrofti), ब्रूगिआ मलाई (Brugia Malayi) और ब्रूगिआ टिमोरि (Brugia Timori) नामक निमेटोड कीड़ो के कारण होती है। हालांकि, इनमें से सबसे बड़ा कारण वुचरेरिअ बैंक्रोफ्टी नाम के परजीवी को माना जा सकता है। हाथी पांव के कारण विकलांगता और कुरूपता की समस्या हो सकती है।
फाइलेरिया ( हाथी पांव ) के कारण :Causes of filariasis ( Elephantiasis ) ?
आमतौर पर क्यूलैक्स मच्छर को फाइलेरिया का कारक माना जाता है.
यह कृमिवाली बीमारी है जिसमें कृमि शरीर के लसिका तंत्र की नलियों में होते हैं और इन नलियों को बंद कर देते हैं.
इसके संक्रमण से लसिका अपना काम करना बंद कर देते हैं.
ये कृमि बहुत छोटे आकार के होते हैं जो क्यूलैक्स मच्छर के काटने से शरीर में प्रवेश करते हैं।
यह व्यस्क कृमि में लाखों की संख्या में छोटी-छोटी कृमि पैदा करने की क्षमता होती है।
फाइलेरिया ( हाथी पांव ) के लक्षण :Symptoms of filariasis ( Elephantiasis ) :
इस रोग में तरल पदार्थ के संचय के कारण हाथ और पैरों में सूजन आ जाती है। हाथ या पैर सूजकर अपने सामान्य आकार से ज्यादा मोटे हो जाते हैं।
– महिलाओं के स्तनों में सूजन आने लगती है। इससे जांघों में फोड़े और स्तन ज्यादा बड़े होने लगते हैं।
– इससे लिम्फ नोड्स और ब्रेस्ट में ब्लड फ्लो कम होने के कारण लिम्फ नोड्स में भी वृद्धि और लिम्फेडोनोपैथी की समस्या हो सकती है।
– रोगी के अंडकोश मोटे होने लगते हैं। लिंग के नीचे की स्किन में खिंचाव होने से दर्द और जलन होने लगती है।
– अधिकतर मामलों में प्रभावित हिस्से की त्वचा ज्यादा शुष्क और मोटी हो जाती है। उचित रक्त प्रवाह के कारण प्रभावित हिस्से पर कई बार फोड़े, धब्बे और त्वचा काली भी हो जाती है।
– इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को बेचैनी होना आम बात है। इतना ही नहीं जैसे-जैसे यह रोग बढ़ता रहता है रोगी को बुखार और ठंड लगना भी शुरू हो जाता है।
फाइलेरिया ( हाथी पांव ) से बचाव :Avoidance of filariasis (Elephantiasis ) :
रात में सोते समय कमरे का तापमान ठंडा रखें।
दिन और रात के समय भी मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
अगर कूलर का इस्तेमाल करते हैं, तो उसकी सफाई का ध्यान रखें। हर दिन उसका पानी बदलें।
लंबे आस्तीन और पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। कोशिश करें कि हमेशा कॉटन के कपड़े पहनें ताकि शरीर को हवा लगती रहे।
मच्छरों को दूर रखने के लिए अपनी त्वचा पर दवाइयों का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
अगर आपके क्षेत्र में मच्छरों की समस्या अधिक है, तो ऐसी दवाइयों के इस्तेमाल के बारे में विचार करें जिससे इनका निपटारा किया जा सके।
आप अपने क्षेत्र की स्थिति अपने नगरपालिका को भी सूचित कर सकते हैं।
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