कम उम्र में बाल सफेद होने के कारण और समस्या से बचने का तरीका ! सफेद बालों से छुटकारा पाने का उपाय।
बालों का सफेद होना :
उम्र बढ़ने के साथ बालों का सफेद होना प्राकृतिक प्रक्रिया है. बाल सफेद इसलिए होते हैं क्योंकि बालों को रंग देने वाले मेलानिन का उत्पादन उम्र के साथ कम होने लगता है और ऐसे में जैसे जैसे उम्र बढ़ती है वैसे वैसे बाल सफेद होते जाते हैं. हालांकि समय से पहले बालों का सफेद होना किसी बड़ी समस्या से कम नहीं है. हार्मोनल और वातावरणीय कारणों की वजह से कम उम्र में बालों के सफेद होने की समस्या होने लगती है. वैसे तो बालों के समय से पहले सफेद होने का कोई सटीक कारण नहीं है, लेकिन कुछ ऐसी स्थितियां हैं जिनको इस समस्या से जोड़कर देखा जा सकता है. इसमें आनुवंशिक कारक, हाइपोथायरायडिज्म, प्रोटीन की कमी, मिनरल्स की कमी, विटामिन की कमी, विटिलिगो, तनाव, दवाओं के साइड इफेक्ट आदि शामिल हैं. महिला हो या पुरुष, दोनों ही इस समस्या से जूझ रहे हैं और कम उम्र में ही हेयर डाई या कलर आदि का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं.
बाल सफेद होने के कारण :Reasons for gray hair:
आनुवंशिक कारक
माता-पिता या परिवार के किसी पीढ़ी में इस तरह की समस्या रही है तो यह आगे भी बनी रह सकती है।
हाइपोथायरायडिज्म
हाइपोथायरायडिज्म (शरीर में थायराइड हार्मोन के स्तर में कमी) की समस्या से ग्रस्त लोगों में समय से पहले बालों के सफेद होने की आशंका होती है।
प्रोटीन की कमी
क्रॉशिअकोर, नेफ्रोसिस, सीलिएक रोग, सहित कुछ अन्य विकारों के कारण शरीर में आई प्रोटीन की कमी के चलते कम उम्र में ही बाल सफेद होने शुरू हो जाते हैं।
मिनरल्स की कमी
आयरन और कॉपर जैसे मिनरल्स की कमी के कारण भी कम उम्र में ही बाल सफेद हो जाते हैं।
विटामिन की कमी
शरीर में विटामिन बी 12 की कमी के अधिकतर लोगों में कम उम्र में ही बाल सफेद होने की समस्या देखी गई है।
विटिलिगो
कुछ मामलों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं के मेलानोसाइट्स पर हमला करना शुरू कर देती है, जिसके चलते भी बाल सफेद होते हैं।
वॉन रेकलिंगज़ोन रोग (न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस)
यह एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें ट्यूमर बनने लगता है, साथ ही हड्डियों और त्वचा का असामान्य विकास भी शुरू हो जाता है।
डाउन सिंड्रोम
डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है। इसके चलते चेहरा और नाक चपटा हो जाता है, गर्दन छोटी हो जाती है, मानसिक विकलांगता और बालों का रंग सफेद होने लगता है।
वर्नर सिंड्रोम
यह एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें प्रभावित व्यक्ति की त्वचा में परिवर्तन, किशोर मोतियाबिंद (बच्चों में मोतियाबिंद), छोटे कद और समय से पहले बूढ़े होने के लक्षण हो सकते हैं।
दवाएं
क्लोरोक्वीन (मलेरिया के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा), ट्राइपरानॉल (कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाली दवा), फेनिलथियोरिया (डीएनए परीक्षण में प्रयुक्त)और डिक्सीजरीन (कुछ मनोरोगों के इलाज के लिए) जैसी कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट के रूप में भी बालों का रंग सफेद होने लगता है।
तनाव
अध्ययनों से पता चला है कि तनाव के वक्त बनने वाले हार्मोन (एड्रेनालाईन, कोर्टिसोल) मेलानोसाइट कोशिकाओं को प्रभावित करना शुरू कर देते हैं, परिणामस्वरूप बालों के रंग सफेद होने लगते हैं।
बाल सफेद होने से बचाव :Preventing graying of hair:
स्वस्थ और संतुलित डाइट लें। विटामिन-बी से भरपूर भोजन, दही, हरी सब्जियां, गाजर, केला आदि का सेवन करें। इससे सिर में रक्त का प्रवाह ठीक होता है और बाल बेजान नहीं होते।
केमिकल हेयर कलर और डाई का इस्तेमाल करने से दूर रहें। इसके इस्तेमाल से कुछ समय के लिए बाल काले तो दिखते है लेकिन दोगुनी तेजी से सफेद भी हो जाते हैं।
बहुत तेज महक वाले बालों का इस्तेमाल ना करें। आप नारियल या सरसों के तेल का इस्तेमाल कर सकते है। इससे बालों की रंगत लंबे समय तक रहती है।
धूप में निकलने से पहले आप अपने त्वचा को स्टोल या स्कार्फ से ढंकते हैं, उसी तरह बालों को भी प्रदूषण से बचाने के लिए ट्रैफिक के बीच बालों को कवर करके रखें।
बाल लंबे समय तक अपनी रंगत ना खोएं इसके लिए आप बेझिझक होकर आंवला, शिकाकाई आदि का इस्तेमाल कर सकते है। आंवले को ना सिर्फ डाइट में शामिल करें बल्कि मेंहदी में मिलाकर या घोल बनाकर बालों की कंडिशनिंग करें। आंवले को बारीक काट लें और गर्म नारियल तेल में मिलाकर सिर पर लगाएं। इससे बाल सफेद नहीं होंगे।
कढ़ी पत्ता खाने से भी बाल जल्दी सफेद नहीं होते। भोजन में कढ़ी पत्ते का इस्तेमाल भी करें। आंवले की तरह कढ़ी पत्ते को भी बारीक काट लें और गर्म नारियल तेल में मिलाकर सिर पर लगाएं।
नैचुरल हेयर डाई का इस्तेमाल करें जैसे मेंहदी, चायपत्ती का पानी, चुकंदर का रस। इससे बालों को जरूरी तत्व मिलेंगे और इनका रंग भी बरकरार रहेगा।
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