Calcarea Phosphoricum Symptoms Uses and Banefit in hindi | Calcarea Phos 6x के फायदे in hindi

 

Calcarea Phosphoricum Symptoms Uses and Banefit in hindi | Calcarea Phos 6x के फायदे in hindi.

 

Calcarea Phosphoricum.

 

कैल्केरिया फॉस्फोरिका के बिना कोई हड्डी नहीं बन सकती हड्डियों और दाँतों के बनने में यह बहुत उपयोगी है। कैल्केरिया फॉस्फोरिका हड्डियों की कभी बीमारियों में उपयोगी है। कैल्केरिया फॉस्फोरिका हड्डियों और दाँतों को मजबूत बनाता है। शरीर के विकास में कैल्केरिया फॉस्फोरिका का विशेष महत्व है। कैल्केरिया फॉस्फोरिका  की कमी से हड्डियाँ मुलायम हो जाती है कैल्केरिया फॉस्फोरिका हड्डियों का विकास करने और उन्हें मजबूत बनाने के लिए बहुत उपयोगी है। कैल्केरिया फॉस्फोरिका  हड्डियों के अप्राकृतिक रूप से बढ़ने और टेढ़ा-मेढ़ा होने को भी रोकता है। हड्डी टूट जाने पर उसे जोड़ने का काम कैल्केरिया फॉस्फोरिका करता है।

कैल्केरिया फॉस्फोरिका  नए रक्त कोष के बनने में भी उपयोगी है। जैसे जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती जाती है वैसे वैसे शरीर में इस लवण की कमी होती जाती है। यही कारण है कि इस लवण की हमें सबसे ज्यादा जरूरत होती है। हड्डियों की तरह ही कैल्केरिया फॉस्फोरिका का प्रभाव दौतों पर भी दिखाई देता है। बच्चों के दाँत निकलते समय के बुखार, जुलाब, ऐंठन आदि में यह लाभ पहुंचाता है।

 

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सिर्फ हड्डियों और दाँतों पर ही नहीं बल्कि शरीर के हर अंग पर कैल्केरिया फॉस्फोरिका की क्रिया दिखाई देती है।

शरीर में कैल्केरिया फॉस्फोरिका  ‘एल्ब्यूमेन’ के साथ मिलकर शरीर के प्रमुख अंगों का निर्माण करता है और उन्हें क्रियाशील बनाता है, लेकिन किसी भी कारण से जब शरीर में इस लवण की कमी हो जाती है तो ‘ एल्ब्यूमेन’ शरीर के किसी भी रास्ते से बाहर निकलने लगता है, जिससे कई तरह की बीमारियाँ हो जाया करती हैं, उदाहरणार्थ ‘एल्ब्यूमेन’ नाक से निकलने पर ‘सर्दी’ हो जाती है, फेफड़ों से निकलने पर खाँसी और त्वचा से निकलने पर खुजली, जख्म आदि।

बच्चों के दाँत देर से निकलना, दाँत निकलते समय बुखार, दस्त, ऐंठन होने में कैल्केरिया फॉस्फोरिका लाभ पहुंचाता है।

गर्भवती महिलाओं को पाँचवें महीने से 3 या 6 शक्ति की 4 गोली सुबह-शाम देने से या 200 की 4 गोली महीने में दो बार देने से पैदा होने वाले बच्चे के दाँत आसान से बिना किसी तकलीफ के निकलते हैं।

 

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युवकों की हस्तमैथुन की आदते, युवतियों में अँगुली मैथुन की आदत स्वप्नदोष, हर साल बच्चे पैदा होने से स्त्रियों की कमजोरी, बहुत दिनों तक दूध पिलाने माहवारी में ज्यादा रक्त जाने से आई कमजोरी में कैल्केरिया फॉस्फोरिका लाभ पहुंचाता है।

महिलाओं में कामोत्तेजना योनि में खुजली, माहवारी के एक दो दिन पहले और महवारी होते समय अत्यधिक पेट दर्द में भी कैल्केरिया फॉस्फोरिका लाभदायक है।

युवावस्था में कदम रखने वाली लम्बी और दुबली पतली लड़कियों को कैल्केरिया फॉस्फोरिका की बहुत जरूरत होती है।

जिन लड़कियों को पीरियड सही उम्र हो जाने पर भी नहीं होते या सही उम्र से पहले होते है, जल्दी जल्दी होते है  रक्त चमकीला लाल होता है, पीरियड दर्द के साथ होता है,  पीरियड के पहले पेट में जोरदार दर्द होता है जो पीरियड शुरु हो जाने पर धीरे-धीरे कम होने लगता है, पीरियड के पहले सेक्स करने की इच्छा बढ़ जाती है सेक्स की बेहद इच्छा होने से लड़कियाँ उंगली मैथुन करने लगती हैं। रात दिन सफेद दूध की मलाई जैसा या अंडे की सफेदी जैसा सफेद पानी आता है इन सब बीमारियों में कैल्केरिया फॉस्फोरिका का इस्तेमाल करना चाहिए। 

 

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 कैल्केरिया फॉस्फोरिका की कमी से भोजन के पाचन की क्रिया नहीं होती, परिणाम यह होता है कि बदहजमी  होकर हरे रंग के बदबूदार दस्त या आँव आने लगते हैं। खाए हुए भोजन के पोषक तत्व न मिलने के कारण बच्चों का शारीरिक विकास नहीं होता। ऐसे बच्चों के लिए कैल्केरिया फॉस्फोरिका अत्यन्त उपयोगी है।

गर्भावस्था  में दिन ब दिन कैल्केरिया फॉस्फोरिका की कमी होती जाती है क्योंकि बच्चे की हड्डियाँ बनने के लिए कैल्केरिया फॉस्फोरिका की जरूरत होती है इसलिए गर्भावस्था में कैल्केरिया फॉस्फोरिका की बेहद जरूरत होती है। गर्भवती स्त्री को पाँचव महीने से सुबह शाम 3 या 6 शक्ति की चार गोलियां खिलाने से बच्चे का सही विकास होता है। 

गर्भवती स्त्री के दाँत दर्द और दाँत हिलने में भी कैल्केरिया फॉस्फोरिका की जरूरत होती है। 

 

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युवक युवतियों की लम्बाई निरन्तर बढ़ती है, लेकिन कैल्केरिया फॉस्फोरिका की कमी की वजह से वे कमर से झुक जाते हैं। चलते समय आगे की तरफ झुककर चलते हैं। ऐसे युवक-युवतियों को यह कैल्केरिया फॉस्फोरिका लाभ पहुँचाता है। इस दवा के रोगी दुबले-पतले, लम्बे होते हैं। इतने दुबले पतले कि उनके सीने की हड्डियाँ भी गिनी जा सकती हैं। पेट बड़ा होता है और गर्दन पतली होती है जिसकी वजह से वह सिर सीधा नहीं रख सकते। टाँगें पतली होती हैं। वे कमर से झुके रहते हैं और चलते वक्त आगे की तरफ झुककर चलते हैं।

इनके सभी काम देर से होते हैं। बच्चों के दाँत देर से निकलते हैं। वे चलना और बात करना भी देर से सीखते हैं। लड़कियों में पीरियड देर से शुरू होती है। रोगी को भूख बहुत लगती है, लेकिन खाया हुआ शरीर को नहीं लगता, वह दुबला ही रहता है।

माँस, नमकीन भुना हुआ माँस, मिट्टी, खड़िया , स्लेट-पेन्सिल, राख, कोयला खाना रोगी पसंद करता है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं में यह लक्षण खास तौर से दिखाई देता है।

 

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गर्दन, चेहरा, हथेलियों, तलवों पर पसीना आता है। जरा सी मेहनत से वह पसीने से तर हो जाता है रोगी को अक्सर दस्त आया करते हैं।

स्कूल जाने वाली लड़कियों को स्कूल से घर लौटते वक्त धीमा-धीमा सिर दर्द हुआ करता है।

शाम 4 बजे रोगी को भूख लगती है। 7 बजे पेट खाली हो गया सा लगता है

खाना खाते ही पेट दर्द होने लगता है। पुरुषों में सुबह के समय सेक्स बढ़ जाती है तो स्त्रियों में पीरियड से पहले बढ़ जाती है

कैल्केरिया फॉस्फोरिका के रोगी शीत प्रकृति के होते हैं। इन्हें ठंड जरा भी सहन नहीं होती। बरसात और ठंड के दिनों में इनकी तकलीफें बढ़ जाती है और गर्मी के मौसम में तकलीफें कम हो जाती हैं। सेंकने से इनकी तकलीफों में आराम मिल जाता है। खाने-पीने की ठंडी चीजों से भी इनकी तकलीफें बढ़ जाती हैंं.

 

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इस दवा के बारे में खास तौर से ध्यान देने लायक बात यह है कि इस दवा को लगातार 3 एक्स या 6 एक्स शक्ति में बहुत दिनों तक नहीं देना चाहिए। दो तीन हफ्तों तक देने के बाद एक हफ्ता दवा देना बन्द कर देना चाहिए। एक हफ्ता बन्द रखकर फिर दो तीन हफ्तों तक दवा देकर फिर एक हफ्ते तक नहीं देना चाहिए। लगातार कई दिनों तक इस दवा को देते रहने से गुर्दे में दर्द और छोटी छोटी पथरियाँ पैदा हो जाती हैं। बूढ़े लोगों को इस दवा को कम शक्ति  में नहीं देना चाहिए। बच्चों को 6 एक्स शक्ति से कम नहीं देना चाहिए। 

अब बात करते हैं कैल्केरिया फॉस्फोरिका के जर्नल सिम्टम्स के बारे में 

इस दवा का रोगी लम्बा, दुबला-पतला होता है। उसमें खून की कमी होती है। चेहरा पीला, फीका और आँखें अंदर धंसी हुई होती हैं। आँखों के नीचे काले घेरे होते हैं। चेहरे पर हल्के भूरे दाग होते हैं। सिर बड़ा, पैर की हड्डियाँ टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं। अंडे की सफेदी जैसा गाढ़ा, चिकना और साफ स्राव इस दवा का विशेष लक्षण है।

जरा सी ठंड लगने से सर्दी हो जाती है। बच्चे चलना, बोलना देर से सीखते हैं।

बच्चों के दाँत देर से निकलते हैं और दाँत निकलते समय बुखार, दस्त, ऐंठन होती है।

तकलीफें रात में बढ़ती हैं।

युवक युवतियाँ लम्बे होते जाते हैं और कमर से झुके रहते हैं।

कोई काम करने की इच्छा नहीं होती।

भूख बहुत ज्यादा लगती है, लेकिन खाया हुआ शरीर को नहीं लगता।

 शाम चार बजे भूख लगती है।  मानसिक काम करने से सिर दर्द हो जाता है।

रोगी मिट्टी, खड़िया, स्लेट-पेन्सिल, राख, कोयला, नमकीन या भुना हुआ माँस खाना पसन्द करता है।  अक्सर दस्त आते हैं।

 

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पुरुषों में सुबह के वक्त संभोग की इच्छा बढ़ी हुई रहती है।

स्त्रियों में पीरियड के पहले संभोग की इच्छा बढ़ी हुई रहती है। रोगी (खासकर बच्चों) को दूध हजम नहीं होता है। 

 स्कूल जाने वाली लड़कियों को स्कूल से लौटते समय धीमा-धीमा सिरदर्द होता है। लड़कियों में पीरियड देर से शुरू होती है। पीरियड दर्द के साथ होती है। खून ज्यादा जाता है। पीरियड के पहले पेट में अत्यधिक दर्द होता है जो पीरियड शुरू हो जाने पर धीरे-धीरे कम हो जाता है।  दूध की मलाई जैसा या अंडे की सफेदी जैसा ल्यूकोरिया जाता है। पीरियड जल्दी-जल्दी  या देर से होते है। रक्त का रंग चमकीला लाल, कभी काला होता है, काले टुकड़े जाते हैं।

महिलाओं में कामवासना की अधिकता होती है। सभी तकलीफें ठंड से बरसात में भीग जाने से मौसम के बदलने पर, रात में चलने-फिरने से बढ़ जाती हैं।

 

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गर्मी के मौसम में शान्त बैठे रहने से तकलीफें कम हो जाती हैं। टूटी हड्डी को जोड़ने के लिए इससे बढ़कर अन्य कोई दवा नहीं है।

अब बात करते हैं कैल्केरिया फॉस्फोरिका के मेंटल सिम्टम्स के बारे में।

 रोगी गुस्सैल और चिड़चिड़े स्वभाव का होता है। कोई उसका विरोध करे, उसकी बात न माने तो फौरन गुस्सा हो जाता है। तसल्ली देने या समझाने-बुझाने से चिढ़ जाता है। अच्छी बात का जबाव भी कड़वाहट के साथ देता है।

दिमाग बहुत थका हुआ और कमजोर मालूम होता है, इसलिए वह दिमागी काम करने से हिचकिचाता है। यही कारण है कि उसकी स्मरण शक्ति बहुत कमजोर होती है। मानसिक परिश्रम से उसे सिर दर्द हो जाया करता है।

 

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हस्तमैथुन करने वाले युवकों का दिमाग कमजोर रहता है। किसी काम में उसका मन नहीं लगता।

अपनी बीमारी के बारे में सोचने से रोगी की तकलीफें बढ़ जाती हैं।

रोगी बैचेन रहता है। लगातार स्थान बदलना चाहता है। घर में हो तो बाहर जाना चाहता है। और बाहर जाने के बाद घर लौट आना चाहता है। हमेशा अकेला रहना चाहता है। लोगों की भीड़ उसे पसंद नहीं होती। वह किसी से मिलना नहीं चाहता।

गहरे दुख, प्रेम में निराशा, बुरी खबर से किसी न किसी बीमारी का शिकार हो जाता है। हमेशा थका-थका सा रहता है।

बच्चे स्वभाव से चिड़चिड़े होते हैं। हर समय रोते रहते हैं।

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